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चाकसू विधायक वेदप्रकाश सोलंकी को एक साल की जेल, कोर्ट ने सुनाई सजा

चाकसू विधायक वेदप्रकाश सोलंकी को चेक बाउंस के मामले में कोर्ट ने एक साल की सजा सुनाई है।

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चाकसू विधायक वेदप्रकाश सोलंकी को एक साल की जेल, कोर्ट ने सुनाई सजा

चाकसू विधायक वेदप्रकाश सोलंकी को एक साल की जेल, कोर्ट ने सुनाई सजा

जयपुर। चाकसू विधायक वेदप्रकाश सोलंकी को चेक बाउंस के मामले में कोर्ट ने एक साल की सजा सुनाई है। कोर्ट ने सोलंकी पर 55 लाख रुपए का जुर्माना भी लगाया है। जानकारी के मुताबिक सोलंकी की खिलाफ रिटायर्ड पीटीआई ने केस किया था। यह फैसला बहरोड़ न्यायाधीश निखिल सिंह ने सुनाया है। मामले को लेकर अपील करने के लिए सोलंकी को एक महीने का समय मिलेगा। अगर अपील खारिज होती है तो सजा के साथ ही पीड़ित को राशि भी लौटानी पड़ेगी।

मामले के अनुसार 8 साल पहले सोलंकी कोटपूतली-बहरोड़ जिले के बानसूर में प्रॉपर्टी का काम करते थे। इस दौरान प्लॉट दिलाने के नाम पर शिक्षा विभाग से रिटायर्ड पीटीआई से 35 लाख रुपए नगद लिए थे। बाद में प्लॉट नहीं दिला पाने कारण उन्होंने 35 लाख के चेक थमा दिए। यह चेक बाउंस होने पर पीड़ित ने मामला दर्ज करवाया था। एडवोकेट भूपेंद्र कुमार प्रजापत ने बताया कि मुंडावर क्षेत्र के गांव हुलमाना खुर्द निवासी मोहर सिंह यादव (70) और वेद प्रकाश सोलंकी के बीच अच्छी जान पहचान थी। वेद प्रकाश सोलंकी ने पीटीआई को कहा था कि वह उसे बानसूर में सस्ती दर पर अच्छी लोकेशन में प्लॉट दिला देंगे। इसके लिए उन्होंने कई जगह उन्हें जमीन दिखाई। दोनों के बीच एक प्लॉट को लेकर सौदा तय हो गया।

20 जून 2015 को मोहर सिंह ने सोलंकी को प्लॉट के लिए 35 लाख रुपए दे दिए। काफी दिनों तक प्लॉट नहीं दिलाने पर मोहर सिंह ने रुपए वापस लौटने की बात कही। इस पर सोलंकी ने 10 सितंबर 2015 को जयपुर के मानसरोवर स्थित एक्सिस बैंक का चेक दे दिया। चेक बाउंस होने पर मोहर सिंह ने सोलंकी से रुपए लौटाने और चेक बाउंस होने की बात कही। रुपए नहीं लौटाने पर पीड़ित ने 30 अक्टूबर 2015 को मामला दर्ज करवाया। जिसके बाद यह मामला कोर्ट में चला। मामला कोर्ट में पहुंचने के आठ महीने बाद सोलंकी ने खुद के बचाव में 8 जुलाई 2016 को धोखाधड़ी से चेक हड़पने का मामला दर्ज कराया था। मामले को बढ़ता देख 9 अक्टूबर 2019 को विधायक सोलंकी ने मोहर सिंह के साथ समझौता कर राजीनामा किया। स्टांप पेपर पर 24 लाख रुपए लौटाने पर समझौता हुआ था। यह स्टांप पेपर कोर्ट में भी पेश किया गया था। इसमें तीन महीने में सोलंकी द्वारा रुपए नहीं लौटाने पर कानूनी प्रक्रिया जारी रखने की बात कही गई थी। समझौते के तीन महीने बाद सोलंकी ने मोहर सिंह को रुपए वापस नहीं लौटाए।


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