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चुनावी साल में गहलोत-पायलट में फिर तनातनी, क्या कांग्रेस का करेगी बंटाधार, दिल्ली हेडक्वाटर परेशान

चुनावी साल में हर पार्टी अपने असंतुष्ट नेताओं को खुश करने जुगत में रहती है लेकिन राजस्थान कांग्रेस बयार उल्टी बह रही है मुख्यमंत्री गहलोत और पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट बीच बयानी जंग छिड़ी हुई है

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राजस्थान में राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा ने गहलोत और पायलट की तनातनी को थोड़ा कम जरुर किया लेकिन दोनों के दिल नहीं मिल पाए। गाहे-बगाहे ये दोनों एक दूसरे पर अपने बयानों के तीर छोड़ते रहते है। हाल ही में गहलोत ने इशारों-इशारों में पायलट की 'बड़ा कोरोना' कह दिया और पायलट ने पलटवार करते हुए कहा 'बिना हड्डी की जीभ को संतुलित रखना जरूरी' होता है। चुनावी साल में राजस्थान कांग्रेस नेतृत्व में एकता नहीं है पार्टी के भीतर की स्थिती क्या होगी ये समझना ज्यादा मुश्किल नहीं है।

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सवाल ये है कांग्रेस में फूट क्या बीजेपी को चुनाव में आसान वॉकओवर दे देगी, कम से कम दिल्ली कांग्रेस हेडक्वाटर में ये टेंशन साफ दिख रही है। साल 2022 में कांग्रेस विधायकों में फूट से सरकार अल्पमत में आ गई थी। सीएम अशोक गहलोत को दिल्ली तक दौड़ लगाकर सफाई देने पड़ी थी।

गहलोत चुनावी मोड में है और हर मोर्चे पर अपनी मौजूदगी दर्ज भी करा रहे है एक तरफ राजस्थान के लिए गहलोत का जनप्रिय चुनावी बजट तैयार है और दूसरी तरफ पार्टी वो अपने धूर विरोधियों को भी वो निशाने पर ले रहे है। जादूगर की इस फार्मूले का तोड़ ना पार्टी आलाकमान के पास है और ना ही पायलट के पास।

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राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा अपने अंतिम चरण है। माना जा रहा है कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के पास इस खींचतान को रोकने का प्लान है लेकिन वो बिना राहुल से बातचीत किए वो इसे लागू नहीं करना चाहते है। सचिन पायलट की मजबूरी अलग है उनका पार्टी में कद तो बड़ा है लेकिन उनके पास राजस्थान में कोई पद नहीं है और यहीं वो थोड़े बैकफूट पर नजर आते है पर पायलट राहुल और प्रियंका गांधी के करीबी माने जाते है और उनकी बात को दिल्ली दरबार में गंभीरता से सुना जाता है गहलोत यहीं थोड़ा पीछे रह जाते है क्योंकि उनका कांग्रेस अध्यक्ष पद का चुनाव नहीं लड़ने का फैसला उन्हें कांग्रेस हेडक्वाटर से दूर कर चुका है।

आइए आपको बताते है कब गहलोत-पायलट की टकराहट से दिल्ली दरबार की टेंशन बढ़ी

-कांग्रेस ने राजस्थान का पिछला चुनाव सचिन पायलट के नेतृत्व में जीता था लेकिन मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठे थे अशोक गहलोत। इसके बाद से दोनों धड़ों में सीएम पद की कुर्सी पर रस्साकशी जारी है।
-इसके अलावा सचिन पायलट अपने गुट के विधायकों के साथ जुलाई 2020 में हरियाणा के एक रिजार्ट में रुके रहे, पायलट ने कांग्रेस से बगावत कर दी थी उनके पास कांग्रेस के 24 विधायकों का समर्थन था, कांग्रेस ने किसी तरह से इस बगावत को खत्म किया था।
- राजस्थान में राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा के दौरान पायलट और गहलोत गुटबाजी से सरकार अल्पमत में थी तब दोनों को दिल्ली तलब किया गया और किसी तरह राहुल की भारत जोड़ो यात्रा निकल जाने के बाद दिल्ली दरबार से केसी वेणुगोपाल ने जयपुर आकर दोनों के बीच मध्यस्थता कर मामले को शांत कराया

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