
CG News: सीमावर्ती ओडिशा से बहकर बस्तर की प्राणदायिनी नदी इंद्रावती छत्तीसगढ़ पहुंचती है। करीब चार दशक से इंद्रावती की यह जलधारा कम होते-होते सूखने की कगार पर है। इसका असर बस्तर में गर्मियों में होने वाली खेती के साथ ही यहां के प्रसिद्ध पर्यटन स्थल चित्रकोट पर पड़ रहा है।
चित्रकोट का जलप्रपात तो गर्मियाें में सूख ही जाता है। इसकी वजह है इंद्रावती के पानी का ओडिशा के जोरा नाला में समा जाना। समास्या का समाधान तलाशने दोनों राज्यों के अफसरों की टीम गुरुवार को मौके पर पहुंची थी। लंबे समय से इंद्रावती का पानी जोरा नाला में प्रवाहित होने का यह असर हुआ कि अब जोरा नाला एक नदी में बदल गया है। जबकि इंद्रावती सूखकर नाला बन जाती है।
इस समस्या को लेकर दोनों राज्य केंद्रीय स्तर पर लेकर गए। यहां पर समझौता हुआ कि ओडिशा के इस जगह पर एक स्ट्रक्चर बनाया जाएगा। इस स्ट्रक्चर से दोनों ही राज्यों को पचास-पचास प्रतिशत की जलराशि का बंटवारा होगा। 50 करोड़ से बनने वाले इस स्ट्रक्चर का सारा खर्च छत्तीसगढ़ ने उठाया था।
इसके बावजूद ओडिशा सरकार व वहां के जलसंसाधन विभाग ने मनमानी रवैया अपनाते हुए छत्तीसगढ़ को सिर्फ 18 प्रतिशत ही पानी की आपूर्ति कर रहा है। इस विवाद के निपटारे के लिए बीते दिनों राजस्थान में केंद्रीय जलसंसाधन मंत्री सी.आर. पाटिल एवं ओडिशा के सीएम मोहनचरण मांझी की मौजूदगी में इस समस्या को राज्य के जलसंसाधन मंत्री केदार कश्यप ने उठाया था। जिसके बाद नए सिरे से समस्या का समाधान तलाशने के लिए दोनों राज्यों के अफसरों की टीम गुरुवार को मौके पर पहुंची थी।
CG News: छत्तीसगढ़ को कम पानी के मामले में ओडिशा की टीम ने सफाई देते हुए कहा कि स्ट्रक्चर के नीचे सिल्ट व गाद जमा हो गई है। इससे जल की मात्रा घट गई है। केंद्रीय मंत्री व राज्य मंत्री केदार कश्यप ने यहां पर सिल्ट की सफाई जल्द कर आपूर्ति बहाल करने जोर दिया है। इस प्रयास के बाद अब पिछले साढ़े 4 दशक से चल रहे विवाद का समाधान निकलने की उम्मीदें जाग गई हैं।
Published on:
28 Feb 2025 08:27 am
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