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New District In Rajasthan : …इसलिए CM अशोक गहलोत को राजस्थान में बनाने पड़े 19 जिले

New District In Rajasthan : राजस्थान में जिलों की घोषणा के बाद अंदरखाने यह बात चल पड़ी रही है कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को 19 जिले आखिर क्यों बनाने पड़े। जिलों की बंपर घोषणा में जहां जनता की सहूलियत को आधार माना गया है, वहीं आधे से अधिक नए जिलों को सियासतदारों के प्रभाव का तोहफा बताया जा रहा है।

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New District In Rajasthan : राजस्थान में जिलों की घोषणा के बाद अंदरखाने यह बात चल पड़ी रही है कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को 19 जिले आखिर क्यों बनाने पड़े। जिलों की बंपर घोषणा में जहां जनता की सहूलियत को आधार माना गया है, वहीं आधे से अधिक नए जिलों को सियासतदारों के प्रभाव का तोहफा बताया जा रहा है। इस बीच सियासी कारणों से बनाए कुछ जिलों को लेकर सवाल उठ रहा है कि ये अपने खर्च का बोझ उठाने लायक भी राजस्व जुटा पाएंगे या नहीं?

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जिला बनने की घोषणा से दूदू व खैरथल तो राष्ट्रीय स्तर पर पहचान बनाने में कामयाब हो गए हैं। वहीं जिलों की घोषणा करते समय मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने पूर्व विधानसभा अध्यक्ष कैलाश मेघवाल की ओर इशारा कर कहा, आपको जिला दे दिया है। इस घोषणा से पहले अचानक से केकड़ी को जिला बनाने की मांग जोर पकडऩे से सब चौंक गए थे। ग्राउंड रिपोर्ट ली गई, तो सामने आया कि नए जिले बनने में सियासतदारों की भूमिका भी रही है।

नए जिलों की स्थिति को लेकर पड़ताल
शाहपुरा (भीलवाड़ा) : संभावित आबादी-करीब 10 लाख
संभावित क्षेत्र- भीलवाड़ा जिले का शाहपुरा, जहाजपुर व
आसींद क्षेत्र।
जिला बनने का आधार- जहाजपुर क्षेत्र के कुछ गांव भीलवाड़ा से 100 किलोमीटर से भी ज्यादा दूर हैं। आबादी और राजनीतिक आधार पर जिला बनाया गया है। पूर्व विधानसभा अध्यक्ष कैलाश मेघवाल भी प्रयासरत थे।
जनता बोली- पुनर्गठन सही है।

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गंगापुरसिटी : संभावित आबादी-आठ लाख
संभावित क्षेत्र- गंगापुर सिटी, बामनवास, वजीरपुर तथा करौली जिले के नादौती तथा टोडाभीम उपखंड।
जिला बनने का आधार- जिला मुख्यालय से अंतिम छोर की दूरी 105 किलोमीटर है, जो
अब नए मुख्यालय से 60 किलोमीटर होगी।

केकड़ी : संभावित आबादी- करीब 10 लाख
संभावित क्षेत्र- केकड़ी के साथ ही सावर, पंडेर, सरवाड़, सर्राना, मसूदा, भिनाय उपखंड के नागोला का कुछ हिस्सा, टोंक जिले के देवली, लाम्बा हरिङ्क्षसह, उनियारा, टोडारायङ्क्षसह व मालपुरा के हिस्से, भीलवाड़ा जिले का जहाजपुर।
जिला बनने का आधार- सियासी कारण होने के साथ ही जिला मुख्यालय भी 100 किमी दूरी पर था।
जनता बोली- रोजगार के अवसर बढ़ेंगे। अब जल्द ही केकड़ी रेल सुविधा से जुड़ जाएगा।

सलूम्बर : संभावित आबादी-करीब 12 लाख
संभावित क्षेत्र-सलूम्बर के साथ ही डूंगरपुर जिले के आसपुर, साबला क्षेत्र भी शामिल हो सकते हैं।
जिला बनने का आधार- आदिवासी क्षेत्र को उदयपुर से अलग किया गया है। कुछ गांवों की उदयपुर से दूरी करीब 100 किलोमीटर थी। करीब चार दशक से मांग हो रही थी। कांग्रेस उदयपुर के बजाय सलूम्बर में ज्यादा ताकतवर होने के कारण भी दावा मजबूत हुआ।
जनता बोली- अलग पहचान
देना सही।

खैरथल : संभावित आबादी-8 से 10 लाख
संभावित क्षेत्र- खैरथल, तिजारा, भिवाड़ी, मुंडावर व किशनगढ़बास क्षेत्र को शामिल किया जा सकता है।
जिला बनने का आधार- राजनीतिक कारण हावी रहे। भिवाड़ी हरियाणा सीमा पर होने के कारण दौड़ में पिछड़ गया।
जनता बोली- कृषि प्रधान
क्षेत्र है, जिला बनने से विकास
के द्वार खुलेंगे।

डीग -संभावित आबादी- 8.74 लाख
संभावित क्षेत्र- कामां, पहाड़ी, नगर, सीकरी व कुम्हेर क्षेत्र के 726 राजस्व गांव, 6 उपखंड, 9 तहसील एवं 5 पंचायत समितियां शामिल होंगी।
जिला बनने का आधार- पर्यटन विकास होगा। राजनीतिक कारण भी बताए जा रहे हैं।
जनता बोली- परिणाम अच्छे
ही आएंगे।

इनके पीछे भी सियासत
दूदू के जिला बनने के पीछे भी सियासत बताई जा रही है। बालोतरा, कोटपूतली, सांचौर को दूरी के कारण जिला बनाने की आवश्यकता थी, लेकिन सियासतदारों की भूमिका को भी नकारा नहीं जा सकता। जयपुर को दो जिलों में बांटने का मंत्री-विधायक विरोध कर रहे हैं।

सियासतदारों को मिल रहा श्रेय
मदन प्रजापत, कैलाश मेघवाल, विश्वेन्द्र सिंह, रघु शर्मा, राजेन्द्र यादव, सुखराम विश्नोई, बाबूलाल नागर, रामकेश मीणा, दीपचंद खेरिया, शंकर सिंह रावत।