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बालपेट में भरा गंगनादेई माता मेला

कमलचंद्र भी हुए शामिल, कोविड काल में बाधित रहने के बाद पहली बार आयोजन, देवी-देवताओं ने की परिक्रमा, आयोजन में पहली बार बस्तर राज परिवार के सदस्य कमलचंद्र भंजदेव भी शामिल हुए, पुजारी परमेश्वर नाथ जिया के साथ उन्हें भी पालकी में बिठाकर देवी-देवताओं के साथ परिक्रमा करवाई गई

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गांवों से भी देवी-देवताओं के प्रतीक लेकर ग्रामीण पहुंचे

गांवों से भी देवी-देवताओं के प्रतीक लेकर ग्रामीण पहुंचे

दन्तेवाड़ा . जिला मुख्यालय से लगे गांव बालपेट के गंगनादेई माता मंदिर प्रांगण में मंगलवार को वार्षिक मेले का भव्य आयोजन हुआ। कोविड काल में लगातार 2 साल तक बाधित रहे मेले को इस बार भव्य रूप दिया गया। इस मेले में इस बार जन सैलाब उमड़ पड़ा। ग्रामीणों ने गंगनादेई माता के दर्शन कर मेले का लुत्फ उठाया। इस आयोजन में पहली बार बस्तर राज परिवार के सदस्य कमलचंद्र भंजदेव भी शामिल हुए। परंपरानुसा दंतेश्वरी मंदिर दंतेवाड़ा से पहुंचे पुजारी परमेश्वर नाथ जिया के साथ उन्हें भी पालकी में बिठाकर देवी-देवताओं के साथ परिक्रमा करवाई गई। इस मौके पर राज्य वनौषधि बोर्ड उपाध्यक्ष छबिंद्र कर्मा, भाजपा महिला मोर्चा जिलाध्यक्ष ओजस्वी मंडावी, जिला पंचायत सदस्य रामू नेताम ने भी पहुंचकर मेले में शिरकत की। मेले मे बालूद, बालपेट के अलावा दूर-दराज के गांवों से भी देवी-देवताओं के प्रतीक लेकर ग्रामीण पहुंचे थे। मंदिर परिसर में झूमते सिरहा व छत्र-ध्वजा लेकर चल रहे ग्रामीणों के साथ ही आदिवासी लोक नर्तक दलों ने भी मेले का आकर्षण बढ़ा दिया था। इसके पहले मंदिर समिति के न्यौते पर पहली बर इस आयोजन में शरीक होने पहुंचे बस्तर राज परिवार के सदस्य कमलचंद्र भंजदेव की अगवानी पारंपरिक रीति-रिवाज से की गई। देवगुड़ी का निखरा रूपकलेक्टर दीपक सोनी की पहल पर इस बार गंगनादेई माता मंदिर को देवगुड़ी कायाकल्प योजना का लाभ मिला है। मंदिर परिसर में फैंसिंग, छायादार शेड, पेयजल समेत अन्य बुनियादी सूविधाएं मुहैया करवाने के साथ ही देवी झूले का आकर्षक स्थाई स्ट्रक्चर भी तैयार हो चुका है। इस नए स्वरूप को देखने का अवसर भी ग्रामीणों को पहली बार इस मेले में मिला। जिसको देखकर ग्रामीण भी कापी उत्साहित थे।