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हार का ठीकरा: चुनाव में हारने के बाद खुद की कमजोरी तलाशने की अपेक्षा एक-दूसरे पर यूं फोड़े जा रहे ठीकरे

राजस्थान में हुए सात विधानसभा सीटों पर उपचुनाव में प्रत्याशी या पार्टी हार के लिए अपनी कमजोरी तलाशने की अपेक्षा एक-दूसरे पर हार का ठीकरा फोड़ रहे हैं। जानें किसने किस-किस पर क्या-क्या तरीके से हार के ठीकरे फोड़े हैं।

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जयपुर

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Rajesh Dixit

Nov 25, 2024

Rajasthan assembly

जयपुर। यूं तो चुनाव में हार-जीत होती ही है। एक जीतता है तो दूसरे को तो हारना ही होता है। हार के बाद पार्टियां विश्लेषण भी करती हैं। लेकिन इस बार राजस्थान में हुए सात विधानसभा सीटों पर उपचुनाव में कांग्रेस को सबसे ज्यादा नुकसान हुआ है। प्रत्याशी या पार्टी हार के लिए अपनी कमजोरी तलाशने की अपेक्षा एक-दूसरे पर हार का ठीकरा फोड़ रहे हैं। कांग्रेस व क्षेत्रीय पार्टियों ने हार के लिए ठीकरे फोडऩा शुरू कर दिए हैं। आप भी जानें किसने किस-किस पर क्या-क्या तरीके से हार के ठीकरे फोड़े हैं।

1-किरोड़ीलाल मीणा:

ये वर्तमान में सरकार में मंत्री हैं। लेकिन ये लोकसभा चुनाव के बाद से ही इस्तीफा देकर चर्चा में बने रहे हैं। इनकी दौसा में अच्छी पैठ रही है। इस बार इन्होंने अपने भाई जगमोहन मीणा को भाजपा का प्रत्याशी बनाया। यहां पर जगमोहन से ज्यादा पूरी प्रतिष्ठा किरोड़ीलाल मीणा की रही है। यहां से जगमोहन हार गए। इस पर किरोड़ीलाल अपनी हार के लिए अपनों को ही जिम्मेदार ठहरा रहे हैं। किरोड़ीलाल ने सोशल मीडिय़ा पर अपना दर्द बयां करते हुए लिखा कि " भितरघाती मेरे सीने में बाणों की वर्षा कर देते तो मैं दर्द को सीने में दबा सारी बातों को दफन कर देता लेकिन उन्होंने मेघनाथ बनकर मेरे लक्ष्मण जैसे भाई पर शक्ति का बाण चला डाला। स्वाभिमानी हूं। जनता की खातिर जान की बाजी लगा सकता हूं। "गैरों में कहां दम था, मुझे तो सदा ही अपनों ने ही मारा है।"

2-हनुमान बेनीवाल

-ये वर्तमान में नागौर से सांसद हैं। ये या इनकी पार्टी खींवसर सीट से लगातार वर्ष 2008 से जीत रही है। कभी खुद तो कभी भाई जीते हैं। इस बार इन्होंने अपनी पत्नी कनिका बेनीवाल को खड़ा किया। लेकिन वे हार गई। बेनीवाल ने इस हार के लिए भाजपा को जिम्मेदार ठहराया। बेनीवाल का कहना है कि इस बार रालेापा को हराने के लिए सभी विरोधी एक हो गए। यहां तक की कांग्रेस पदाधिकारियों ने भाजपा को ही वोट डलवा दिए। भाजपा ने सरकारी मशीनरी का दुरुपयोग किया।

3-हरीश मीना

-देवली-उनियारा सीट से कांग्रेस प्रत्याशी केसी मीना की हार हुई है। प्रत्याशी से ज्यादा चर्चा वर्तमान सांसद हरीश मीना की रही है। इस सीट को मीना की प्रतिष्ठा से जोडकऱ देखा जा रहा था। इस हार के बाद मीना ने हार का पूरा ठीकरा कांग्रेस के बागी प्रत्याशी नरेश मीना पर फोड़ा है। अप्रत्यक्ष रूप से वे यह भी कह रहे हैं कि आखिर नरेश मीना को किसने खड़ा करवाया। इसकी जांच की जाए। इस सीट पर भाजपा जीती है। बागी प्रत्याशी निर्दलीय नरेश मीना दूसरे स्थान पर रहे हैं। वहीं कांग्रेस प्रत्याशी तीसरे स्थान पर खिसक गया।

4-राजकुमार रोत

यूं तो इस बार भी भारत आदिवासी पार्टी का जनाधार ही बढ़ा है। बीएपी ने इस बार दो सीटों पर अपनी प्रत्याशी खड़े किए थे। इनमें चौरासी से जीत हुई है, वहीं सलूम्बर में बीएपी प्रत्याशी हार गया। इन दोनों सीटों पर हार-जीत की सभी जिम्मेदारी वर्तमान सांसद राजकुमार रोत की रही है। उन्होंने सलूम्बर में बीएपी प्रत्याशी की हार के लिए भाजपा को जिम्मेदार ठहराया है। उन्होंने तो यहां तक कह दिया कि हम सलूम्बर सीट से जीत रहे थे। लेकिन भाजपा ने एनवक्त पर गड़बड़ की है। हम पुनर्गणना करवाएंगे। सरकार ने सरकारी मशीनरी से दुुरुपयोग किया है।


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