
जयपुर। राजस्थान विधानसभा में सोमवार को प्रश्नकाल के समाप्ति के तुरंत बाद अजब-गजब स्थिति देखने को मिली। शून्यकाल समाप्ति के तुरंत बाद विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी विधानसभा चलाने के लिए कुछ व्यवस्थाएं दे रहे थे, उसी दौरान ही उसी व्यवस्था का विधायक खुले आम उल्लंधन करते नजर आए। इस पर विधानसभा अध्यक्ष को करीब दो मिनट तक विधायकों का समझाना पड़ा। आखिर में विधानसभा अध्यक्ष देवनानी को यहां तक बोलना पड़ गया है कि "यह क्या तमाशा हुआ, जिस व्यवस्था को ही सुधारने के लिए मैं आपको समझा रहा हूं, आप उसी व्यवस्था का ही उल्लंधन कर रहे हैं। फिर कहते हो कि अध्यक्ष कठोर व्यवहार करते हैं।"
दरअसल विधानसभा की कार्यवाही के दौरान विधायक के व्यवहार को लेकर कुछ परेशानी आ रही थी। इस पर विधानसभा अध्यक्ष देवनानी ने प्रश्नकाल समाप्त होते हुए व्यवस्थाएं देना शुरू किया। इस दौरान एक व्यवस्था में उन्होंने कहा कि "जब आसन पैरों पर हो तो कोई खड़ा नहीं होगा। इसके बाद पक्ष-विपक्ष के विधायक आपस में खड़े होकर बोलते रहे।
तब विधानसभा अध्यक्ष को बोलना पड़ा कि एक तरफ मैं निर्देश दे रहा हूं। व्यवस्था बता रहा हूं और आप उसी व्यवस्था का उल्लंघन कर रहे हैं। जिसका मैं निर्देश दे रहा हूं उसका उल्लंघन हाथों-हाथ कर रहे हैं। यह समझाने में अध्यक्ष को काफी समय लग गया। अध्यक्ष को बार-बार संसदीय मंत्री को ही समझाना पड़ा। मैं सबको निर्देश दे रहा हूं। फिर आप कहेंगे कि मैं कठोर हो रहा हूं। चाहे को पक्ष का हो या फिर विपक्ष का। यह नियम सभी पर लागू होगा।
1-किसी विधायक को यह लगता है कि उत्तर सही नहीं है। उसके भी कुछ प्रावधान हैं। हर प्रश्न पर यह कहना कि उत्तर सही नहीं आया है। हर उत्तर आपके अनुकूल आए यह संभव है। यदि उत्तर गलत है तो आप उसको नियमों में दीजिए। उसकी जांच कराई जाएगी। उसका सही उत्तर भी दिलाया जाएगा।
2-सदन में जब हम भाषण करते हैं तो कोई किसी को टोके नहीं । और साथ ही अपनी भाषा में शालीनता रहे। परसो जिस प्रकार से विधायक गणेश घोघरा की भाषा थी। वह अब सही भाषा में काम लें। यह निर्देश देता हूं।
3--आसन जब भी पैरों पर उसके बाद अंदर आकर बैठने की कोशिश नहीं करें।
4-कोई भी सदस्य आसन के बोलते वक्त सीट से उठे नहीं। और न ही कोई प्रवेश करें।
5-कोई भी सदस्य अन्य सदस्य के बोलते समय उसके सामने से नहीं गुजरे। यह कोई नहीं बात नहीं है। पुरानी परम्परा है। मुझे लगता है कि कुछ सदस्य नए आए हैं। अब हमें सवा साल हो गया है। अब भी स्वभाव में नहीं आया है।
6-सदन में फोन पर बात करना प्रतिबंधित है।
7-अनुदान मांगों पर संबंधित मंत्री व संबंधित अधिकारी सदन में मौजूद रहें। इसका कठोरता से पालन करें।
8-विधानसभा में हंगामा करने से हाइलाइट नहीं होंगे, हाइलाइट होंगे सदन में अपना विषय की गंभीरता से व तर्क पूर्ण रखें। वहीं आपको आगे बढाता है।
Updated on:
03 Mar 2025 12:46 pm
Published on:
03 Mar 2025 12:45 pm
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