
प्यार ने बदल दी राह (Photo Source- Patrika)
Naxalites Love Story: प्यार एक ऐसा शब्द है, जो पत्थर को भी पिघला देता है, फिर इंसान की बात ही क्या। चाहे मां का प्यार हो या परिवार का प्यार, आदमी इसके लिए कुछ भी कर गुजर जाता है। ये सिर्फ कहावत नहीं बल्कि हकीकत है।
अभी तक लोगो ने सुनहरे परदे में शीरीं-फरहाद, लैला-मजनू, हीर-रांझा, रोमियो-जूलियट और सोहनी-महिवाल के किस्सों को देखा है। हम आपको बताते हैं, घने जंगल की वो प्यार की कहानी, जो लाल आतंक के साये में जन्मी। यह कहानी है अमित बारसा और अरुणा की, जिन्होंने बंदूक छोड़कर प्रेम और शांति की राह चुनी है।
बंदूक थामने वाले दो नक्सलियों ने अब प्रेम की राह पकड़ ली है। कभी लाल आतंक का हिस्सा रहे अमित बारसा और अरुणा अब समाज की मुख्यधारा में लौट आए हैं। इन दोनों ने 9 जुलाई को आत्मसमर्पण कर दिया। अमित और अरुणा दोनों लंबे समय से नक्सली संगठन से जुड़े थे। उन पर कुल मिलाकर 13 लाख रुपये से अधिक का इनाम घोषित था। अमित जगरगुंडा (सुकमा) का रहने वाला है, वहीं अरुणा लेकाम (बीजापुर) की निवासी है।
अमित ने बताया कि वह किसी समय 1.5 करोड़ के इनामी नक्सली नेता वेणुगोपाल का सुरक्षा गार्ड था। लेकिन अब वह कहता है, "अब सिर्फ ज़िंदा रहना है… खुलकर, हथियार के साए में नहीं।"
अमित और अरुणा की मुलाकात 2019 से पहले गढ़चिरौली में एक पार्टी मीटिंग के दौरान हुई थी। अमित ने बताया कि जब पहली बार अरुणा को देखा तो दिल में हलचल सी मच गई। पेट में गुदगुदी सी हुई, बेचैन सा हो गया। रातों की नींद उड़ गई थी। मुझे उससे एकतरफा प्यार हो गया था, लेकिन संगठन के सख्त नियमों के चलते सीधे बात करना भी आसान नहीं था। जैसे-तैसे अरुणा तक उसने अपने दिल की बात पहुंचाई।
प्रेम शब्द सुनते ही वो नाराज हुई, लेकिन 2 महीने बाद उसका जवाब आया और कहा- ओके…ये रिश्ता मुझे मंजूर है। अमित ने बताया कि करीब दो महीने तक प्यार के जवाब का इंतज़ार करता रहा। फिर अरुणा की ओर से जवाब मिला ये रिश्ता मंजूर है। इसके बाद जंगलों में इशारों की एक नई भाषा शुरू हो गई। लेकिन ये प्यार (Naxalites Love Story) आसान नहीं था। नक्सली संगठन के कठोर नियमों के अनुसार, शादी से पहले दोनों को नसबंदी करवानी पड़ी।
अपने पुराने दिनों को याद करते हुए अमित ने कहा, मोहब्बत जिंदगी जीने के लिए की थी, जंगल में तो सिर्फ मौत है। सरेंडर के बाद दोनों अब एक नई जिंदगी शुरू करना चाहते हैं। सरकार से पुनर्वास योजना के तहत सहयोग की उम्मीद करते हैं। इनकी कहानी साबित करती है कि अगर दिल से चाहो, तो पत्थर भी पिघलता है। नफरत की जगह अगर (Naxalites Love Story) प्रेम हो, तो हिंसा का रास्ता भी बदला जा सकता है।
Updated on:
04 Aug 2025 09:54 am
Published on:
11 Jul 2025 05:49 pm
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