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जयपुर. स्पंदन महिला साहित्यिक एवं शैक्षणिक संस्थान, जयपुर एवं कानोडिय़ा पी.जी.महिला महाविद्यालय के संयुक्त तत्वावधान में लेखिका नीलिमा टिक्कू के कहानी संग्रह ‘इंसानियत डॉट कॉम’ का लोकार्पण मुख्य अतिथि प्रो.पवन सुराणा, कार्यक्रम अध्यक्ष देवर्षि कलानाथ शास्त्री, विशिष्ट अतिथि नन्द भारद्वाज, डॉ.नरेन्द्र शर्मा ‘कुसुम’, प्रो.सुदेश बत्रा, डॉ.जयश्री शर्मा, डॉ.सीमा अग्रवाल और डॉ.रेखा गुप्ता ने शनिवार को कानोडिय़ा कॉलेज के सभागार में किया।
पूनम धाबाई की सुरीली सरस्वती वंदना के साथ कार्यक्रम की शुरुआत हुई। अतिथियों का स्वागत करते हुए डॉ.संगीता सक्सेना ने कहा कि स्पंदन में आज ‘इंसानियत डॉट कॉम’ का लोकार्पण किया जा रहा है, इसके माध्यम से इंसानियत के असल मायनों पर चर्चा होगी। वहीं डॉ.रेखा गुप्ता ने बताया कि कॉलेज के रचनात्मक लेखन क्लब में साहित्यकारों की पुस्तकों के लोकार्पण एवं कृति चर्चा का आयोजन किया जाता रहा है।
कार्यक्रम की मुख्य अतिथि प्रो.पवन सुराणा ने कहा कि आज के युग की विषमताओं, बदलाव एवं विडम्बनाओं का संवेदनशील वर्णन करती हुई नीलिमा टिक्कू की कहानियां पाठक को अंधेरे में नहीं छोड़ती हैं, ये कहानियां पाठक को आगे बढऩे के लिए रोशनी की किरण दिखाती हैं।
विशिष्ट अतिथि डॉ.नरेन्द्र शर्मा ‘कुसुम’ ने कहा, संग्रह की सभी कहानियां नजदीक से हमारी अपनी जिंदगी का तर्जुमा है। कहानी संग्रह का शीर्षक संग्रह की सभी कहानियों में छिपी इंसानी दृष्टि-इंसानियत को उभारता हुआ सार्थकता से ओत-प्रोत है।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए देवर्षि कलानाथ शास्री ने कहा कि संग्रह की अधिकांश कहानियां आज के नये युग के परिवारों के उलझाव को दर्शाती हैं। ‘इंसानियत डॉट कॉम’ नामक कहानी में किन्नरों का मानवीय पक्ष बेहद ख़ूबसूरती से गढ़ा गया है।
विशिष्ट अतिथि डॉ. जयश्री शर्मा ने किताब की समीक्षा करते हुए कहा कि संग्रह की सभी कहानियां बदलते समाज की सोच को स्थापित करने वाली हैं। स्त्री मुद्दों को सशक्त तरीके से उभारने वाली कहानियां हैं।
विशिष्ट अतिथि नन्द भारद्वाज ने कहा कि कहानियों में सामाजिक विषमताओं पर गहराई से चर्चा की गई है। शहरी अनुभव से गांव की कठिनाइयों तक का विशद वर्णन किया गया है। स्त्री पात्रों की कमियों का भी वर्णन है। संस्कारों तथा मूल्यों की प्रेरणा देते हुए सुन्दर ढंग से कहानियां रची गई हैं।
लेखिका नीलिमा टिक्कू ने कहा कि बदलते समय के साथ हमें अपनी सोच का दायरा विस्तृत करना होगा। मन की खिड़कियों को खोलकर बदलाव की हवा के अहसास को महसूसना होगा। इस संग्रह की सभी कहानियों में अलग-अलग स्तर पर बदलाव का रूप दिखाई देगा।
प्रो.सुदेश बत्रा ने कहानियों को अनूठी, रोचक और पठनीय बताया। इसी के साथ कानोडिय़ा कॉलेज की दो छात्राओं, इति शर्मा और पल्लवी माथुर ने भी कहानियों पर अपने विचार रखे। कार्यक्रम में प्रिंसिपल डॉ.सरला अग्रवाल उपस्थित रहीं। माधुरी शास्री ने सभी श्रोताओं का आभार प्रकट किया। संचालन विनर अकादमी ऑफ एक्सीलेन्स की निदेशक सुश्री अनुश्री दीक्षित ने किया।
Published on:
27 Jul 2019 07:02 pm
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