
फोटो: पत्रिका रघुवीर सिंह
Patrika In Education School Olympics: ‘पाई स्कूल ओलंपिक्स’ का दूसरा दिन मंगलवार को जोश, जुनून और संघर्ष से भरा नजर आया। जहां कोई गेम्स के लिए अपनी बारी का इंतजार कर रहा था तो कोई खेल मैदान में अपना दमखम दिखा रहा था। हर चेहरे पर मेडल पाने की उम्मीदें थी।
‘पाई स्कूल ओलंपिक्स’ सवाई मानसिंह स्टेडियम के 9 खेल मैदानों पर आयोजित किया जा रहा है। यह ओलंपिक्स पत्रिका इन एजुकेशन (पाई) एवं राजस्थान राज्य क्रीड़ा परिषद के सयुंक्त तत्वावधान में आयोजित हो रहा है। इसमें जयपुर शहर और ग्रामीण में स्थित स्कूल के स्टूडेंट्स विभिन्न खेलों में प्रतिभा दिखा रहे हैं।
ये 13 दिसंबर तक चलेगा। एसएमएस स्टेडियम के विभिन्न खेल मैदानों में मंगलवार को फुटबॉल, खो-खो, एथलेटिक्स में 200 मीटर, लॉन्ग जंप, शॉट पुट, ताइक्वांडो, जूडो-कराटे, जिमनास्टिक, हैंडबॉल, वॉलीबॉल समेत कई मुकाबले शुरू हुए।
फुटबॉल खेल मैदान में टीमें गोल करने के लिए कड़ा संघर्ष करती नजर आईं। हर खिलाड़ी के चेहरे पर गोल करने की उम्मीद थी। कोई गोल दागने के लिए दौड़ता रहा तो कोई गोल होने से रोकता रहा। इधर, खो-खो की लाइनों पर बच्चों की फुर्ती ने वहां मौजूद लोगों का ध्यान अपनी ओर खींचा। मैच जीतने के लिए बच्चों की दौड़ने की रफ्तार, छलांग और एनर्जी ने उनके हौसले को और बढ़ा दिया।
इधर, एथलेटिक्स में कई खेल शुरू हुए। 200 मीटर रेस में बच्चों ने अपना बेस्ट देकर मेडल के लिए दावेदारी पेश की। बच्चों के दौड़ते कदम किसी कहानी की तरह आगे बढ़ते रहे। कोई अपने साथी को पछाडऩे में लगा था तो कोई एक-दूसरे का हौसला बढ़ा रहा था। लॉन्ग जंप में भी स्टूडेंट्स ने प्रतिभा का परिचय दिया। शॉट पुट के गोले में ताकत से ज्यादा भरोसा स्टूडेंट्स के चेहरे पर आत्मविश्वास का झलक रहा था।
ताइक्वांडो, जूडो-कराटे और जिमनास्टिक की प्रतियोगिताओं में खिलाडियों का जबरदस्त उत्साह देखने को मिला। किसी की किक में आत्मविश्वास और मेहनत की झलक थी तो किसी के फ्लिप में हौसला नजर आ रहा था। जिमनास्टिक के मैट पर उछलते नन्हे कदमों ने खूब तालियां बटोरीं। हैंडबॉल और वॉलीबॉल के कोर्ट पर टीमवर्क की खूबसूरत तस्वीरें दिखी। मैच जीतने के बाद स्टूडेंट्स के चेहरे की खुशी दोगुना हो गई।
कक्षा 6 में पढ़ने वाली पंखुडी ने बताया कि पाई स्कूल ओलंपिक्स में पहली बार आई हूं। यहां आना मुझे बहुत अच्छा लग रहा है। यहां कई गेम्स चल रहे हैं। कराटे में अंडर 14 कैटेगिरी में पार्टिसिपेट कर रही हूं और गोल्ड जीतने पर मेरा फोकस है।
कक्षा 11 में पढ़ने वाले अंकित कुमावत ने बताया कि वे अंडर 18 कैटेगिरी में कराटे में खेल रहे हैं। पाई स्कूल ओलंपिक्स में पहली बार खेलने आया हूं। अपना बेस्ट देकर गोल्ड मेडल जीतना चाहता हूं। इसके लिए कई महीनों से तैयारी कर रहा हूं। कई कॉम्पीटिशन में हिस्सा ले चुका हूं। पाई स्कूल ओलंपिक्स ने न सिर्फ प्रतिभा दिखाने का मौका दिया, बल्कि यह अहसास भी दिलाया कि खेलना खुद के लिए भी बहुत जरूरी है।
PIE ओलंपिक खेलों का आयोजन खिलाडिय़ों के लिए मील का पत्थर साबित होगा यह आयोजन विद्यार्थियों को खेलों की ओर आकर्षित करने की पहल है। विद्यार्थी से खिलाड़ी बनने की पहली सीढ़ी के रूप में देखा जाए तो कोई अतिश्योक्ति नहीं है।
भंवर सिंह राघव, पूर्व चेयरमैन, राजस्थान खो-खो संघ
पाई स्कूल ओलंपिक्स का सबसे अधिक फायदा उन खिलाडिय़ों को मिलता है जो पहली बार अपने स्कूल का प्रतिनिधित्व करते हैं। यह उनकी पहली सीढ़ी होती है टीम के साथ रहने की क्योंकि खेल में हमें सबसे पहले एक होना सिखाता है। जब वे खिलाड़ी टीम के साथ खेलते हैं तो उन्हें पता चलता है कि हम एक हैं तो जीत हमारी है। यह टीम भावना उन्हें चैंपियन बनाती है।
करण सिंह, खेल अधिकारी, राज. राज्य क्रीड़ा परिषद
Published on:
10 Dec 2025 09:19 am
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