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Bisalpur Dam: इतने पानी से 4 बार ओवरफ्लो हो जाता बीसलपुर डेम से बहा, 127 दिन तक छलका डेम, अब किसानों को राहत

जयपुर शहर की लाइफलाइन बीसलपुर डेम से इस बार पानी की रिकॉर्ड निकासी ने पिछले सभी रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं। पहली बार डेम के गेट जुलाई माह में खोले गए जो बीते 4 दिसंबर को बंद हुए हैं। पानी की निकासी के नए रिकॉर्ड की बात करें तो इतनी मात्रा में बीसलपुर डेम को चार […]

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बीसलपुर डेम, पत्रिका फाइल फोटो

जयपुर शहर की लाइफलाइन बीसलपुर डेम से इस बार पानी की रिकॉर्ड निकासी ने पिछले सभी रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं। पहली बार डेम के गेट जुलाई माह में खोले गए जो बीते 4 दिसंबर को बंद हुए हैं। पानी की निकासी के नए रिकॉर्ड की बात करें तो इतनी मात्रा में बीसलपुर डेम को चार बार भरा जा सकता था। वहीं ईसरदा डेम भी पानी की इतनी मात्रा मिलने पर 10 से ज्यादा बार ओवरफ्लो हो सकता था।

कई रिकॉर्ड तोड़े

बीसलपुर डेम ने इस बार मानसून में हुई बंपर बारिश से पुराने कई रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं। डेम निर्माण के बाद से लेकर अब तक इस बार सर्वाधिक 127 दिन तक तक डेम से पानी की निकासी का रिकॉर्ड भी बन चुका है। इस बार मानसून के दौरान जुलाई माह में ही डेम छलक उठा और डेम के गेट खोलने पड़े। वही इस वर्ष डेम से 140 टीएमसी से अधिक पानी की ​निकासी हुई जो बीसलपुर डेम की कुल भराव क्षमता की 5 गुना अधिक है।

मानसून लौटने पर गेट किए बंद, फिर खोले

मालूम हो राजस्थान में दक्षिण पश्चिमी मानसून विदा होने के बाद बीते 21 अक्टूबर को बीसलपुर बांध के खुले सभी गेट बंदकर पानी की निकासी रोक दी गई। वहीं पोस्ट मानसून बारिश का दौर शुरू होने पर डेम में पानी की आवक बढ़ते ही जल संसाधन विभाग ने पिछले 28 अक्टूबर को एक गेट खोलकर डेम से पानी की निकासी शुरू की जो बीते 4 दिसंबर को जाकर थमी है।

सरफेस वाटर बना मददगार

बीसलपुर डेम पर तैनात जल संसाधन विभाग के अधिशासी अभियंता मनीष बंसल के अनुसार इस साल पोस्ट मानसून बारिश होने पर खेतों में बारिश का पानी जमा हो गया। अब किसानो ने वाटर पंप लगाकर खेतों का पानी वापस बनास नदी के पास की नहरों में छोड़ा। जिसके कारण बारिश नहीं होने पर भी बनास नदी में पानी का बहाव जारी रहा। बीसलपुर बांध में अभी जल संग्रहण पूर्ण भराव क्षमता 315.50 आरएल मीटर पर स्थिर है।

अब सिंचाई के लिए न​हरों छोड़ा पानी

बीसलपुर डेम ओवरफ्लो होने के बाद अब सिंचाई के लिए डेम से पानी नहरों में छोड़ने की कवायद शुरू हो गई है। दिसंबर से फरवरी मार्च महीने तक नहरों के जरिए किसानों को सिंचाई के लिए पानी उपलब्ध हो सकेगा। हर साल डेम ओवरफ्लो होने की स्थिति में ही सिंचाई के लिए पानी नहरों में छोड़ा जाता है। हालांकि त्रिवेणी से अब भी डेम में धीमी रफ्तार से पानी की आवक बनी हुई है।