
बस्तर सिंचाई योजनाओं की खुली पोल (photo source- Patrika)
CG News: बस्तर जिले में सिंचाई सुविधाओं को सुदृढ़ बनाने के लिए सिंचाई विभाग द्वारा बीते दो दशकों में लगभग 300 करोड़ रुपए व्यय किए गए, लेकिन इन वर्षों में सिंचित क्षेत्र में अपेक्षित विस्तार नहीं हो पाया। आधिकारिक रिकार्ड के अनुसार वर्ष 2003 में जिले का सिंचित रकबा 11,925 हेक्टेयर था, जो वर्ष 2019 तक बढ़कर केवल 32 हजार हेक्टेयर तक पहुंचा।
वर्तमान स्थिति में विभाग सिंचित क्षेत्र को 37 हजार हेक्टेयर बताता है, लेकिन यह वृद्धि प्रति वर्ष औसतन सिर्फ 1,000 हेक्टेयर ही बैठती है, जो विभाग की कार्यकुशलता पर गंभीर सवाल उठाती है। किसान संगठनों ने मांग की है कि जिले में संचालित सभी सिंचाई योजनाओं की व्यापक तकनीकी समीक्षा की जाए और लापरवाही पाए जाने पर संबंधित अधिकारियों पर कार्रवाई सुनिश्चित की जाए।
जिले में इस समय 7 प्रमुख, 7 मध्यम, 31 लघु सिंचाई योजनाएँ और 40 लिफ्ट सिंचाई परियोजनाएँ शामिल हैं। कागज में इन परियोजनाओं से किसानों को पर्याप्त सिंचाई उपलब्ध कराई जा रही है, लेकिन वास्तविकता अलग है। कई जगह नहरों की स्थिति खराब है, पानी वितरण प्रणाली कमजोर है और अनेक लिफ्ट सिंचाई योजनाएँ तकनीकी खराबियों या मेंटेनेंस के अभाव में बंद पड़ी हैं।
खरीफ और रबी दोनों ही मौसमों में किसानों को समय पर पानी न मिलने की समस्या बनी रहती है। चाह कर भी किसान रबी की फसल नहीं ले पा रहे हैं। नई रियोजनाओं की स्वीकृति और निर्माण की रफ्तार काफी धीमी है, जबकि पुराने कार्यों के रखरखाव पर भी अपेक्षित ध्यान नहीं दिया जा रहा। नतीजतन सिंचाई विस्तार पर व्यय किया गया भारी बजट जमीनी स्तर पर प्रभावी परिणाम नहीं दे रहा है।
CG News: किसानों का कहना है कि नहरों की मरम्मत और बंद पड़ी लिफ्ट योजनाओं को पुन: शुरू करने जैसे कामों में विभाग ने कोई ठोस पहल नहीं की है। कई परियोजनाएं सिर्फ रिपोर्टों और प्रगति पुस्तिकाओं में ही सफल दिखाई देती हैं, जबकि खेतों में पानी का अभाव अब भी गंभीर समस्या बना हुआ है। किसानों की मांग है, पानी की व्यवस्था दुरुस्त करने नहरों को मरम्मत किया जाए।
Updated on:
06 Dec 2025 12:27 pm
Published on:
06 Dec 2025 12:26 pm
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