जयपुर से रहा अटूट रिश्ता, साइकिल आज भी रखी है सुरक्षित (Chandra Shekhar Azad Facts In Hindi)
भारत की आजादी का जिक्र होता है तो महान क्रांतिकारी चंद्रशेखर आजाद का नाम जरूर आता है। लेकिन चंद्रशेखर आजाद का जयपुर से भी अटूट रिश्ता रहा। बाबा हरिशचंद्र मार्ग पर शिव नारायण मिश्र की गली स्थित अवधेश नारायण शुक्ल के मकान में आकर वे रहे थे। यहां पर चंद्रशेखर द्वारा उपयोग की गई साइकिल भी सुरक्षित रखी है। हालांकि बाद में अवधेश नारायण शुक्ल की बेटी ममता तिवाड़ी महेश नगर अपने मकान पर ले गईं। वहां आज भी चंद्रशेखर द्वारा उपयोग की गई साइकिल सुरक्षित रखी है।
भारत की आजादी का जिक्र होता है तो महान क्रांतिकारी चंद्रशेखर आजाद का नाम जरूर आता है। लेकिन चंद्रशेखर आजाद का जयपुर से भी अटूट रिश्ता रहा। बाबा हरिशचंद्र मार्ग पर शिव नारायण मिश्र की गली स्थित अवधेश नारायण शुक्ल के मकान में आकर वे रहे थे। यहां पर चंद्रशेखर द्वारा उपयोग की गई साइकिल भी सुरक्षित रखी है। हालांकि बाद में अवधेश नारायण शुक्ल की बेटी ममता तिवाड़ी महेश नगर अपने मकान पर ले गईं। वहां आज भी चंद्रशेखर द्वारा उपयोग की गई साइकिल सुरक्षित रखी है।
सुरंग के रास्ते से निकलते ममता ने बताया कि आजाद को उनके पिता शुक्ल ने इस साइकिल पर बैठाकर दौसा पहुंचाया था। उन्होंने बताया कि शुक्ल के मकान में एक गुप्त रास्ता था। जब कभी अंग्रेज घर आते तो क्रांतिकारी इसी रास्ते से बाहर चले जाते थे। ममता ने बताया कि उनके पिता अवधेश नारायण शुक्ल की इच्छा थी कि चंद्रशेखर आजाद की इन दोनों चीजों को अपने घर पर रखें। इस लिए आजाद दोनों चीजों को छोडकऱ चले गए थे। इस डंडे से अंग्रजों को मारना ममता ने बताया कि जब उनके पिता कानपुर गए थे तब आजाद ने उनको डंडा भेंट किया था। डंडा देते समय आजाद ने कहा कि इस डंडे को अंग्रेजों हुकूमत का मुकाबला करना। आज भी ये डंडा शुक्ल व उनकी पत्नी लोपा मुद्रा की तस्वीर के पास रखा हुआ है।
चंद्रशेखर आजाद ने कहा था (Chandra Shekhar Azad Dialogues)
– चंद्रशेखर आजाद का कहना था, ‘मेरा नाम आजाद है, मेरे पिता का नाम स्वतंत्रता और मेरा घर जेल है’।
– ‘चन्द्रशेखर आजाद’ ने कहा था ‘किसी अंग्रेज की गोली में वो दम नहीं जो मुझे छू सके‘
– चंद्रशेखर आजाद की लिखी पंक्तियां: ‘दुश्मन की गोलियों का हम सामना करेंगे, आजाद ही रहे हैं, आजाद ही रहेंगे‘।
संकल्प को पूरा करने के लिए खुद को मार ली गोली (Chandra Shekhar Azad Encounter)
चंद्रशेखर आजाद अंग्रेजों से लोहा लेने के लिए इलाहाबाद के अल्फ्रेड पार्क में सुखदेव और अपने एक अन्य और मित्र के साथ योजना बना रहे थे। तभी अंग्रेज पुलिस ने उनपर हमला कर दिया। आजाद ने पुलिस पर गोलियां चलाईं जिससे कि उनके मित्र वहां से बचकर निकल सके। पुलिस की गोलियों से आजाद बुरी तरह घायल हो गए थे। वे सैकड़ों पुलिसवालों के सामने 20 मिनट तक लोहा लेते रहे। उन्होंने संकल्प लिया था कि वे न कभी पकड़े जाएंगे और न ब्रिटिश सरकार उन्हें फांसी दे सकेगी। इसीलिए अपने संकल्प को पूरा करने के लिए अपनी पिस्तौल की आखिरी गोली खुद को मार ली और मातृभूमि के लिए प्राणों की आहुति दे दी।
चंद्रशेखर आजाद अंग्रेजों से लोहा लेने के लिए इलाहाबाद के अल्फ्रेड पार्क में सुखदेव और अपने एक अन्य और मित्र के साथ योजना बना रहे थे। तभी अंग्रेज पुलिस ने उनपर हमला कर दिया। आजाद ने पुलिस पर गोलियां चलाईं जिससे कि उनके मित्र वहां से बचकर निकल सके। पुलिस की गोलियों से आजाद बुरी तरह घायल हो गए थे। वे सैकड़ों पुलिसवालों के सामने 20 मिनट तक लोहा लेते रहे। उन्होंने संकल्प लिया था कि वे न कभी पकड़े जाएंगे और न ब्रिटिश सरकार उन्हें फांसी दे सकेगी। इसीलिए अपने संकल्प को पूरा करने के लिए अपनी पिस्तौल की आखिरी गोली खुद को मार ली और मातृभूमि के लिए प्राणों की आहुति दे दी।