
जयपुर। जवाहर कला केंद्र के शिल्प ग्राम में चल रही 'मध्यप्रदेश मृगनयनी उत्सव प्रदर्शनी' पिंकसिटी को रास आ रही है। चन्देरी साड़ियों-दुपट्टों के साथ ही पंचधातु की मूर्तियां के प्रति जयपुर राइट्स खासी रुचि दिखा रहे हैं।
पंचधातु की बारीक कारीगरी की मूर्तियां
टीकमगढ़ के पंचधातु की मूर्तियां बनाने वाले आर्टिजन रामस्वरूप सोनी ने बताया कि वे मोम की डिजाइन पर विशेष मिट्टी की तीन परत चढ़ाने के बाद उसे पकाकर मूर्ति तैयार करते हैं। इसके बाद उस पर बारीक नक्काशी की जाती है।
प्रदर्शनी में पंचधातु की कुछ ग्राम से 25 किलो तक की मूर्तियां आकर्षण का केंद्र बनी हुई हैं। इन प्रतिमाओं की खूबी इनमें की गई बारीक कारीगरी है। यह बारीक काम दस्तकार खूब मेहनत और एकाग्रता से करते हैं। कारीगर संगम कहते हैं कि इन आइटम्स की कीमत वजन की अपेक्षा इनके बारीक काम पर तय होती है।
चन्देरी साड़ियों-दुपट्टों में बढ़ा रुझान
चंदेरी साड़ी-दुपट्टों के विशेषज्ञ बुनकर अब्दुल खालिक ने बताया कि चन्देरी साड़ियां दो तरह की बनती हैं- एक नाल और दो नाल की। इनमें दो नाल की कीमत ज्यादा होती है, क्योंकि इसमें मेहनत तो ज्यादा लगती ही है, मटेरियल भी ज्यादा और पक्का लगता है। वर्ष 2007 में राष्ट्रीय पुरस्कार से नवाजे गए खालिक बताते हैं कि जबसे कपड़ा आंध्र प्रदेश के कोलीकंडा के पेड़ की जड़ से तैयार अच्छे किस्म के धागे से बुना जाने लगा, चंदेरी की साड़ियों का कपड़ा बांग्लादेश के मलमल से बेहतर बनने लगा, फिर इस पर बारीक काम सोने में सुहागा हो गया। मध्य प्रदेश सरकार सरकार के प्रोत्साहन से चन्देरी साड़ी की कुछ डिजाइन आमजन तक पहुंच वाली भी बनने लगी।
Published on:
15 Feb 2020 09:06 pm
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