
Rajasthan News: प्रदेश में न केवल ड्रोन की मैन्युफैक्चरिंग की राह खुल रही है, बल्कि यहां एआइ आधारित गेम डवलपमेंट सेंटर भी संचालित होंगे। औद्योगिक क्षेत्र, इकाईयों का हर डेटा सुरक्षित रहे, इसके लिए डेटा सेंटर भी बनेंगे। इसके अलावा रियल एस्टेट सेक्टर में नई तकनीक से इमारतों का निर्माण होगा। इसके लिए देश के नामी बिल्डर भी राजस्थान के बड़े शहरों में निवेश करने आ रहे हैं। इससे प्रदेश में कई सेक्टर नई तकनीक से भी जुड़ सकेंगे। राइजिंग राजस्थान ग्लोबल इन्वेस्टमेंट समिट में हुए एमओयू में यह सुनहरी तस्वीर सामने आई है। ड्रोन और गेम डवलपमेंट सेंटर में तो प्रदेश पहली बार एंट्री करेगा। इससे कई सेक्टरों को प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से लाभ होगा। स्थानीय युवाओं को अपना टैलेंट दिखाने का मौका भी मिलेगा।
वहीं, औद्योगिक क्षेत्रों का डेटा एक जगह हो और सुरक्षित रहे। इसलिए इन क्षेत्रों में या आस-पास डेटा सेंटर बनाए जाएंगे। इसके लिए जयपुर- जोधपुर के लिए प्रस्ताव आए हैं।
राजस्थान में अब घर दिन में 24 घंटे ग्रीन एंड क्लीन एनर्जी से रोशन होंगे। दिन में छतों पर लगे सोलर प्लांट से बिजली बनेगी और रात को हवा से विंड मिल के जरिए बिजली बन सकेगी। सरकार ने राजस्थान इंटीग्रेटेड क्लीन एनर्जी-2024 नीति में घर की छत पर लगे रूफटॉप सोलर प्लांट की क्षमता के अनुसार ही स्मॉल विंड मिल लगाने की अनुमति दे दी है। सरकार के इस कदम से ग्रीन एनर्जी के उपयोग में किसी न किसी स्तर पर हो रहे कार्बन उत्सर्जन में कमी आएगी और पर्यावरण सुरक्षित रहेगा। रूफटॉप सोलर प्लांट लगाने पर सरकार 78 हजार रुपए तक की सब्सिडी भी दे रही है।
रात को हवा की गति ठीक रहती है और रूफटॉप के साथ लगी स्मॉल विंडमिल से चलेगी और बिजली का उत्पादन शुरू होगा। उपभोक्ता विंड मिल से बनी बिजली को बेट्री में स्टोर कर सकता है या फिर सीधे ग्रिड को भेज सकता है।
मानसून के तीन से चार महीने तक आसमान बादलों से ढका रहता है और ग्रीन एनर्जी का उत्पादन आधे से भी कम रह जाता है। लेकिन मानसून के दौरान हवा की रफ्तार अपेक्षाकृत तेज होने से रूफटॉप सोलर प्लांट की तरह ही 4 यूनिट या इससे ज्यादा बिजली आसानी से बनेगी।
चूंकि पश्चिमी राजस्थान के बाडमेर-जैसलमेर जैसे जिलों में उपभोक्ताओं के दोनों हाथों में लडडू रहेंगे। क्योंकि इन जिलों में पूरे साल हवा तेज रफ्तार से चलती है। ऐसे में रूफटॉप के साथ ही विंड मिल से 24 घंटे बिजली मिलेगी।
इंडोर के साथ आउटडोर गेम में भी आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस (एआइ) तकनीकी काम करेगी। इसके लिए प्रदेश में एआइ आधारित गेम डवलपमेंट सेंटर खोला जाएगा। यहां रिसर्च भी होगी कि किस तरह गेम में एआइ को और बेहतर तरीके से जोड़ा जा सकता है। इसके लिए नई एप्लीकेशन बनाई जाएगी।
दिल्ली की एक कंपनी ने जयपुर में ड्रोन मैन्युफैक्चरिंग यूनिट और ट्रेनिंग सेंटर खोलेगी। इसके लिए सांगानेर और आस-पास के क्षेत्र में जमीन देखी गई है। इसमें शुरुआत निवेश करीब 450 करोड़ रुपए होगा और सीधे तौर पर पांच सौ लोग रोजगार से जुड़ेंगे। अगले डेढ़ साल में यूनिट शुरू करने का प्लान है।
उन युवाओं को का मौका मिलेगा, जो कम्प्यूटर साइंस, आइटी से जुड़े हैं या पढाई कर रहे हैं। उनके लिए रोजगार के ज्यादाअवसर होंगे। गेम सेक्टर में प्रदेश भी जुड़ेगा और दूसरी कंपनियों के भी यहां आने की संभावना बनेगी। निवेश और रोजगार बढ़ेंगे।
आज ज्यादातर फील्ड वर्क में ड्रोन का उपयोग किया जा रहा है। कृषि क्षेत्र के लिए तो संजीवनी साबित हो रहा है। ड्रोन से कीटनाशक और उर्वरक छिड़काव किया जा रहा है। इससे न केवल लागत कम हो रही है, बल्कि शारीरिक मेहनत व समय की बचत भी हुई है। किसी भी शहर का मास्टर प्लान, जोनल प्लान तैयार करने में भी उपयोग आ रहे हैं।
भारत सरकार भी ड्रोन तकनीक को आगे बढ़ाने पर काम कर रही है। इसके लिए नमो ड्रोन दीदी योजना लाई गई है। इसके जरिए महिला स्वयं सहायता समूहों को ड्रोन उपलब्ध करा रहे हैं।
Published on:
04 Dec 2024 08:02 am
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