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Jaipur News: स्कूल की छतें डराने लगी हैं, दीवारें ढहने की कगार पर हैं और जिन कक्षाओं में बच्चों के भविष्य गढ़े जाने चाहिए, वहां अब डर पढ़ाया जा रहा है। झालावाड़ में हादसे के बाद जयपुर के 470 से अधिक स्कूलों की हालत पर उठे सवालों ने पूरी व्यवस्था को कटघरे में ला खड़ा किया है। अब प्रशासन सख्त है, तो अधिकारी छुट्टी के दिन भी दौड़ते नजर आए लेकिन असल सवाल यही है कि इतनी देर क्यों?
दरअसल, झालावाड़ के सरकारी स्कूल में हुए हादसे के बाद राजधानी जयपुर में शिक्षा विभाग और जिला प्रशासन अलर्ट मोड पर आ गया है। स्कूलों में बच्चों की सुरक्षा को लेकर कड़े निर्देश जारी किए गए हैं। इसके बाद शनिवार सुबह कई स्कूलों में बच्चों को केवल प्रार्थना सभा के बाद ही छुट्टी दे दी गई, तो कहीं जर्जर भवनों से दूर पेड़ों के नीचे कक्षाएं लगाई गईं। हादसे के बाद विभाग की ओर से स्कूलों का सर्वे शुरू किया गया है। हर एक स्कूल भवन की रिपोर्ट तैयार की जा रही है।
शहर में करीब 470 स्कूल भवन ऐसे हैं, जो या तो पूरी तरह जर्जर हैं या फिर आंशिक रूप से क्षतिग्रस्त। ऐसे में बच्चों की जान खतरे में है, और यह व्यवस्था पर सवाल खड़ा करता है।
सांगानेर के कपुरावाला ग्राम पंचायत के तेजावाला गांव में स्थित स्कूल भवन की छत जर्जर हालत में है।संस्था प्रधान ने दो वर्षों में कई बार विभाग को पत्र लिखा, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। ग्रामीण भी स्कूल की मरम्मत कराने का प्रयास कर चुके हैं, लेकिन अब तक कोई बजट आवंटन नहीं हुआ।
हादसे के तुरंत बाद जयपुर जिला प्रशासन ने भी एक्शन लिया। कलेक्टर डॉ. जितेन्द्र कुमार सोनी ने स्पष्ट निर्देश दिए कि बच्चों की सुरक्षा में लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी और किसी भी दुर्घटना की स्थिति में व्यक्तिगत ज़म्मिेदारी तय की जाएगी। उनके निर्देश पर शनिवार को उपखण्ड अधिकारी, तहसीलदार, नायब तहसीलदार, बाल विकास परियोजना अधिकारी और मुख्य ब्लॉक शिक्षा अधिकारी सहित कई विभागीय अधिकारी फील्ड में उतरे। उन्होंने सभी सरकारी स्कूल और आंगनबाड़ी केंद्रों का निरीक्षण किया। जहां मरम्मत की आवश्यकता है वहां कार्य योजना बनाई जा रही है, और तब तक वैकल्पिक स्थानों से शिक्षण कार्य जारी रहेगा।
जयपुर के सिंधी कैंप क्षेत्र में स्थित एक 70 साल पुराने भवन में आज भी प्राथमिक स्कूल चल रहा है। जिला शिक्षा अधिकारी और सिविल शाखा इसे जर्जर घोषित कर चुके हैं, फिर भी पहली से पांचवीं तक की बालिकाओं को उसी भवन में पढ़ाया जा रहा है। पहले यहां 12वीं तक की कक्षाएं संचालित होती थीं, लेकिन छठी से 12वीं तक की कक्षाएं दूसरी जगह शिफ्ट कर दी गईं। पूर्व जिला शिक्षा अधिकारी राजेन्द्र कुमार हंस के अनुसार, स्कूल को शिफ्ट करने के लिए विभाग को कई बार पत्र लिखा गया, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई।
स्वयंसेवी शिक्षण संस्था संघ, राजस्थान ने राज्य सरकार से मांग की है कि निजी स्कूलों की तरह सरकारी स्कूलों में भी भवन सुरक्षा प्रमाण पत्र अनिवार्य किया जाए। संघ के अध्यक्ष डॉ. एल.सी. भारतीय और महामंत्री किशन मित्तल ने मुख्यमंत्री को ज्ञापन भेजकर कहा है कि वर्तमान में सरकारी स्कूलों को बिना भवन निरीक्षण के ही क्रमोन्नत किया जा रहा है। राजकीय प्राथमिक स्कूलों को उच्च प्राथमिक, माध्यमिक और उच्च माध्यमिक में बदला जा रहा है, लेकिन यह नहीं देखा जा रहा कि भवन, शौचालय, शिक्षक और कर्मचारी जैसी मूलभूत सुविधाएं हैं भी या नहीं।
Published on:
27 Jul 2025 09:00 am
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