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वसुंधरा राजे घमंडी मुख्यमंत्री, सरकार नकारा और निकम्मी, लोगों में भयंकर आक्रोश: गहलोत

पूर्व मुख्यमंत्री एवं कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव अशोक गहलोत ने कहा है कि मुख्यमंत्री वसुन्धरा राजे और उनकी पूरी सरकार नाकारा एवं निकम्मी साबित

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जयपुर

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Pankaj Soni

Mar 29, 2018

gahlot on raje

जयपुर। पूर्व मुख्यमंत्री एवं कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव अशोक गहलोत ने कहा है कि मुख्यमंत्री वसुन्धरा राजे और उनकी पूरी सरकार नाकारा एवं निकम्मी साबित हो चुकी है। अब कोई भी नया चेहरा लेकर आयें, तब भी कोई फर्क नहीं पडने वाला है। जनता मानस बना चुकी है, लोगों में भयंकर आक्रोश है।
पूर्व मुख्यमंत्री ने बुधवार को प्रदेश कांग्रेस कार्यालय में एक कार्यक्रम में भाग लेने के बाद मीडिया से बात करते हुए कहा कि लोगों की शिकायत है कि 163 सीटें देने के बाद भी उनका कसूर क्या है? इसके बावजूद मुख्यमंत्री का जो व्यवहार रहा वो कष्टदायक है। राज्य की भाजपा सरकार पूरी तरह एक्सपोज हो चुकी है।

एक प्रश्न के जवाब में गहलोत ने कहा कि वसुन्धरा चाहे यात्रा निकालें, किसी भी प्रकार से प्रयास करें, जनता गुमराह होने वाली नहीं है। पिछली यात्रा में भी उन्होंने 15 लाख नौकरियां देने, महिलाओं को संरक्षण, महंगाई को कम करने, किसानों का ध्यान रखने जैसे तमाम वायदे किये थे, जो अभी तक पूरे नहीं हुए। उस वक्त मोदीजी का चेहरा था इसलिए वो कामयाब हो गयी, अब जनता उनकी असलियत समझ चुकी है। चार साल में इन्होंने प्रदेश को बर्बाद कर दिया है। काम करना तो दूर, चार साल में लोगों से मिलना तक उचित नहीं समझा। अगर मिल भी लेते तो जनता का आधा दर्द कम हो जाता। अब किस मुंह से, किस नाम से यात्रा निकालेंगे, ये देखने वाली बात है।

गहलोत ने कहा कि मुख्यमंत्री की सोच घमण्ड की है। अभी तीन उप चुनाव में भारी वोटों से हारने के बाद भी उनका अहम् अभी तक गया नहीं है और जनता में जब तक उनका ऐसा व्यवहार रहेगा, उतना ही आक्रोश बढता जायेगा। मंत्रियों और विधायकों से कहा गया है कि अपने क्षेत्र में दौरे करो लेकिन वो ऐसा करने की स्थिति में नहीं हैं क्योंकि उन्हें मिलने वाले प्रार्थना पत्रों पर कोई कार्यवाही नहीं होती। उन्होंने कहा कि स्वयं मुख्यमंत्री बीकानेर , भरतपुर, उदयपुर में 15-15 दिन के दौरे पर मंत्रिमण्डल के साथ रही। उस दौरान उन्हें मिले ज्ञापनों पर अब तक क्या कार्यवाही हुई, किसी को पता नहीं। अब वे फिर दौरे पर जा रही हैं, अब जनता का मूड क्या है, उनको पता लग जायेगा। उन्होंने कहा कि गृह मंत्री गुलाबचन्द कटारिया तथा बिजली मंत्री पुष्पेन्द्र सिंह को कोटा और जालौर में कार्यकर्ताओं के गुस्से के कारण मीटिंग छोडकर भागना पडा।

पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि भाजपा ने सत्ता में आते ही पूर्ववर्ती कांग्रेस द्वारा विभिन्न समाजों को आवंटित की गयी जमीनों को निरस्त कर दिया। अब चुनावों की निकटता को देखते हुए उन्हीं समाजों को वही जमीन फिर से आवंटित कर मुख्यमंत्री क्या संदेश देना चाहती हैं? यह सब समझते हैं। रिफाइनरी की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि अब रिफाइनरी के लिये 26 प्रतिशत भागीदारी ही क्यों? चार साल पहले यही आरोप लगा था, अब वो ही रिफाइनरी पुनः 26 प्रतिशत की भागीदारी पर लगाई जाने की घोषणा की गई है। इसके शिलान्यास के लिये प्रधानमंत्री को बुलाया गया, हमने विरोध किया तो नाम बदल दिया। प्रधानमंत्री का कोई प्रोग्राम बन जाये, कार्ड छप जाये और फिर कहना पडे कि वे शिलान्यास के लिये नहीं, कार्य शुभारम्भ के लिये आ रहे हैं, समझा जा सकता है कि इससे सरकार की कितनी दुर्गति हुई है, ऐसा देश में पहली बार हुआ है।

लोकतंत्र में धरने और प्रदर्शन का जिक्र करते हुए पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि लोकतांत्रिक प्रक्रिया में धरने एवं प्रदर्शन अपनी भावनाओं को प्रकट करने का माध्यम है, उन्हें बल के आधार पर दबाना किसी भी रूप में उचित नहीं है। मुख्यमंत्रीजी चाहे झुन्झुनू में नारे लगाने वाले हों, सीकर में महिलायें रास्ता रोकें, आम जनता या कोई वर्ग टीचर, डाक्टर, इन्जीनियर या फिर कर्मचारी हो, वे बीजेपी के कार्यालय के बाहर धरना प्रदर्शन करेंगे तो क्या उन पर लाठीचार्ज करवाओगे? बीजेपी सरकार के आने के बाद अब तक 15 बार लाठीचार्ज हो चुका है।