
जयपुर। लूट व चोरी के मामले में फरार चल रहे आरोपित को पकडऩे आई चेन्नई पुलिस के निरीक्षक पियन पांडे की जान स्थानीय खाकी से तालमेल का अभाव और अविश्वास के चलते चली गई। पुलिस सूत्रों की माने तो कई बार बाहरी राज्य की पुलिस को स्थानीय पुलिस पर विश्वास नहीं होता है। इसके चलते अधिकांश बार दूसरे राज्य की पुलिस किसी भी थाना क्षेत्र में अपराधी को पकडऩे के लिए दबिश देती है तो स्थानीय थाना पुलिस को सूचना नहीं देती है।
सीआरपीसी में भी प्रावधान है कि किसी भी स्टेट की पुलिस भारत में अपराधी को पकडऩे के लिए सीधे कार्रवाई कर सकती है। गौरतलब है कि इसी चलते हाल ही आन्ध्रप्रदेश पुलिस ने सीधे जालोर में भीमसिंह भाटी को पकडऩे का प्रयास किया और भीमसिंह भाटी का एनकाउंटर हो गया था। तब भी आन्द्रप्रदेश पुलिस स्थानीय पुलिस को बिना बताए भीमसिंह को पकडऩे निकली थी।
राजस्थान एटीस इन्द्रा विश्नोई को ले आई थी
बाहरी राज्यों की पुलिस ही नहीं, राजस्थान पुलिस भी अन्य स्टेट में किसी बदमाश या आरोपित को पकडऩे जाती है तो वहां की स्थानीय थाना पुलिस को कई बार भनक तक नहीं लगने देती है। राजस्थान एटीएस ने मध्यप्रदेश से इन्द्रा विश्नोई को पकड़ा, तब तक मध्यप्रदेश पुलिस को इसकी भनक तक नहीं लगने दी थी।
राजस्थान पुलिस सूचना देती तो ग्वालियर पुलिस पकड़ लेती आनंदपाल को
एक स्टेट की पुलिस का दूसरे स्टेट की पुलिस पर अविश्वास तो है, साथ में कामयाबी का श्रेय लेने की होड़ में भी पुलिस कई बार अपराधियों को बच निकलने का खुद मौका दे देती है। आनंदपाल के ग्वालियर में छिपे होने की सूचना पर राजस्थान एसओजी ने ग्वालियर पुलिस को भनक तक नहीं लगने दी और उसे पकडऩे का श्रेय लेने के लिए खुद की टीम रवाना कर दी। जब टीम ग्वालियर पहुंची तो पता चला कि कुछ घंटे पहले ही आनंदपाल यहां से निकल गया। जबकि ग्वालियर पुलिस को सूचना दे आनंदपाल की उक्त मकान में घेराबंदी करवाई जा सकती थी।
बाहरी क्षेत्र की पुलिस को कई बार एेसा लगता है कि उनके अपराधी की लोकल पुलिस से अच्छी उठबैठ है या फिर उसका तालमेल है। लोकल पुलिस को सूचना देने पर अपराधी हाथ आने से पहले ही भाग जाएगा। इस अविश्वास के चलते कई बार बाहर से आने वाले राज्यों की पुलिस या फिर राजस्थान पुलिस बाहर जाती है, तब स्थानीय थाना पुलिस को सूचना नहीं देती है।
पीएन रछौया, रिटायर आईपीएस

Published on:
14 Dec 2017 02:25 pm
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