
नशे का नेटवर्क। फोटो: पत्रिका
जयपुर/श्रीगंगानगर। राजस्थान पत्रिका के अभियान नशा मुक्ति संग्राम में राजधानी जयपुर में खुलेआम नशे की बिक्री के खुलासे के बाद पत्रिका टीम ने प्रदेश में नशे की तस्करी के अलग-अलग रास्तों की पड़ताल की तो चौंकाने वाले खुलासे हुए। सीमावर्ती इलाकों से नशे का जहर राजस्थान में उतारा जा रहा है।
यह नशा पाकिस्तान और पंजाब सीमा से सटे श्रीगंगानगर-हनुमानगढ़ जिलों में ड्रोन के जरिए हेरोइन, तो उत्तरप्रदेश से धौलपुर के रास्ते भांग और गांजे के रूप में आ रहा है। मध्यप्रदेश के नीमच से अफीम, तो गुजरात से सिरोही के रास्ते मेडिकेटेड ड्रग प्रदेश में खपाई जा रही है।
देशभर और सरहद पार के मादक पदार्थों के तस्करों के लिए नशे की खेप पहुंचाने के लिए श्रीगंगानगर सबसे आसान पहुंच बन गया है। यही वजह है कि नशाखोरी के मामलों में श्रीगंगानगर जिला प्रदेश में पहले पायदान पर है। तस्करों ने पुलिस और अन्य सुरक्षा एजेंसियों की नजरों से बचते हुए नशे की खेप को यहां पहुंचाने के लिए कई रास्ते खोज निकाले हैं। बस या ट्रेन में मादक पदार्थ की तस्करी पुरानी बात हो चुकी है।
अब भारत माला रोड समेत कई एक्सप्रेस वे तस्करों के लिए सबसे सुरक्षित रूट बन गए हैं, जिनसे होते हुए वे जिले की सीमा में प्रवेश करते हैं और फिर अलग-अलग रास्तों से होते हुए उस जगह तक पहुंच जाते हैं, जहां नशे की डिलीवरी देनी होती है।
पाक तस्करों ने 210 किमी लंबी भारत-पाक सीमा पर जहां ड्रोन के जरिए हेरोइन की खेप गिराने के बाद पंजाब के ड्रग माफिया से जुड़े स्थानीय तस्कर रातोरात उठा कर पंजाब तक पहुंचा देते हैं।
एनसीबी जोधपुर जोनल टीम की कार्रवाई में श्रीगंगानगर की एक आवासीय कॉलोनी में पिछले दिनों मेफेड्रोन (एमडी) ड्रग्स बनाने की फैक्ट्री पकड़ी गई थी। इसका संचालन कोई ड्रग माफिया नहीं बल्कि एक सरकारी शिक्षक और एक निजी स्कूल के शिक्षक कर रहे थे। ये दोनों 14 करोड़ की एमडी ड्रग बना उसकी सप्लाई कई जिलों में कर चुके थे।
पूरे प्रदेश पर इस समय सिंथेटिक नशे का खतरा मंडरा रहा है। अब नशे का नेटवर्क मुंबई में बैठे डॉन नहीं, बल्कि स्थानीय तस्कर चला रहे हैं। उनके निशाने पर हैं कॉलेज और कोेचिंग विद्यार्थी।
-घनश्याम सोनी, जोनल डायरेटर, नारकोटिस कंट्रोल यूरो, जोधपुर
Published on:
10 Dec 2025 08:57 am
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