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जयपुर में पहला कृत्रिम बारिश का प्रयोग सफल, रामगढ़ बांध इलाके में उड़ाए गए 2 ड्रोन… 40 मिनट बरसे बादल

जयपुर में पहला क्लाउड सीडिंग ऑपरेशन सफलतापूर्वक पूरा किया गया।

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Artificial Rain

Photo- Meta AI

Jaipur Artificial Rain Experiment Successful: जयपुर के रामगढ़ बांध पर ड्रोन से कृत्रिम बरसात का पहला प्रयोग सफल रहा। सोमवार को कंपनी ने हाइड्रोट्रेस प्लेटफ़ॉर्म और मेक इन इंडिया ड्रोन का उपयोग करते हुए पहला क्लाउड सीडिंग ऑपरेशन सफलतापूर्वक संपन्न किया। ऑपरेशन सुबह 6.30 बजे से 11.30 बजे तक चला। जिससे रामगढ़ बांध क्षेत्र में 40 मिनट में 0.8 MM बारिश हुई।

जमवारामगढ़ में एक निजी कंपनी ने हाइड्रोट्रेस (एआई-संचालित प्लेटफ़ॉर्म) का उपयोग करते हुए पहला सफल क्लाउड सीडिंग ऑपरेशन पूरा किया है। इस पायलट प्रोजेक्ट में मेक इन इंडिया ड्रोन का उपयोग किया गया। जिन्हें हाइड्रोट्रेस के उन्नत जलवायु विज्ञान और एआई-आधारित सीडिंग मॉड्यूल्स के साथ एकीकृत किया गया। यह स्वदेशी नवाचार और वैश्विक तकनीकी नेतृत्व के बीच तालमेल को दर्शाता है।

सटीक क्लाउड सीडिंग ऑपरेशन संपन्न

सोल्यूशन ऑफिसर शशांक तामन ने बताया कि सोमवार सुबह 08:30 बजे , दो ड्रोन तैनात किए गए। जिन्होंने जयपुर के रामगढ़ बांध क्षेत्र में सटीक क्लाउड सीडिंग ऑपरेशन संपन्न किया। यह मिशन हाइड्रोट्रेस की भविष्यवाणी करने वाली मौसम विज्ञान के माध्यम से योजनाबद्ध था और स्वचालित ड्रोन पेलोड नियंत्रण से निष्पादित किया गया।

मौसम संबंधी विवरण

क्लाउड बेसः ~800 मीटर (2,600 फीट) समुद्र तल से ऊपर

निर्देशांक: 27.020°N, 76.040°E

क्लाउड विस्तारः ~0.8 किमी क्षैतिज फैलाव

सीडिंग ऊंचाई: 850 मीटर

सीडिंग एजेंटः हाइड्रोट्रेस गाइडेंस के अंतर्गत ड्रोन पेलोड द्वारा फैलाया गया

ड्रोन: दो स्वदेशी निर्मित (मेक इन इंडिया) ड्रोन, हाइड्रोट्रेस" पेलोड इंटीग्रेशन के लिए विशेष रूप से तैयार

0.6 MM हुई कृत्रिम बारिश

सीडिंग के बाद विश्लेषण से बादलों की माइक्रोफिज़िक्स में वृद्धि की पुष्टि हुई। बूंदों का आकार और सांद्रता बढ़ी, जिसके परिणामस्वरूप वर्षा की शुरुआत हुई। अनुमानित वर्षा 0.6 मिमी थी, जबकि वास्तविक माप ~0.8 मिमी रहा, जो सकारात्मक सीडिंग प्रभाव को दर्शाता है। यह सफलता बताती है कि मेक इन इंडिया ड्रोन, जब हाइड्रोट्रेस की एआई क्षमता से सशक्त होते हैं तो जल वृद्धि में ठोस परिणाम दे सकते हैं। भारत की दीर्घकालिक जल सुरक्षा रणनीति को सहयोग प्रदान कर सकते हैं।