
1967: जयपुर लोकसभा चुनाव- न राष्ट्रवाद चला और न विकास, गायत्री देवी फिर सांसद
शैलेन्द्र अग्रवाल/जयपुर
चुनाव में राष्ट्रवाद, विकास और राजनीतिक जागीर की बात जोरों पर है। लोकसभा चुनाव ( Lok Sabha Election ) के समय 1967 में जयपुर ( Jaipur Lok Sabha constituency ) में भी कुछ ऐसे ही संयोग बने थे। राजसी ठाठ से बाहर निकलकर गायत्री देवी ( Gayatri Devi ) स्वतंत्र पार्टी के सांसद के रूप में एक कार्यकाल पूरा कर चुकीं थी और फिर से चुनाव मैदान में थीं। कांग्रेस ने आजाद हिंद फौज में कर्नल और नेताजी सुभाष चन्द्र बोस के निजी डॉक्टर रहे डॉ. राजमल कासलीवाल को चुनाव मैदान में उतारा था। उनका राजस्थान खासकर जयपुर के लिए बड़ा योगदान रहा। स्वास्थ्य विभाग में निदेशक और सवाई मानसिंह मेड़िकल में प्रिंसिपल के रूप में करीब 17 साल तक सेवाएं दी। उनका नारा था 'जय भारत, जय सुभाष'। कासलीवाल का जहां राष्ट्रवाद और विकास में योगदान रहा, वहीं राजनीति उनके लिए नई थी। इसके विपरीत गायत्री देवी के लिए जनता का आदर टूटकर आ रहा था। नतीजा कासलीवाल चुनाव हार गए और गायत्री देवी दूसरी बार जयपुर की सांसद बन गईं।
गायत्री देवी जयपुर की महारानी रहीं थी, उनकी चुनावी सभाओं में महाराजा रहे उनके पति मानसिंह के खूब नारे लगते थे। इस चुनाव में उनको जनसंघ का साथ भी मिल गया। उस समय भैरोसिंह शेखावत जनसंघ के प्रमुख नेता हुआ करते थे। उधर, सवाई मानसिंह मेडिकल कॉलेज के लम्बे समय तक प्रिंसिपल रहने के कारण डॉ. राजमल को उनके शिष्य और साथी चिकित्सकों का भरपूर सहयोग था। डॉ. जे पी सेठी, डॉ. बी एस बलदेवा और डॉ. रामेश्वर शर्मा जैसे अनेक नामी चिकित्सक उनके साथ चुनाव में लगे हुए थे। सुन्दरता के मामले में गायत्री देवी की दुनिया में पहचान थी, तो डॉ. राजमल भी कद काठी में लम्बे चौडे और गौरे रंग के व्यक्ति थे। वरिष्ठ वकील सुधांशु कासलीवाल ने कहा, डॉ. राजमल कासलीवाल का नाम बहुत बड़ा था, उनके पिता प्यारेलाल कासलीवाल जयपुर रियासत में मंत्री रहे थे। सुधांशु कासलीवाल ने कहा कि डॉ. राजमल का घर सी—स्कीम में ठंडी प्याउ के पास हुआ करता था। नाश्ते के समय उनसे चर्चा होती रहती थी और उनके जीवन पर नेताजी बोस का गहरा असर था। उनके भाई नेमीचंद कासलीवाल महात्मा गांधी और जवाहरलाल नेहरू के करीबी थे। डॉ. राजमल का जमीनी स्तर पर जनता से कनेक्शन कम था और झुकने की आदत नहीं थी। डॉ. रवि आर कासलीवाल ने कहा कि उनके पिता आजाद हिंद फौज में कर्नल थे और संस्थापक नेताजी सुभाष चंद्र बोस के निजी चि कित्सक के रूप में काम करते थे। बाद में आजाद हिंद फौज से जुड़े सदस्यों ने सिंगापुर में आत्मसमर्पण कर दिया था, इस कारण ब्रिटिश सरकार ने आजादी से पहले करीब दो साल तक उनके पिता डॉ. राजमल को जेल में रखा। 1951 से 1966 तक वे सवाई मानसिंह मेडिकल कॉलेज में प्रोफेसर व प्रिंसिपल रहे। 1967 में चुनाव मैदान में उतरकर स्वास्थ्य मंत्री के रूप उनकी देश सेवा करने की इच्छा थी। पूर्व राजपरिवार से भी अच्छे संबंध थे।
वरिष्ठ पत्रकार सीताराम झालानी ने कहा कि डॉ. राजमल का चुनाव प्रचार जनता में पैठ नहीं बना पाया, जबकि गायत्री देवी की चुनाव सभाओं में पूर्व राजपरिवार के प्रति जनता का लगाव दिखता था। कार्यकर्ताओं से नजदीकी नहीं बन पाई, इसका उन्हें नुकसान उठाना पड़ा। उधर, गायत्री देवी के चुनाव प्रचार में पैसे की कोई नहीं दिखती थी। उस समय एक बड़ा आकर्षण यह था कि नाहरगढ़ के पहाड़ पर स्वतंत्र पार्टी को वाट दो, यह स्लोगत लि खवा दिया था जो पूरे जयपुर को दूर से ही दिखता था। करीब एक साल तक यह मिटा नहीं था। वरिष्ठ पत्रकार प्रवीण चन्द छाबड़ा ने बताया कि डॉ. राजमल के चुनाव प्रचार में एसएमएस मेडिकल कॉलेज के छात्र—छात्राओं ने बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया।
चुनाव के लिए छोड़ा प्रिंसिपल का पद
'चाचाजी (डॉ.राजमल कासलीवाल) ने एसएमएस मेडिकल कॉलेज प्रिंसिपल पद से इस्तीफा देकर चुनाव लड़ा था। चुनाव से कुछ साल पहले ही मेरी शादी हुई। चुनाव प्रचार करने वाली महिला टीम की कमान मेरे पास थी, टीम में मेडिकल कॉलेज की छात्राएं भी थीं। हम गली— गली प्रचार करने जाते थे और सभा करके भाषण देते थे। प्रचार के लिए एक बार मोहल्ला पन्नीगरान में गए, वहां चाचाजी और चाचीजी (डॉ. कासलीवाल की पत्नी) व हम सभी मौजूद थे। वहां लोगों ने पूछा, 'चुनाव जीतने पर हमारे लिए क्या करेंगे', जिस पर उनको विकास के लिए काम करने का भरोसा दिलाया। लोग उत्सुकता से नेताजी सुभाष चन्द्र बोस से जुड़े सवाल भी पूछते थे। उस समय लोग खुशहाली और सस्ते अनाज की चाहत रखते थे। लोग कहते थे, डॉक्टर साहब आप भगवान जैसे हैं, आपके इलाज के कारण ही जिंदा हैं। हमारी सभा में लोग काफी आते थे, लेकिन उस समय गायत्री देवी की पार्टी बहुत पुरानी नहीं थी शायद इसी कारण वे चुनाव जीत गईं।
— जयंती कासलीवाल (डॉ.राजमल कासलीवाल के परिवार की सदस्य)
कौन थे डॉ. राजमल कासलीवाल
पिता मुंशी प्यारेलाल कासलीवाल 1910 से 1922 तक जयपुर रियासत में मंत्री रहे और वे दिगम्बर जैन अतिशय क्षेत्र के प्रथम अध्यक्ष भी रहे। डॉ. राजमल भारतीय सेना में शामिल हुए। आजाद हिन्द फौज से जुड़कर नेताजी सुभाष चन्द्र बोस के निजी चिकित्सक रहे। द्वितीय विश्व युद्ध के समय 1940—42 तक मलाया में आजाद हिंद फौज के साथ काम करते रहे। 1946 तक उससे जुड़े रहे और आजादी से पहले दो साल के लिए जेल गए। इसके बाद वे आगरा के मेडिकल कॉलेज में प्रिंसिपल बन गए। राजस्थान सरकार ने उनको यहां बुलाकर स्वास्थ्य सेवा निदेशक बना दिया। वे पहले 1949 से 1951 और फिर 1955 से 1966 तक सवाई मानसिंह मेडिकल कॉलेज में प्रिंसिपल रहे। बीच में इसी कॉलेज में प्रोफेसर भी रहे। इस कॉलेज में उनका कुल कार्यकाल 17 साल रहा। प्रधानमंत्री ने उनको ताम्रपत्र भेंट किया, वहीं 1972 में चिकित्सा क्षेत्र में उत्कृष्ट योगदान के लिए डॉ. बी सी रॉय राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
कौन थीं गायत्री देवी
कूच बिहार के तत्कालीन राजपरिवार की सदस्य गायत्री देवी का 23 मई 1919 को लंदन में जन्म हुआ। उनकी प्रारम्भिक शिक्षा लंदन में हुई और शांति निकेतन स्थित विश्व भारती विश्वविद्यालय से उच्च शिक्षा प्राप्त की। बाद में लंदन औरे स्विटजरलेंड में भी शिक्षा प्राप्त की। उनकी 9 मई 1940 को जयपुर के अंतिम महाराजा मानसिंह से शादी हुई। वे अच्छी पोलो खिलाड़ी थी और शिकार के लिए निशाना लगाने में भी उनको महारत हासिल थी। उनका कार रखने का बेहद शौक था। उनके पास एक एयरक्राफ्ट भी था। उनका पहले राजनीति में कोई अनुभव नहीं था। 1962 के चुनाव से पहले सी राजगोपालाचारी की स्वतंत्र पार्टी में शामिल हो गई और पहली बार लोकसभा का चुनाव जीता। 1965 में तत्कालीन प्रधानमंत्री लालबहादुर शास्त्री ने कांग्रेस में आने का न्यौता दिया, लेकिन स्वतंत्र पार्टी का साथ नहीं छोड़ा और 1967 के चुनाव के समय जनसंघ से गठजोड़ कर लिया। इस बीच वे मालपुरा से विधानसभा का चुनाव हार गईं थी, लेकिन जयपुर से लोकसभा चुनाव 94251 मतों से जीत लिया।
1967 का चुनाव
मतदान — 15 फरवरी 1967
मतदाता—538899
मतदान किया— 315765 लोगों ने
वैध मत— 307619
रद्द मत— 8149
जीत का अंतर—94251
विजेता— गायत्री देवी—स्वतंत्र पार्टी, 196892 मत मिले
दूसरे स्थान पर रहे— डॉ. राजमल कासलीवाल—कांग्रेस, 102641 मत मिले।
ये भी थे मैदान में—
पीएसपी के आर चंदर को 5605 मत मिले, जबकि निर्दलीय वी प्रकाश को 2481 मत मिले।

Published on:
28 Apr 2019 07:30 am
बड़ी खबरें
View Allजयपुर
राजस्थान न्यूज़
ट्रेंडिंग
