
Chhattisgarh News: बस्तर संभाग सहित प्रदेश के दर्जनभर जिलों में डीएमएफ की राशि के हुए दुरुपयोग और घोटाले की जांच ईडी और एसीबी कर रही है पर इस मामले में कतिपय अफसरों की स्वेच्छाचारिता के चलते डीएमएफ में अनियमितता की शिकायतें थमती नजर नहीं आ रही है।
खबर है कि बस्तर जिले में सिंचाई विभाग के कार्यपालन यंत्री के जुगाड़ के कारण प्रशासन ने वर्ष 2024 में जिले को प्राप्त कुल आबंटन की 20 फीसदी से अधिक की राशि मनमानी तरीके से सिंचाई विभाग को आबंटित कर दी है। जबकि जिले में दो दर्जन ऐसे सरकारी विभाग भी है जिन्हें डीएमएफ मद से राशि की सर्वाधिक आवश्यकता थी उन्हें प्रशासन ने बैरंग लौटा दिया। सिंचाई विभाग ने डीएमएफ के निर्माण कार्यों में प्राक्कलन के साथ साथ टेंडर में भी काफी अनियमितताएं की है।
इस मामले की निष्पक्ष जांच की मांग अब उठने लगी है। गौरतलब है कि वर्तमान में जगदलपुर में सिंचाई विभाग पदस्थ ईई पूर्व में अपने अंबिकापुर में पदस्थापना के दौरान भी वित्तीय अनियमितता के मामले में निलंबित हो चुके है। अब उन्होंने फिर से पुरानी कार्यप्रणाली के आधार पर बस्तर में भी अपनी फील्डिंग शुरू कर दी है।
जिला प्रशासन के नाक के नीचे हो रही अनियमितता, अफसर खामोश
डीएमएफ मामले में प्रदेश भर में ईडी और एसीबी की जांच अभी पूरी भी नहीं हुई और बस्तर में भी शुरू हो गया नया खेल
वित्तीय अनियमिता के आरोप में अंबिकापुर में निलंबित हुआ सिंचाई अफसर अब बहाल होकर नई पारी खेलने की तैयारी में
क्र . कार्य का नाम - राशि
चित्रकोट में पर्यटन के लगभग आठ करोड़ की लागत से ग्लास ब्रिज स्काई वॉक और पार्क के निर्माण के लिए लोनिवि को एजेंसी न बनाकर सिंचाई विभाग से काम करवाया जा रहा है इसी तरह कोसारटेडा में बांस से बनने वाले रिसॉर्ट की भी जिमेदारी इसी विभाग को मिली है जबकि इन दोनों कार्यों में विभाग के अफसरों की कोई विशेषज्ञता नहीं है। सिंचाई विभाग के अफसर ने अपने ही खास व्यक्ति को इन कार्यों का टेंडर दिलवाया है ताकि इस कार्य में भ्रष्टाचार को अंजाम दिया जा सके।
बस्तर सर्किल में विभिन्न नदियों और नालों में सौ से अधिक एनीकेट और स्टॉपडेम निर्माण का प्रस्ताव सिंचाई विभाग को भेजा गया है इनमें से लगभग तीस से अधिक निर्माण कार्यों को मंजूरी भी मिल चुकी है। ऐसे में इन कार्यों को डीएमएफ से स्वीकृति नहीं दी जानी चाहिए थी। लेकिन प्रशासन को गुमराह कर सिंचाई विभाग के अफसर ने न सिर्फ कार्यों को मंजूरी दिलाई बल्कि एस्टीमेट में भी बड़ा खेल कर कुछ निर्माण को दोगुना तो कुछ को तीन गुना बढ़ा दिया गया है। नियमविरुद्ध तरीके से एक निर्माण के लिए अलग-अलग राशि के दो-दो इस्टीमेट बनाकर उनको तकनीकी स्वीकृति प्रदान की गई है।
डीएमएफ के नियमों में परिवर्तन हुआ है जिसके मुताबिक खनिज प्रभावित इलाकों में ही डीएमएफ की राशि खर्च की जानी चाहिए।बस्तर संभाग में सर्वाधिक डीएमएफ की राशि दंतेवाडा जिले को मिलती है इस मामले में बस्तर संभाग के सभी जिलों को पहले प्रभावित मान कर आनुपातिक आबंटन अन्य जिलों को भी दिया जाता है पुराने नियमों के तहत जगदलपुर जिले को लगभग पंद्रह फीसदी राशि आबंटित होती थी। लेकिन अब नए नियमों के मुताबिक अब आबंटन रुक गया है पुरानी राशि का अफसर मनमानी बंदरबाट कर इसके माध्यम से भ्रष्टाचार को बढ़ावा दे रहे है। जिला निर्माण समिति के माध्यम से टेंडर मैनेज करने का काम किया जा रहा है। प्रशासन के नाक के नीचे ही इस सिंचाई विभाग के अफसर फर्जीवाड़ा कर रहे है।
Updated on:
08 Nov 2024 04:08 pm
Published on:
08 Nov 2024 04:07 pm
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