
Budha Dev Worship Benefit Fast For Business Growth Worship Ganeshji
जयपुर. बुधवार के दिन जब अष्टमी तिथि पड़ती है तो इसे बुधाष्टमी कहते हैं। माना जाता है कि इस दिन व्रत रखकर पूर्ण श्रद्धा और विश्वास के साथ बुध देव की पूजा से जीवन में सुख मिलता है। मान्यता यह भी है कि धर्मराज के निमित्त भी बुधाष्टमी व्रत किया जाता है। व्रत और पूजा के प्रभाव से मौत के बाद नरक की यातना नहीं झेलनी पड़ती है। जीवन में शुभता के लिए यह व्रत बहुत अहम है।
ज्योतिषाचार्य पंडित सोमेश परसाई बताते हैं कि बुध देव सबसे सुंदर हैं इसलिए नवग्रहों के युवराज कहे जाते हैं। बुध देव बुद्धि और व्यापार के कारक हैं और गणेशजी की पूजा से प्रसन्न होते हैं। जिनकी कुंडली में बुध ग्रह कमजोर हों, नीच के हों या अस्त हों उनके लिए बुधाष्टमी का व्रत बहुत फलदायी होता है। बुधाष्टमी के दिन बुध देव और गणेशजी के साथ सूर्य देव की भी पूजा अर्चना करने बुध मजबूत होता है।
सनातन धर्म में अष्टमी तिथि का बहुत महत्व है और बुधवार का संयोग इसे और भी शुभ बना देता है। यह तिथि जया तिथियों की श्रेणी में आती है जिसके कारण बहुत ही शुभ मानी गयी है। यही कारण है कि बुधाष्टमी का पर्व अत्यंत शुभदायक होता है। इस दिन माँ दुर्गा और भगवान शिव की पूजा का भी बहुत महत्व होता है।
ज्योतिषाचार्य पंडित नरेंद्र नागर के अनुसार यह दिन खासतौर पर व्यापारियों के लिए बहुत अहम है। व्यापार के कारक बुध देव ही हैं, उनके आशीर्वाद के बिना कोई भी सफल व्यापारी नहीं बन सकता है। बिजनेस ग्रोथ के लिए इस दिन व्यापारियों को व्रत रखकर गणेशजी और बुधदेव की विश्वासपूर्वक पूजा जरूर करनी चाहिए। इस व्रत और पूजा के प्रभाव से विपदाओं से आगे बढ़ने की क्षमता प्राप्त होती है।
बुधाष्टमी के दिन सुबह स्नान के बाद सूर्यदेव को जल अर्पित कर गणेशजी का ध्यान करते हुए व्रत और पूजा का संकल्प लें। इसके बाद बुध देव का विधिविधान से पूजन करें। बुधाष्टमी व्रत कथा का पाठ करें या सुनें। इस दिन बुध देव के बीज मंत्र या गणेश अथर्वशीर्ष का पाठ जरूर करें। गणेशजी के सरल मंत्र ओम गं ओम का अधिक से अधिक जाप करें।
Published on:
05 Jan 2021 06:16 pm
बड़ी खबरें
View Allजयपुर
राजस्थान न्यूज़
ट्रेंडिंग
