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buddha purnima 2018 : बुद्ध पूर्णिमा पर इन 5 नियमों के पालन से मिलेगा पापों से छुटकारा, ये हैं वो 5 नियम

बुद्ध पूर्णिमा पर इन 5 नियमों के पालन से मिलेगा पापों से छुटकारा, ये हैं वो 5 नियम  

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जयपुर

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rohit sharma

Apr 30, 2018

Buddha purnima 2018- four Arya Satya of Mahatma Buddha

Buddha purnima 2018- four Arya Satya of Mahatma Buddha

जयपुर

वैशाख शुक्ल पूर्णिमा को पीपल पूनम तथा बुद्ध पूर्णिमा भी कहते हैं। इस वर्ष 30 अप्रेल सोमवार को पीपल पूनम मनाई जा रही है। आस्थावान महिलाएं इस दिन पीपल के वृक्ष का पूजन करती हैं। पद्म पुराण के अनुसार पीपल को प्रणाम एवं परिक्रमा करने से आयु लंबी होती है। जो व्यक्ति पीपल को रोज सींचता है, वह सभी प्रकार के पापों से छुटकारा पाता है। महिलाएं पुत्र की कामना, धन, सौभाग्य और आयु की प्राप्ति के पीपल के वृक्ष का पूजन करती हैं। कामना पूर्ति के लिए पीपल के तने पर सूत [मौली] बंधन दिया जाता है। शनिवार को पीपल की जड़ में जल चढ़ाने और दीपक जलाने से कष्टों का निवारण होता है। शनि की साढ़े साती हो तो पीपल के वृक्ष की परिक्रमा एवं पूजन करने से लाभ होगा।

पुत्र प्राप्ति मंत्र

देवकीसुत गोविन्द, वासुदेव जगत्पते।


गौतम बुद्ध निर्वाण दिवस भी है पीपल पूर्णिमा

वैशाख शुक्ल पूर्णिमा को पीपल पूनम, बुद्धपूर्णिमा भी कहा जाता है। भगवान बुद्ध का जन्म ज्ञान प्राप्ति और महानिर्वाण यह तीनों एक ही दिन यानि पूर्णिमा के दिन ही हुए थे। इसलिए यह गौतम बुद्ध की जयंती भी है और उनका निर्वाण दिवस भी। इसी दिन भगवान बुद्ध को बुद्धत्व की प्राप्ति हुई थी। हिंदू धर्मावलंबियों के लिए बुद्ध विष्णु के नौवें अवतार हैं। अत: हिंदूओं के लिए भी यह दिन पवित्र माना जाता है। इसी कारण बिहार स्थित बोधगया नामक स्थान हिंदू व बौद्ध धर्मावलंबियों के पवित्र तीर्थ स्थान हैं। इसी दिन को पीपल पूर्णिमा के रूप में भी मनाया जाता है। पीपल को संस्कृत में अश्वत्थ कहा जाता है। पुराणों में पीपल (अश्वत्थ) का बड़ा महत्व बताया गया है।

किसी भी प्रकार की बुरी आदत हमें अपने मार्ग से भटकाती है और गलत कार्य करने को प्रेरित करती है। भगवान बुद्ध ने अपनी शिक्षाओं में इन सारी चीज़ों से दूर रहने को कहा है और पांच नियम दिए।

ये हैं पांच नियम

1- पाणातिपाता वेरमाणी सिक्खापदं समादियामि - यानि हत्या न करें।

2- आदिन्नादाना वेरमाणी सिक्खापदं समादियामि - यानि चोरी न करें।

3- कामेसु मिच्छाचारा वेरमाणी सिक्खापदं समादियामि - यानि काम-वासना से दूर रहें।

4- मुसावदा वेरमाणी सिक्खापदं समादियामि, यानि झूठ - फ़रेब में न फसें।

5- सुरा मेरिय मज्जपमादट्ठाना वेरमाणी सिक्खापदं समादियामि - यानि किसी भी प्रकार का नशा न करें।