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Govardhan Puja 2025: राजस्थान में आज या कल कब है गोवर्धन पूजा? जान लीजिए सही तारीख

Govardhan Puja Kab Hai: दीपावली के अगले दिन 21 अक्टूबर को अमावस्या तिथि दोपहर बाद तक ही रहने से गोवर्धन पूजा 22 अक्टूबर को होगी। इस अवसर पर वैष्णव मंदिरों में तैयारियां जोरों पर हैं।

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Govardhan Puja
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फोटो: पत्रिका

Govardhan Puja Date 2025: विशेष योग संयोगों में 6 दिवसीय दीपोत्सव का मुख्य पर्व दिवाली का पर्व सोमवार को मनाया गया। सुबह महिलाओं ने घरों में मांडने मांडे। माता लक्ष्मी के स्वागत के लिए घरों को फूल मालाओं से सजाया। इससे पूर्व फूल, माला, प्रसाद व गन्ने आदि की खरीदारी की। दोपहर से लेकर रात तक घरों और प्रतिष्ठानों में लक्ष्मी का पूजन हुआ। घर-घर खुशियों के दीप जलाए गए। उजास के बीच गुलाबीनगरी का नजारा अयोध्या जैसा नजर अया।

गोवर्धन पूजा 22 अक्टूबर को

दीपावली के अगले दिन 21 अक्टूबर को अमावस्या तिथि दोपहर बाद तक ही रहने से गोवर्धन पूजा 22 अक्टूबर को होगी। इस अवसर पर वैष्णव मंदिरों में तैयारियां जोरों पर हैं। शास्त्रों के अनुसार इसी दिन भगवान श्रीकृष्ण ने इंद्र के अहंकार को दूर करने हेतु गोवर्धन पर्वत को धारण किया था।

जयपुर के प्रमुख ठाकुरजी मंदिरों में नवधान्य से बने पकवानों का अन्नकूट भोग अर्पित किया जाएगा तथा प्रसाद स्वरूप वितरित होगा। इसी के साथ अन्नकूट महोत्सव का शुभारंभ होगा जो एक पखवाड़े तक चलेगा। गोविंद देवजी मंदिर में अन्नकूट उत्सव बुधवार को हर्षोल्लास के साथ मनाया जाएगा।

बहन के घर भोजन से होता है कल्याण

कार्तिक शुक्ल पक्ष की द्वितीया को भातृ द्वितीया या यम द्वितीया कहा जाता है जिसे भाई दूज के रूप में मनाया जाता है। मान्यता है कि इस दिन यमराज अपनी बहन यमुना के घर भोजन करने गए थे और उन्होंने वरदान दिया था कि जो भाई इस दिन अपनी बहन के घर भोजन करेगा उसे सुख-समृद्धि और दीर्घायु प्राप्त होगी। इस दिन बहनें भाइयों के माथे पर तिलक लगाकर उनके दीर्घ जीवन की प्रार्थना करती हैं और भाई अपनी बहनों को उपहार स्वरूप भेंट देते हैं।

सनत्कुमार संहिता में उल्लेख है कि भाई को भोजन कराने के बाद बहन को अपने भाई की सुख-समृद्धि और दीर्घायु के लिए मार्कंडेय, बलिराज, हनुमान, विभीषण, कृपाचार्य, अश्वत्थामा और परशुराम जैसे चिरंजीवियों के समान दीर्घायु होने की प्रार्थना करनी चाहिए। भाई दूज दीपावली पर्व का अंतिम दिन होता है, जो भाई-बहन के पवित्र संबंध और पारिवारिक स्नेह का प्रतीक है।