
ग्रामीण क्षेत्रों में इलाज का संकट (Photo source- Patrika)
NHM employees strike: बस्तर संभाग में नेशनल हेल्थ मिशन (एनएचएम) के कर्मचारियों की हड़ताल जारी है, जिसने मेडिकल कॉलेज (मेकाज) और महारानी अस्पताल की स्वास्थ्य सेवाओं को काफी हद तक प्रभावित किया है। हड़ताल की वजह से मेकाज में व्यवस्था सबसे अधिक सेवाएं प्रभावित हुई हैं। यहां एनएचएम कर्मचारी के आंदोलन की वजह से नाइट शिफ्ट में वार्ड के लिए स्टाफ नर्सों की भारी कमी हो रही है। इसे देखते हुए ही अब एमएमसी फाइनल इयर की छात्राओं को इसकी जिम्मेदारी सौंपी गई है।
हालांकि इन्हें ज्यादा समस्या न हो इसके लिए सीनियर व नियमित स्टाफ नर्स वार्ड की जिम्मेदारी संभाल रही है और वे इनकी निगरानी में काम कर रहीं है। वहीं ग्रामीण इलाके में भी मरीजों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। इसके साथ ही हड़तालस्थल पर कर्मचारियों ने मंत्रीमंडल का मुखौटा पहनकर उन्हें सदब़द्धि देने के लिए हवन किया।
मेकाज में करीब 50 एनएचएम कर्मचारी हड़ताल पर हैं, जिसके चलते अस्पताल प्रशासन ने एमएससी नर्सिंग की फाइनल इयर की छात्राओं को वार्डों की जिम्मेदारी सौंपी है। ये छात्राएं, जो अभी प्रशिक्षण के दौर से गुजर रही हैं, अचानक मरीजों की देखभाल और वार्ड प्रबंधन का बोझ संभालने को मजबूर हैं। मेकाज के अधीक्षक डॉ. अनुरूप साहू ने दावा किया कि नियमित कर्मचारियों ने स्थिति संभाल ली है और इलाज पर कोई असर नहीं पड़ रहा। हमने वैकल्पिक व्यवस्था कर ली है। हालांकि छात्राओं और उनके प्रोफेसरों का कहना है कि यह कदम उनके प्रशिक्षण और मानसिक स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है।
महारानी अस्पताल में 60 से अधिक एनएचएम कर्मचारी हड़ताल पर हैं, जिसके कारण नियमित कर्मचारियों पर काम का बोझ बढ़ गया है। इन कर्मचारियों को अब 12-14 घंटे तक लगातार ड्यूटी करने के लिए कहा जा रहा है, और किसी को भी छुट्टी नहीं दी जा रही। अधीक्षक डॉ. संजय प्रसाद ने चिंता जताई, ’’अगर हड़ताल ज्यादा दिन तक चली तो अस्पताल की व्यवस्था पूरी तरह चरमरा सकती है।
हमारी कोशिश है कि मरीजों को परेशानी न हो, लेकिन संसाधनों की कमी एक बड़ी चुनौती है।’’ कर्मचारी यूनियन का कहना है कि यह स्थिति उनके स्वास्थ्य और कार्यक्षमता को प्रभावित कर रही है। हड़ताल का सबसे बुरा असर ग्रामीण क्षेत्रों में देखने को मिल रहा है, जहां प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र (पीएचसी) और सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (सीएचसी) पहले से ही सीमित संसाधनों से जूझ रहे थे। कई जगहों पर मरीजों को इलाज के लिए एक केंद्र से दूसरे केंद्र तक भटकना पड़ रहा है, जबकि कुछ मामलों में वे बिना इलाज के लौटने को मजबूर हैं।
NHM employees strike: एक ग्रामीण ने बताया कि हमारे गांव में डॉक्टर और दवा दोनों की कमी है, हड़ताल ने हालात और खराब कर दिए। मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी (सीएमएचओ) डॉ. संजय बसाक ने स्थिति को सामान्य बताया और कहा कि आधे से अधिक कर्मचारी काम पर हैं और हमने वैकल्पिक व्यवस्था कर ली है। मरीजों को किसी भी तरह की दिक्कत नहीं आने दी जाएगी। हड़ताल के बीच संयुक्त संचालक ने नेशनल हेल्थ मिशन (एनएचएम) के कर्मचारियों की विशेष छुट्टी स्वीकृत का आदेश निकाला है।
संयुक्त संचालक स्वास्थ्य सेवाएं ने 19 अगस्त यानी मंगलवार को जारी एक सरकुलर के अनुसार, एनएचएम कर्मचारियों को 30 दिन की विशेष छुट्टी दी गई है। यह निर्णय 08 अगस्त 2025 से प्रभावी माना जाएगा। इसमें आकस्मिक अवकाश 16 दिन, अतिरिक्त विशेष आकस्मिक अवकाश 4 दिन, निवास स्थान से २० किमी दूरी पर नियुक्त कर्मचारी को 7 दिन का अतिरिक्त आकस्मिक अवकाश और एच्छिक अवकाश ३ दिन शामिल हैं। यह आदेश आने के बाद भी आंदोलन पर एनएचएम कर्मचारी डटे हुए हैं।
Published on:
20 Aug 2025 02:45 pm
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