प्रदेश में विवाह समारोह सहित राजनीतिक, सामाजिक, धार्मिक, सांस्कृतिक इत्यादि आयोजनों में शामिल होने वाले लोगों की संख्या अधिकतम 100 होगी। मास्क नहीं पहनने पर लगाया जाने वाला जुर्माना बढ़ाकर अब 500 रुपए कर दिया गया है। पहले यह जुर्माना राशि 200 रुपए थी। राज्य सरकार के इन दिशा-निर्देशों की अवहेलना करने वालों के खिलाफ सख्त कार्यवाही की जाएगी।
ये निर्णय मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की अध्यक्षता में शनिवार रात मुख्यमंत्री निवास पर मंत्रिपरिषद की बैठक में किए गए। बैठक में बताया गया कि हरियाणा एवं महाराष्ट्र जैसे राज्यों ने स्कूल-कॉलेज खोले थे लेकिन कोरोना के बढ़ते मामलों को देखते हुए एक सप्ताह में ही उन्हें वापस बंद करने का निर्णय लेना पड़ा। दिल्ली एवं महाराष्ट्र में छठ पूजा जैसे महत्वपूर्ण धार्मिक आयोजनों पर भी रोक लगाई गई। राजस्थान में नवम्बर माह में प्रदेश में भी प्रतिदिन पॉजिटिव केसेज की संख्या 1700 से बढ़कर 3000 प्रतिदिन हो गई है। प्रदेश के 8 जिलों में पॉजिटिव रोगियों की संख्या अचानक बढ़ी है।
सरकारी और निजी दफ्तरों में 75 फीसदी स्टाफ कोरोना से सर्वाधिक प्रभावित प्रदेश के आठ जिलों जयपुर, जोधपुर, कोटा, बीकानेर, उदयपुर, अजमेर, अलवर एवं भीलवाड़ा शहरों में 100 से अधिक स्टाफ वाले सरकारी एवं निजी दफ्तरों में 75 फीसदी स्टाफ को दफ्तर बुलाया जाएगा। कार्य दिवसों में कार्मिकों की उपस्थिति 75 प्रतिशत से अधिक नहीं होगी। इन संस्थानों एवं कार्यालयों में स्टाफ को रोटेशन के आधार पर बुलाया जाएगा, ताकि किसी भी वर्किंग-डे पर 75 प्रतिशत से अधिक कर्मचारी कार्यालय में उपस्थित नहीं हों।
कम गंभीर रोगियों को निजी कोविड अस्पतालों में भी डे-केयर सुविधा बैठक में निर्णय किया गया कि कोविड का इलाज कर रहे निजी अस्पतालों में भी रोगी की मांग पर राजकीय कोविड चिकित्सालयों की तरह डे-केयर उपचार की अनुमति राज्य सरकार की निर्धारित दरों पर होगी। डे-केयर उपचार के तहत कम गंभीर कोविड रोगियों को जरूरी दवाइयां एवं अन्य चिकित्सा उपलब्ध कराने के बाद दो-तीन घंटे के भीतर वापस घर भेजा जा सकेगा। डे-केयर सुविधा से अस्पतालों में भर्ती होने के लिए आने वाले गंभीर रोगियों को बिस्तर की उपलब्धता में आसानी रहेगी।
निजी मेडिकल कॉलेजों से जुड़े अस्पताल कोविड अस्पताल बन सकेंगे निजी मेडिकल कॉलेजों से जुड़े कुछ अस्पताल जरूरत पडऩे पर कोविड डेडिकेटड अस्पताल बनाने के लिए अधिगृहित करने के लिए सैद्धान्तिक सहमति दी गई। इसकी विस्तृत प्रक्रिया तय करने एवं कार्यवाही के लिए चिकित्सा शिक्षा विभाग को अधिकृत किया गया है। मेडिकल कॉलेज तृतीय वर्ष एवं चतुर्थ वर्ष के मेडिकल छात्रों की कक्षाएं शुरू कर सकेंगे। इन मेडिकल छात्रों को कोविड-19 के लिए ड्यूटी पर भी लगाया जा सकेगा।