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कहानी एक सोनोग्राफी मशीन की, जो हो गई अनाथ…

कमीशन के खेल के चलते सालों से नहीं लग सकी सरकारी अस्पताल में मशीन, नतीजा प्रदर्शन...

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जयपुर
दुखभरी यह कहानी एक सोनोग्राफी मशीन की है, मशीन एक सरकारी अस्पताल मे बंद है। मशीन के लिए कस्बे वालों ने दर्जनों लड़ाई लड़ी, ज्ञापन दिए,प्रदर्शन किए। सरकार का दबाव भी झेला, महीनों की मशक्कत के बाद जब मशीन को चालू करने का नंबर आया तो इस बार सरकारी दबाव भारी पड़ा। जो अस्पताल स्टाफ उसे चालू करने की तैयारी कर रहा थ कुछ घंटे पहले ही उसी का तबादला कर दिया गया। अब मशीन फिर से अनाथ है, मशीन को चालू कराने के लिए फिर से धरने और प्रदर्शन शुरु हो गए हैं। लेकिन अस्पताल प्रबंधन ने मशीन को चालू नहीं करने के मामले को नाक का सवाल बना लिया है। अब प्रबंधन और कस्बे के हजारों लोग आमने-सामने हैं....। मशीन मंगाने, उसे लगाने ओर अब उसे चालू करने के लिए फिर से कस्बे वाले जंग के मूड में हैं.....।

तीन लाख पचास हजार की आबादी के बीच है एक मशीन
जयपुर के पास स्थित बस्सी कस्बे की आबादी करीब तीन लाख पचास हजार लोगों की है। बस्सी में स्थित सरकारी अस्पताल में हर दिन करीब पद्रह सौ से भी ज्यादा का आउटडोर है। इनमें करीब दो सौ से ढ़ाई सौ प्रसूताएं हैं। प्रसूताओं की जांच के लिए कुछ साल पहले लोगों ने एक सोनोग्राफी मशीन की डिमांड की। सरकार ने कहा फंड नहीं है तो कस्बे के लोगों ने एक दानदात को तैयार कर लिया। दानदाता से करीब डेढ़ साल पहले एक मशीन भी डोनेट करा ली। लेकिन उसके बाद भी मशीन शुरु नहीं हो सकी। पिछले दिनों कस्बे वालों ने फिर से प्रदर्शन किया तो एक स्टाफ को मशीन चालू करने के लिए लगा दिया गया। लेकिन मशीन चालू होने से कुछ समय पहले ही उसका तबादला कर दिया गया।

चालीस से भी ज्यादा धरने और प्रदर्शन किए पांच साल में
पांच साल में बस्सी वालों ने मशीन लगाने के लिए चालीस से भी ज्यादा प्रदर्शन किए। सरकार तैयार भी हुई लेकिन सरकार तो सरकार है, सरकार ने मशीन नही ंभेजी। कस्बे वालों ने मशीन का जुगाड़ भी कर लिया, लेकिन उसके बाद भी मशीन स्टार्ट नहीं हो सकी। शुक्रवार सोलह मार्च को मशीन के लिए बैठक हुई। मशीन चालू करने की बात ीा हुई, लेकिन उसके बाद भी मशीन चालू करने वाला का तबादला कर दिया गया। कस्बे वालों को पता चला तो आज सवेरे सैंकड़ों लोगों ने प्रदर्शन किया। सरकारी अफसरों, सीएम और पीएम तक को लैटर भेज दिया। अब देखना यह है कि यह मशीन चालू होती है या फिर विरोध और प्रदर्शन होते हैं।

पूरा खेल तीन करोड़ सालाना कमीशन खोरी का
दरसअल सरकारी अस्पताल के आसपास सोनोग्राफी मशीनों के कई सेंटर हैं। यहां पर करीब पंद्रह सौ रुपए तक में जांच की जाती हैं। सरकारी अस्पताल के डॉक्टर हर दिन करीब सौ से एक सौ पचास सोनोग्राफी लिखते हैं। हर दिन करीब एक लाख रुपए तक की जांचे निजी लैब पर हो रही हैं। सालाना कारोबार तीन करोड़ रुपए से भी ज्यादा का है। कस्बे वालों का कहना है कि अस्पताल के डॉक्टर्स ने लैब वालों से सांठगाठ कर रखी है। इस कारण मशीन नहीं लग पा रही है।

यह कहना है जनप्रतिनिधियों और डॉक्टर्स का
सोनोग्राफी में कमीशन का खेल है जिसकी वजह से अस्पताल प्रशासन सोनोग्राफी मशीन नही लगा रहा है इसकी शिकायत भी राजस्थान पोर्टल पर भी की जा रही है। - विनोद कुमार शर्मा सरपंच ग्राम पंचायत बस्सी
सोनोग्राफी मशीन लगाने को लेकर अस्पताल प्रशासन की मन्शा में खोट है सोनोग्राफी में अस्पताल द्वारा बडा खेल है। उसको लेकर जन आन्दोलन किया जायेगा।- बेनी प्रसाद कटारिया, जिला पार्षद
सोनोग्राफी मशीन खराब होने के कारण मशीन दुसरी मंगवाई जा रही है इसके लिये सीएमएचओ को अवगत करवा दिया गया है - डॉ0 दिनेश मित्तल प्रभारी सीएचीसी बस्सी
सोनोग्राफी मशीन का तैयारिया पुरी हो चुकी है लेकिन किन कारणो की वजह से प्रभारी मशीन नही चालू करा रहे है इसके लिये सीएमएचओ को अवगत करा दिया गया है- डॉ0 दिनेश मीना बीसीएमओ बस्सी