
Tribal Population in CG: छत्तीसगढ़ राज्य के आदिवासी बाहुल्य इलाके में जनजातीय समुदाय की जनसंख्या लगातार घट रही है। 1981-91, 1991- 2001, 01- 2011 में हुई जनगणना से मिले इन आंकड़ों ने सरकार की चिंता बढ़ा दी है। राज्य शासन की आदिम जाति एवं अनुसूचित जाति विकास विभाग ने इसके तथ्य व कारणों से अवगत होने 2020 में बस्तर विश्वविद्यालय को शोध करने कहा था। इसके लिए विश्वविद्यालय ने ''फैक्टर्स अफेक्टिंग डिक्लाइंग ग्रोथ रेट आफ ट्राइबल पापुलेशन, ए स्टडी ऑन छत्तीसगढ़'' पर शोध किया।
विश्वविद्यालय के मानव विज्ञान एवं जनजातीय अध्ययन शाला ने दंतेवाड़ा, बीजापुर, सुकमा, नारायणपुर, कांकेर, जशपुर व कोरिया जिला में लगभग सात हजार सैंपल का सर्वे लेकर सरकार की चिंता को सही पाया है। इसमें पाया गया कि जनजातीय जनसंख्या वृद्धि 2001-2011 में 2.19 फीसदी की कमी आई है। शोध के निष्कर्ष से विभाग को अवगत करा दिया गया है।
बस्तर संभाग के सभी जिले चार दशक से नक्सल प्रभावित रहे हैं। इन जिले में नक्सल व सुरक्षाबलों की सरगर्मी भी आदिवासियों की जनसंख्या के वास्तविक आंकड़ों को प्रभावित करने वाले कारक बने हैं। इन दोनों की सक्रियता लाखों आदिवासियों के पलायन का सबब बनी हैं। अपुष्ट आंकड़ों के मुताबिक सुकमा के नक्सलवाद प्रभावित इलाकों से 50 हजार लोग सीमावर्ती तेलंगाना व आंध्रप्रदेश आकर बस गए हैं। इनकी वापसी को लेकर समय समय पर मुहिम भी चलाई गई। पर वे वापस नहीं लौट रहे हैं।
दंतेवाड़ा, बीजापुर, सुकमा, नारायणपुर, कांकेर, कोरिया व जशपुर में जन्म की तुलना में मृत्युदर अधिक। शोध से पता चला कि वृद्धि दर में कमी आई है। जनजातीय समाज में जन्म के समय व 6 साल से कम उम्र के बच्चों में लिंगानुपात दर में कमी पाई है।
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शहीद महेंद्र कर्मा विश्वविद्यालय के मुख्य अन्वेषक डॉ. स्वपन कोले ने पत्रिका को यह जानकारी दी कि अनुसूचित जनजातियों की जनसंख्या वृद्धि दर में कमी को प्रभावित करने वाले कारक पर शोध किया गया था। शोध से पता चला है कि जनजातीय इलाकों में इनकी जनसंख्या दर में कमी आई है। शोध के आंकलन से विभाग को अवगत करा दिया गया है।
Tribal Population in CG: बता दें कि 2011 की जनगणना के मुताबिक जनजातियों का सर्वाधिक प्रतिशत दंतेवाड़ा व बस्तर जिला में है। आदिवासी समुदाय की जनसंख्या घटने के कारणों में असुरक्षित प्रसव, नवजात की मृत्युदर में बढ़ोतरी व कम आयु में मृत्यु ज्यादा प्रभावी हैं। 2013 से 2016 के बीच दंतेवाड़ा में नवजात शिशुओं की मृत्यु की संख्या प्रति हजार में तीन सौ थी। जबकि इसी अंतराल में बीजापुर में 327 तक पहुंची थी। प्राकृतिक आपदाओं की वजह से भी जनसंख्या में कमी आंकी गई है।
Updated on:
09 Aug 2024 12:54 pm
Published on:
09 Aug 2024 11:31 am
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