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# Changemaker : घर के बजट की नहीं मौका मिले तो देश भी संभाल सकती हैं महिलाएं

राजस्थान पत्रिका के महाअभियान चेंजमेकर के तहत हवामहल विधानसभा के मतदाताओं को गुरुवार को शक्ति स्वरूपा महिलाओं की राजनीति और राजनीति के संबंध में उनके विचारों को मंच दिया।

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# Changemaker : घर के बजट की नहीं मौका मिले तो देश भी संभाल सकती हैं महिलाएं


जयपुर। सुबह की ताजा हवा में पौंड्रिक पार्क में जब नारी शक्ति ने एक सुर में आवाज उठाई तो आभास हुआ कि अवसर मिलने की देर है हवामहल विधानसभा का नेतृत्व करने के लिए क्षमताओं की कमी नहीं है।
राजस्थान पत्रिका के महाअभियान चेंजमेकर के तहत हवामहल विधानसभा के मतदाताओं को गुरुवार को शक्ति स्वरूपा महिलाओं की राजनीति और राजनीति के संबंध में उनके विचारों को मंच दिया। सुबह नौ बजे शुरू हुई बैठक में महिलाओं ने खुलकर अपने विचार रखे।

इस अभियान के तहत महिलाओं को वो मंच प्रदान किया है जिसकी उन्हें सालों से तलाश थी। सवाल के जवाब में सभी के पास कुछ न कुछ कहने को था। महिलाओं की राजनीति और वर्तमान परिवेश को लेकर भी चिंताएं और दृष्टिकोण अलग-अलग थे। कुछ के विचार में महिलाओं को अभी और परिपक्वता के साथ शुरुआत करने की आवश्यकता है। वहीं एक समूह का मानना था कि महिलाएं राजनीति में बेहतर काम कर रही हैं लेकिन डिप्लोमेसी के चलते उनके निर्णय और स्वतंत्र सोच को आगे आने का मौका नहीं मिल पा रहा है।

इन्होंने किए विचार व्यक्त
राजनीति में महिलाओं की भागीदारी को बढ़ाने से ही स्वच्छ राजनीति को बढ़ावा मिलेगा। राजनीति को बदलाव साधन मानने की बजाय आज राजनेताओं ने इसे घर भरने का जरिया बना लिया है। ऐसे में जरूरी है कि देश की आधी आबादी को माँैका मिले और उनके निर्णय को भी अमली जामा पहनाया जाए।
रश्मि शर्मा

लोगों का मानना है कि महिलाएं पुरुषों से बेहतर राजनीति नहीं कर सकतीं जबकि हकीकत ये है कि महिलाओं से बेहतर पॉलिटिक्स कोई नहीं कर सकता इसलिए उन्हें हमेशा दूर रखा जाता है। मेरा मानना है कि जो महिलाएं एक अंजान परिवार को अपना घर समझकर उसके सदस्यों के नाम अपनी पूरी जिंदगी अच्छे परिवर्तन में लगा देती है वो भला राजनीति में क्यों पिछडऩे लगी।
इन्दू वालिया
राजनीति को बदलाव का साधन बनाने के लिए महिलाओं को खुद ही मजबूत होना होगा। जिम्मेदारियों का अहसास होने के साथ महिलाओं को सीमित साधनों में भी काम करना आता है। ऐसे में महिलाएं बेहतर चेंजमेकर साबित हो सकती हैं। इसके लिए जरूरी है कि हम सभी अपने भीतर के असल व्यक्तित्व को पहचानें और बदलाव के लिए इस अभियान के साथ जुड़ें
निशा गुप्ता

आज महिलाओं ने खुद को हर फील्ड में साबित किया है। चंदा कोचर , इंद्रा नूई, प्रतिभा पाटिल और सुषमा स्वराज इसके सशक्त हस्ताक्षर हैं। लेकिन भारतीय महिलाओं को राजनीति में कमतर आंकना पुरुषों की दोहरी मानसिकता को दर्शाती है। इसलिए जरूरी है कि इस दोहरे संघर्ष में महिलाएं राजस्थान पत्रिका के इस अभियान के साथ जुड़कर खुद को साबित करें।
स्वाति माथुर


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