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FLASH BACK: राजस्थान में जब ‘प्याज’ ने उखाड़ दी थी भैरोंसिंह शेखावत की सरकार

FLASH BACK: राजस्थान में जब 'प्याज' ने उखाड़ दी थी भैरोंसिंह शेखावत की सरकार, 1998 के विधानसभा चुनाव में भाजपा की अपमानजनक हार हुई। उनका मत प्रतिशत घटकर 33% के करीब आ गया। शेखावत ने कहा था कि प्याज हमारे पीछे पड़ गया था।

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Bhairon Singh Shekhawat government turned down by Onion Price

जयपुर।

राजनीति करने वालों को पता होता है कि छोटी से छोटी चीज़ भी बड़ा असर रखती है। वो किस रूप में सामने आएंगे, कोई नहीं जानता। यहां तक कि राजनीति के धुरंधर खिलाड़ी भी इस आंकलन में गलती कर जाते हैं।

एक ऐसा ही किस्सा हुआ 1993 की बात है, राजस्थान में भाजपा ने अब तक का सबसे बेहतर प्रदर्शन किया था। उनका मत प्रतिशत बढ़कर तकरीबन 39% हो गया और भाजपा को 96 सीटों पर जीत मिली।

भैरोंसिंह शेखावत ( Bhairon Singh Shekhawat government ) राजस्थान के 'सिंह' कहे जाते थे। अपने दल की तो छोड़िये, दूसरे दलों के नेताओं में भी उनकी काफी स्वीकार्यता थी। उनके करिश्माई नेतृत्व का ही नतीजा था कि बहुमत से 5 सीटें कम होने के बावजूद प्रदेश में भाजपा की सरकार बनी। शेखावत के नेतृत्व जो सरकार बनी, उसे 112 विधायकों का समर्थन प्राप्त था।

शेखावत ने कुशलतापूर्वक सरकार चलाया, जिसने अपना कार्यकाल भी पूरा किया। कमंडल की लहर पर सवार भाजपा के अच्छे दिन शुरू हो गए थे। लेकिन उन्हें शायद ही भान हो कि आने वाले चुनाव शेखावत और भाजपा के लिए दुर्दिन साबित होगा।


1998 के विधानसभा चुनाव में भाजपा की अपमानजनक हार हुई। उनका मत प्रतिशत घटकर 33% के करीब आ गया। कमाल के बात ये रही कि भाजपा को सीटें भी इतनी ही मिलीं।


विश्लेषक मान के चल रहे थे कि भाजपा को स्पष्ट बहुमत नहीं मिलेगा लेकिन ऐसी दुर्गति की कल्पना किसी ने नहीं की थी। फायदा कांग्रेस को मिला जिसकी सीटें बढ़कर 150 हो गईं। इसकी कल्पना खुद कांग्रेस के नेताओं ने भी नहीं की थी।


क्या आप जानते हैं कि इस अपमानजनक हार के लिए शेखावत ने किसे जिम्मेदार ठहराया? तो जवाब है प्याज। जी हां, वही प्याज जो आप सब्ज़ी और सलाद में इस्तेमाल करते हैं। शेखावत ने इस हार को एक लाइन लाइन में समेट दिया। उन्होंने कहा कि प्याज हमारे पीछे पड़ गया था।


शेखावत ने आगे कहा कि हमारे विकास के कामों को प्याज खा गया। उन्होंने यह कहकर चौंकाया भी कि जनता ने पार्टी को अस्वीकार किया है, मुझे नहीं।


उस वर्ष हुआ कुछ यूँ था कि प्याज की कीमतों में बेतहाशा वृद्धि हो गई थी। लोगों में इसका बहुत गुस्सा था। केवल राजस्थान ही नहीं, अन्य राज्यों में भी प्याज की बड़ी कीमतों ने बहुतों की राजनीति ख़त्म कर दी थी।


नतीजा ये रहा कि प्याज जैसी छोटी सी चीज़ ने कैसे एक स्थापित पार्टी और एक दिग्गज नेता की आंखों में आंसू ला दिए थे।