
Chhattisgarh News: भले ही हरी सब्जियों के दाम आसमान को छू रहे हों किन्तु इसके खाने के शौकीनों की कमी नहीं है। महंगाई के दौर में मिलावटी सब्जियों को महंगे दामों में खरीदकर अपने सेहत को खराब होने की खतरे से बेखबर हैं। ऐसे में इन लोगों को बाजार में पहुंच रहे सब्जियों में कैमिकल और हरे रंग की मिलावट की खबर भी होना जरूरी है।
आजकल इन सब्जियों को खरीदने से पहले सावधानी बरतना आवश्यक है। सब्जियों के फसल को जल्दी बढ़ाने और चमकदार बनाने के लिये जिस तरह के कैमिकल और कीटनाशकों का प्रयोग किया जा रहा है वह हमारे शरीर के लिये खतरनाक है। इसकी पुष्टि स्थानीय लैब में कृषि वैज्ञानिकों ने भी किया है। यही कारण है कि बस्तर में किसानों को कृषि उत्पादन में जैविक खाद का उपयोग करने का सलाह दिया जा रहा है।
कृषक फसलों पर कीड़े, चीटी अथवा दीमक से बचाने अक्सर कीटनाशकों का उपयोग करते हैं। इसके अधिक प्रयोग किसी भी खाद्य वस्तुओं के साथ घर के रसोई तक आ पहुंचा है। यही वजह है कि सबसे ज्यादा असर रोजमर्रा की सब्जियों पर पड़ा है। कीटनाशक सब्जियों के साथ यह हमारे पेट में पहुंच रहा है।
बाहर से आने वाले सब्जियों को अधिक दिनों तक ताजा और हरा बनाने के लिये हरे रंग की मिलावट होने लगी है। बस्तर के सबसे बड़ी सब्जी मंडी संजय बाजार में बाहर से हजारों क्विंटल सब्जियां पहुंचती है। इनमें बारहो महीने मिलने वाले सब्जियों को खरीदने के दौरान सबसे ज्यादा सावधानी बरतना चाहिए है। खाद्य विभाग के मुताबिक ज्यादा चमकदार सब्जियों में मिलावट होने की संभावना अधिक होती है।
बस्तर कृषि महाविद्यालय के कृषि वैज्ञानिकों की माने तो बस्तर के स्थानीय किसानों को कृषि में आर्गेनिक को बढ़ावा देने रासायनिक खाद और कैमिकल के जगह जैविक खाद का उपयोग करना बताया जा रहा है। यही वजह है कि यहां के किसान अपने खेतों में जैविक खाद का प्रयोग कर रहे हैं। इसके वजह से यहां ग्रामीण इलाकों में मिलने वाले साक सब्जियों की डिमांड सबसे अधिक होती है। और यह सब्जी अधिक स्वदिष्ट भी होती है।
कृषि वैज्ञानिकों के मुताबिक हरे रंग की सब्जियों खासकर मटर, भिंडी, करेला और लौकी सहित परवल जैसे सब्जियों में सबसे अधिक कैमिकल का प्रयोग कर रहे हैं। ज्यादा हरा दिखाने और उत्पादन बढ़ाने के लिये कॉपर सल्फेट के प्रयोग से इसके सेवन करने वालों के सेहत में बहुत ज्यादा असरकारक माना जा रहा है। बड़े बड़े फार्मर अधिक मुनाफे के लिए इस तरह का प्रयोग सबसे ज्यादा कर रहे हैं।
स्थानीय किसानों को कीटनाशकों के दुष्प्रभाव को बता कर उसके कम से कम उपयोग करने की सलाह दिया जा रहा है। कृषकों को उत्पादन बढ़ाने आर्गेनिक कृषि की ओर प्रेरित किया जा रहा है। जैविक खाद का उपयोग अधिक से अधिक हो इसके लिये जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है। यही वजह है कि बस्तर में दिनोंदिन आर्गेनिक कृषि का रकबा बढ़ रहा है।
Updated on:
01 Aug 2024 09:26 am
Published on:
31 Jul 2024 01:35 pm
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