
बस्तर में शारीरिक शिक्षा का कोर्स ही नहीं (Photo source- Patrika)
CG News: राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 बस्तर के सभी कॉलेजों में लागू हो चुकी है। नई नीति में खेल और शारीरिक शिक्षा को शामिल किया जाना है, लेकिन छत्तीसगढ़ में अभी तक नहीं किया गया है। इससे खेल और शारीरिक शिक्षा के बारे में पढऩे के इच्छुक विद्यार्थियों और शोधार्थियों में मायूसी है। नीति में इसे जगह नहीं मिलने से युवाओं में फिजिकल एक्टिविटी बहुत कम हो जाएगी।
मैदान में बहुत कम बच्चे दिखेंगे। इससे काफी नुकसान हो सकता है। छत्तीसगढ़ में सभी विश्वविद्यालयों से संबद्ध शासकीय और निजी महाविद्यालयों में दो साल पहले एनईपी-2020 लागू की गई। इस दौरान खेल और शारीरिक शिक्षा को वैकल्पिक पाठ्यक्रम में रखा गया, जबकि इसे मुख्य विषयों में रखना था। इसके लिए न तो अलग से पाठ्यक्रम बनाया गया और न ही ही कोई अलग से व्यवस्था की गई।
बताया जा रहा है कि एनईपी के अंतर्गत स्कूलों और कॉलेजों में खेल और शारीरिक शिक्षा महत्वपूर्ण पहलू है। इसका उद्देश्य विद्यार्थियों के समग्र विकास को बढ़ावा देना है। इसमें शारीरिक स्वास्थ्य, जीवन कौशल और सांस्कृतिक मूल्यों का विकास शामिल है। इसे लागू नहीं करने से खेल और खिलाड़ी दोनों को नुकसान हो रहा है। जबकि देश के कई राज्यों ने खेल को नई नीति में स्थाई रूप से जगह दी है।
बस्तर संभाग के किसी भी कॉलेज में शारीरिक शिक्षा का पाठ्क्रम नहीं है। सालों से यहां पर बीपीएड पाठ्क्रम शुरू किए जाने की मांग हो रही है लेकिन यह मांग अधूरी है। अब जबकि नई नीति में भी खेल और शारीरिक शिक्षा को स्थाई जगह नहीं मिली है तो पाठ्यक्रम शुरू होने पर संशय है।
पूर्व में भी इसे लेकर प्रयास नहीं किए गए और वर्तमान में भी कोई प्रयास नहीं हो रहे हैं। बस्तर के युवा खेल में अंतरराष्ट्रीय स्तर तक अपना लोहा मनवा चुके हैं लेकिन वे कोर्स के अभाव में इसे अपना करियर नहीं बना पा रहे हैं। अगर कोई युवा ईच्छुक है तो उसे यह कोर्स करने के लिए बाहर जाना पड़ता है।
CG News: उच्च शिक्षा में शारीरिक कल्याण शुल्क में 15 साल में वृद्धि नहीं हुई है। इस वजह से खिलाडिय़ों को पर्याप्त मात्रा में दैनिक भत्ता एवं महंगाई भत्ता नहीं मिल रहा है। शुल्क बढ़ेगा तो उन्हें भत्ता अधिक मिलेगा और इससे वह बेहतर डाइट ले सकेंगे। राज्य एवं राष्ट्रीय स्तर पर बेहतर प्रदर्शन कर पदक ला सकेंगे।
बस्तर के खिलाड़ी अपनी प्रतिभा के दम में ही बेहतर प्रदर्शन कर पा रहे हैं, उन्हें ज्यादा सहयोग सरकार से नहीं मिल पाता है। एक ओर बस्तर में खेल के मैदान पर मैदान बनाने सरकार करोड़ों रुपए दे रही है। इसकी तुलना में यहां पर खेल प्रशिक्षक के अध्ययन अध्यापन की कोई व्यवस्था नहीं है। इस वजह से अच्छे कोच व प्रशिक्षक बाहर नहीं निकल रहे हैं। इससे कई प्रतिभाएं दबकर रह जा रही हैं।
Updated on:
01 Jul 2025 11:58 am
Published on:
01 Jul 2025 11:57 am
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