हनुमान जयंती दो बार क्यों: हनुमान के जन्म को लेकर दो धार्मिक मान्यताएं हैं। वाल्मीकि रामायण के अनुसार, हनुमान जी का जन्म कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि पर स्वाति नक्षत्र में हुआ था इस दिन भी हनुमान जयंती मनाई जाती है। वहीं चैत्र माह की पूर्णिमा तिथि पर मनाई जाने वाली हनुमान जयंती पौराणिक कथा के अनुसार, एक बार बचपन में जब हनुमान जी को भूख लगी, तो वह सूर्य को फल जानकर उसे खाने के लिए दौड़ पड़े। उन्होंने सूर्य को निगलने की कोशिश की, जिससे पृथ्वी पर अंधेरा छाने लगा। जब यह बात इंद्रदेव को पता चली तो उन्होंने हनुमान जी को रोकने के लिए अपने वज्र से प्रहार कर दिया, जिस कारण हनुमान जी मूर्छित हो गए।
हनुमान जयंती पर दुर्लभ संयोग पंडित दिनेश दास के मुताबिक हनुमान जयंती पर ग्रहों के योग से बहुत ही दुर्लभ संयोग बन रहा है। इस दिन चित्रा नक्षत्र प्रभाव में रहेगा और मंगल मीन राशि में आकर राहु, शुक्र, बुध, नेपच्यून के साथ युति संबंध बनाएंगे जिससे पंचग्रही योग निर्मित होगा। इसके साथ ही हनुमान जयंती के दिन मंगलवार का भी शुभ संयोग बना है। इस वर्ष हनुमान जयंती के दिन चित्रा नक्षत्र और वज्र योग है। वज्र योग प्रात:काल से लेकर 24 अप्रेल को प्रात: 04 बजकर 57 मिनट तक है। उस दिन चित्रा नक्षत्र प्रात:काल से लेकर रात 10 बजकर 32 मिनट तक है, उसके बाद स्वाति नक्षत्र है।
हनुमान जयंती पूजा मुहूर्त चैत्र शुक्ल पूर्णिमा तिथि की शुरुआत 23 अप्रेल मंगलवार को सुबह 03 बजकर 25 मिनट से 24 अप्रेल बुधवार को सुबह 05 बजकर 18 मिनट पर होगा। उदया तिथि 23 अप्रेल को है, इसलिए हनुमान जन्मोत्सव 23 अप्रेल को मनाया जाएगा । हनुमान जयंती पर ब्रह्म मुहूर्त सुबह 4 बजकर 20 मिनट से 5 बजकर 04 मिनट तक है। सुबह 11 बजकर 53 मिनट से दोपहर 12 बजकर 46 मिनट तक अभिजीत मुहूर्त है, वहीं सुबह 9 बजकर 03 मिनट से 10 बजकर 41 मिनट के बीच हनुमानजी की पूजा करने के लिए शुभ मुहूर्त हैं।