चुनाव नज़दीक आने पर दिखेगा असली रंग : राठौड़
राजस्थान विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ ने एक ट्वीट की शुरुआत में लिखा, ”मैं तो वोही खिलौना लूंगा, मचल गया दीना का लाल।” फिर आगे लिखा, ‘किस्सा कुर्सी के खेल का खिलौना किसको मिलेगा, यह दूर की कौड़ी है। नौंवी बार फिर उसी भाव भंगिमा में दोनों नेता, वो ही आलाकमान, वो ही किरदार और हर बार की तरह इस बार भी नतीजा शून्य ही आएगा क्योंकि कांग्रेस के इन दोनो नेताओं में जारी मनभेद का कोई इलाज आलाकमान के पास भी नहीं है। हर बार की भांति इस बार भी दोनों नेताओं के खिलखिलाते चेहरों के पीछे का असली रंग चुनाव के नजदीक आते साफ दिख जाएगा।’
वसुंधरा-पूनिया की चुप्पी
गहलोत-पायलट विवाद सुलझने के मामले में पूर्व सीएम वसुंधरा राजे और भाजपा पूर्व प्रदेशाध्यक्ष डॉ सतीश पूनिया का कोई बयान फिलहाल सामने नहीं आया है। गौरतलब है कि गहलोत-पायलट विवाद के बीच वसुंधरा और पूनिया का ख़ास कनेक्शन है। पायलट की तीन प्रमुख मांगों में जहां पूर्ववर्ती वसुंधरा सरकार के दौरान कथित भ्रष्टाचार की मांग सबसे महत्वपूर्ण मुद्दा रहा, तो वहीं कांग्रेस नेताओं के बीच विवाद पूनिया के भाजपा प्रदेशाध्यक्ष कार्यकाल के दौरान ही गर्माना शुरू हुआ। प्रदेश भाजपा के ये दोनों वरिष्ठ कांग्रेस नेताओं की अदावत के दौरान कई बार हमलावर रहे, लेकिन अब इन नेताओं की चुप्पी चर्चा का विषय बनी हुई है। सभी को इंतज़ार वसुंधरा-पूनिया की प्रतिक्रिया का है।
बंद कमरे में तय फॉर्मूला
राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत और पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट के बीच ‘भयंकर’ रूप से गरमाई अदावत कुछ घंटों की बैठक-मुलाकातों में ही दूर होना चर्चा का विषय बना हुआ है। आलाकमान ने अभी तक ये स्पष्ट नहीं किया है कि आखिर किन शर्तों पर या किस फॉर्मूले पर वे इन दोनों नेताओं के बीच सहमति बनाने में सफल हुए हैं।
बंद कमरों में चली वार्ताओं में ऐसी क्या बातें हुईं हैं जिनसे गहलोत-पायलट दोनों सहमत हुए हैं अब भी सस्पेंस बना हुआ है। यही वजह है कि ये सुलह वार्ता अब राजनितिक गलियारों से लेकर सोशल मीडिया तक में चर्चा का विषय बना हुआ है। हर कोई अपनी-अपनी तरह से इस सुलह का आंकलन करके मायने निकालने में लगा हुआ है। तमाम तरह के कयासों और अटकलों का बाज़ार गर्माया हुआ है।
फॉर्मूला बताने से इनकार
पार्टी संगठन महासचिव वेणुगोपाल ने बैठक में तय किए गए फॉर्मूले को बताने से इनकार कर दिया है, लेकिन पार्टी सूत्रों ने बताया कि पायलट को चुनाव अभियान समिति या प्रदेश अध्यक्ष बनाने पर चर्चा की गई है। इस पर भी फैसला खरगे पर छोड़ दिया गया है।