
AI Reunion: जयपुर. पाकिस्तान के इस्लामाबाद में 2008 का एक साधारण दिन। 10 साल की किरण बीबी पड़ोस में आइसक्रीम खरीदने निकली थी और रास्ता भूल गई। रोते-रोते एक दयालु महिला उसे ईदी सेंटर ले गई। पता नहीं चला तो बिलकिस ईदी ने उसे कराची के अपने शेल्टर होम में जगह दी। बचपन से जवानी तक किरण ने वहीं बिताई। मां-बाप ने सालों तक ढूंढा, अखबारों में तस्वीरें छपवाईं, लेकिन उम्मीद टूट गई।
अब वो बच्ची एआई के फेशियल रिकग्निशन टूल की मदद से मिल गई है। राजस्थान पुलिस ऑपरेशन खुशी सहित कई अन्य जगहों पर इस टूल का इस्तेमाल कर रही है। पुलिस को कई ब्लाइंड केस में इस टूल से मदद मिली है।
ईदी फाउंडेशन ने पंजाब सेफ सिटी प्रोजेक्ट के साइबर एक्सपर्ट नबील अहमद से मदद मांगी। नबील ने किरण की लेटेस्ट फोटो को 2008 की पुरानी मिसिंग रिपोर्ट से एआई फेशियल रिकग्निशन टूल से मिलाया। कुछ ही घंटों में डिजिटल ट्रेल ने किरण के पिता अब्दुल मजीद तक पहुंचा दिया। जब फोन पर खबर मिली तो पिता को यकीन ही नहीं हुआ। वे तुरंत कराची भागे और 17 साल बाद बेटी को गले लगा लिया। ये एक रियल लाइफ स्टोरी है, जो हाल ही पाकिस्तान के प्रमुख मीडिया हाउसेज़ में ब्रेक हुई है। 2008 की मिसिंग रिपोर्ट को एआई से मैच करने में पुलिस ने डेटा शेयर किया। पुरानी रिपोर्ट को डिजिटल डेटाबेस से लिंक करने पर ब्रेकथ्रू मिला।
घर लौटने की खुशी है, पर ईदी परिवार को छोडऩे का दुख भी। किरण ने कहा,"बिलकिस आपा ने मुझे मां बनकर पाला। मैं हमेशा उनकी शुक्रगुजार रहूंगी।"
ये पंजाब प्रोविंशियल गवर्नमेंट ऑफ पाकिस्तान (लाहौर बेस्ड) का प्रोजेक्ट है। येे प्रोजेक्ट 2015-16 से चल रहा है और लाहौर, रावलपिंडी, फैसलाबाद, गुजरांवाला, मुल्तान जैसे पाकिस्तानी शहरों में 10,000 से ज्यादा सीसीटीवी कैमरे और एआई-बेस्ड फेशियल रिकग्निशन सिस्टम लगा हुआ है।
एआई ने "फेशियल रिकग्निशन" (चेहरा पहचानने वाली तकनीक) का इस्तेमाल करके एक पुरानी पुलिस रिपोर्ट को जादू की तरह जोड़ा।
2008 में इस्लामाबाद पुलिस ने किरण की मिसिंग रिपोर्ट दर्ज की थी। इसमें उसकी उम्र (10 साल), लोकेशन, और शायद एक पुरानी फोटो थी। अब 17 साल बाद किरण 27 साल की हो चुकी थीं। चेहरा बदल गया, बाल लंबे थे। लेकिन एआई की मदद से लेटेस्ट फोटोज और बचपन की धुंधली यादों को जोड़ा।
एआई-पावर्ड फेशियल रिकग्निशन सॉफ्टवेयर यूज किया। ये टूल चेहरे के खास फीचर्स (आंखों की दूरी, नाक का शेप, जबड़े की लाइन) को "की-पॉइंट्स" में बदल देता है। पुरानी रिपोर्ट की फोटो को स्कैन किया। नई फोटो से मैच किया। एआई ने इसे 99 प्रतिशत एक्यूरेसी से कन्फर्म किया कि ये वही लडक़ी है, भले ही उम्र बढ़ गई हो। इसमें क्लीयर व्यू, ऐज प्रोगरेशन फीचर का इस्तेमाल किया।
मैच पक्का होने पर एआई ने ट्रैकिंग टूल्स चालू किए। ये टूल्स पुरानी रिपोर्ट से नाम, लोकेशन (इस्लामाबाद का मोहल्ला) एक्सट्रैक्ट किए। पाकिस्तान के बड़े डेटाबेस पुलिस रिकॉर्ड्स, जनरल पॉपुलेशन डेटा में सर्च किया। डिजिटल ट्रेल बनाया जैसे किरण के पिता अब्दुल मजीद का नाम और कॉन्टैक्ट ट्रेस किया। एआई ने पैटर्न मैचिंग से फैमिली लिंक्स ढूंढे जैसे वोटर आईडी या पुराने रिकॉर्ड्स से। एआई ने सिर्फ मैच नहीं किया, बल्कि प्रेडिक्टिव एनालिसिस से संभावित फैमिली मेंबर्स को लिस्ट भी बनाया।
एआई ने इंसानी याददाश्त की कमजोरी को पूरा किया। पुरानी फोटो धुंधली थी, लेकिन एआई के एल्गोरिदम ने 17 साल के बदलाव को हैंडल किया।
खास बात
किरण ईदी शेल्टर की पांचवीं लडक़ी है जिसे एआई और पुलिस की साझेदारी ने परिवार से मिलाया।
Updated on:
27 Nov 2025 03:59 pm
Published on:
27 Nov 2025 03:58 pm
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