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नहाय खाय के साथ डाला छठ महापर्व कल से शुरू, दो साल बाद गलता तीर्थ में भरेगा मेला

Chhath Puja 2022: उत्तर भारतीयों का महापर्व डाला छठ 28 से 31 अक्टूबर तक धूमधाम से मनाया जाएगा। राजधानी में इसकी तैयारियां शुरू हो गई है।

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नहाय खाय के साथ डाला डठ महापर्व कल से शुरू, दो साल बाद गलता तीर्थ में भरेगा मेला

नहाय खाय के साथ डाला डठ महापर्व कल से शुरू, दो साल बाद गलता तीर्थ में भरेगा मेला

Chhath Puja 2022: जयपुर। उत्तर भारतीयों का महापर्व डाला छठ 28 से 31 अक्टूबर तक धूमधाम से मनाया जाएगा। राजधानी में इसकी तैयारियां शुरू हो गई है। उत्तर भारत की प्रमुख श्री वैष्णव पीठ श्री गलता जी कोविड के दो साल बाद फिर से मेला भरेगा। गलतापीठाधीश्वर स्वामी अवधेशाचार्य के सान्निध्य में भगवान सूर्य की आराधना का चार दिवसीय महापर्व डाला छठ 28 अक्टूबर को शुरू होगा।

गलता जी में गलतापीठाधीश्वर स्वामी अवधेशाचार्य के सान्निध्य में चार दिवसीय महापर्व डाला पहले दिन नहाय-खाय को व्रत करने वालों के भोजन में अरवा चावल, चने की दाल और लौकी की सब्जी की प्रधानता रहेगी। दूसरे दिन 29 अक्टूबर को व्रत रखने वाले महिलाएं और पुरुष दिन भर उपवास करने के बाद शाम को घर में ही भगवान सूर्य को गुड़ की खीर, गेहूं की रोटी और केला का नैवेद्य अर्पित करेंगे। भगवान सूर्य को चढ़ाए गए नैवेद्य को प्रसाद रूप में ग्रहण करने के साथ ही उनका करीब छत्तीस घंटे का निर्जल उपवास शुरू हो जाएगा।

अस्ताचल गामी सूर्य को पहला अर्घ्य 30 को
30 अक्टूबर को व्रत करने वाले लोग अपने परिवार जनों के साथ गलता जी पहुंचेंगे और गलता कुंड में खड़े होकर अस्ताचल गामी सूर्य को पहला अर्घ्य अर्पित करेंगे। गलता पीठाधीश्वर अवधेशाचार्य गंगा आरती भी करेंगे। अगले दिन 31 अक्टूबर की सुबह उगते हुए सूर्य को दूसरा अर्घ्य अर्पित करने के साथ ही व्रत का पारायण होगा।

गलता तीर्थ में विशेष व्यवस्थाएं
गलतापीठ के युवराज स्वामी राघवेन्द्र ने बताया कि 30 और 31 अक्टूबर को डाला छठ करने वाले लोगों के लिए गलता जी में यथासंभव सारी व्यवस्थाएं उपलब्ध करायी जाएंगी। डाला छठ बिहार-झारखंड समेत पूर्वांचल के क्षेत्रों में मनाया जाने वाला प्रमुख पर्व है। इन क्षेत्रों के लोग देश या विदेश में जहां भी रहते हैं, पूर्ण श्रद्धाभाव से यह पर्व मनाते हैं। इस अवसर पर श्री गलता पीठ में हजारों की संख्या में श्रद्धालुजन उपस्थित रहेंगे। श्री गलता पीठ द्वारा साफ–सफाई व सुरक्षा की पूर्ण व्यवस्था की गई है। इसके अतिरिक्त पुलिस, जिला प्रशासन एवं स्वयं सेवकों द्वारा भी व्यवस्थाओं में पूर्ण सहयोग रहेगा।

बन रहे शुभ संयोग
चार दिवसीय महापर्व का शुभारंभ नहाय खाय के साथ शुक्रवार से होगा। छठ महापर्व का आरंभ नहाय खाय से आरंभ होता है। 28 अक्टूबर को तृतीया और चतुर्थी तिथि, अनुराधा नक्षत्र और ज्येष्ठा नक्षत्र रहेगा। रवियोग और सर्वार्थ सिद्धि योग नामक दो सिद्धिकारी योग भी विद्यमान रहेंगे।

नहाय खाय के साथ व्रत शुरू
बिहार समाज संगठन के महासचिव सुरेश पंडित ने बताया कि नहाय-खाय के अंतर्गत व्रती महिलाएं में जल स्त्रोत में स्नान कर घर आकर खाना बनाएंगी। खाने में कद्दू और अरवा चावल बनाया जाएगा। इसे कद्दू भात कहा जाता है। व्रतियों के प्रसाद ग्रहण करने के बाद ही परिवार के अन्य लोग भोजन ग्रहण करेंगे।

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31 अक्टूबर को समापन
इसके बाद 29 अक्टूबर को 36 घंटे का खरना का व्रत आरंभ होगा। व्रती गलताजी और एनबीसी के पीछे पार्क में बनाए जाने वालेकृत्रिम तालाब में खड़े होकर 30 अक्टूबर को डूबते हुए सूर्य को पहला अघ्र्य देंगे। रात्रि जागरण करते हुए 31 अक्टूबर को उगते हुए सूर्य को दूसरा अघ्र्य अर्पित करने के साथ डाला छठ पर्व का समापन होगा।