
जयपुर परकोटे की तस्वीर
हाईकोर्ट ने परकोटा क्षेत्र स्थित 19 आवासीय भवनों के स्थान पर बनाए गए व्यावसायिक कॉम्प्लेक्सों के मामले में सात मार्च को दिया यथास्थिति का आदेश वापस ले लिया, जिससे अब इन पर कार्रवाई का 25 फरवरी का आदेश प्रभावी हो गया। कोर्ट ने निर्माण से जुड़े लोगों को पक्ष रखने की अनुमति देते हुए पक्षकार बना लिया। वहीं, नगर निगम अब इन निर्माणों पर कार्रवाई के लिए स्वतंत्र है।
मुख्य न्यायाधीश एम एम श्रीवास्तव व न्यायाधीश भुवन गोयल की खंडपीठ ने स्वप्रेरणा से दर्ज याचिका पर सोमवार को सुनवाई की। प्रभावित भवन मालिकों की ओर से कहा गया कि जिस रिपोर्ट के आधार पर 25 फरवरी को आदेश दिया। वह रिपोर्ट तथ्यात्मक रूप से गलत और प्राकृतिक न्याय के सिद्धांत के खिलाफ थी। ऐसे में उन्हें समय देते हुए 7 मार्च के यथास्थिति के आदेश को जारी रखा जाए।
इस पर कोर्ट ने कहा कि 25 फरवरी को इन भवनों को सील करने का आदेश दूसरी बेंच ने दिया, जिस पर वह बेंच ही हस्तक्षेप कर सकती है। कोर्ट ने कहा कि संबंधित भवन मालिक राहत के लिए संबंधित बेंच से आग्रह करें या सुप्रीम कोर्ट में अपील दायर करें। नगर निगम ने परकोटे के भवनों को लेकर तीन तरह की सूची बनाई थी। पहली सूची में उन 19 इमारतों को शामिल किया गया था, जो अवैध हैं। हाईकोर्ट ने 25 फरवरी को इन इमारतों को सील करने का आदेश दिया और 7 मार्च को निर्माण पर यथास्थिति का आदेश दिया।
हाईकोर्ट आदेश के बाद हैरिटेज नगर निगम के पास कार्रवाई का रास्ता खुल गया है। हाईकोर्ट के आदेश पर अब 124 कॉम्प्लेक्स और कतार में हैं। आवासीय भूखंडों पर कॉम्प्लेक्स खड़े होने से न सिर्फ व्यवस्थित बसावट खराब हुई, बल्कि लोगों का सुख-चैन भी छिन गया। पिछले दो दशक की बात करें तो 500 से अधिक कॉम्प्लेक्स बन गए। इनके निर्माण में बिल्डिंग बॉयलाज की अनदेखी की गई। झूठे शपथपत्रों में लिखा कि केवल आवासीय उपयोग करूंगा। इसका खमियाजा उन लोगों को भुगतना पड़ रहा है जिन्होंने ऑफिस-शोरूम बना लिए।
कोर्ट के फैसले के बाद निगम कार्रवाई के लिए स्वतंत्र है। 25 फरवरी का आदेश प्रभावी है। उसके अनुसार निगम को 11 मार्च को रिपोर्ट कोर्ट में पेश करनी है। -विमल चौधरी, न्याय मित्र
Published on:
11 Mar 2025 08:10 am
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