
जंक फूड और सॉफ्ट ड्रिंक्स कुंद कर रहे बच्चों का दिमाग
अरुण कुमार
जयपुर. जंकफूड और सॉफ्ट ड्रिंक्स या डायट सोडा बच्चो के दिमाग को कुंद कर रहे हैं। जंकफूड खाने वाले करीब 40 फीसदी बच्चो में शार्ट टर्म मेमोरी लॉस की समस्या पाई जा रही है। कुछ बच्चो की याद्दाश्त इतनी कमजोर हो रही है कि उन्हें एक दिन पहले की बात तक याद नहीं रहती है। कई शोध में वैज्ञानिकों ने सॉफ्ट ड्रिंक्स या डायट सोडा, पैकेटबंद फूड, जंक फूड व नूडल्स तथा साफ्ट एल्कोहल को शारीरिक और मानसिक बीमारियों का कारण माना है। इसके अलावा रेडी टू कुक फूड, डिब्बाबंद फूड, कुकीज, डिब्बाबंद नूडल्स, फ्रोजन फूड, ब्रेड, चिप्स, पिज्जा, बर्गर और फ्राइज जैसे पश्चिमी खाद्य उत्पाद बच्चों के बौद्धिक स्तर को खराब कर रहे हैं। 2040 तक 40 साल की उम्र के 70 फीसदी लोाग बेडौल हो सकते हैं। निरंतर फास्ट फूड के सेवन से शरीर थका हुआ महसूस होता है। पोषक तत्व जैसे प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट की कमी की वजह से फास्ट फूड आपकी ऊर्जा के स्तर को कम कर देते हैं।
स्कॉटलैंड के तीन से पांच वर्ष उम्र के 4,000 बच्चों पर हुए शोध में साफ हुआ कि जो बच्चे फास्ट फूड ज्यादा खाते हैं उनका आईक्यू लेवल (बौद्धिक स्तर) उन बच्चों के मुकाबले कम होता है जो नियमित रूप से ताजा पका भोजन करते हैं। शोधकर्ताओं ने पाया गया कि बचपन में पौष्टिक भोजन देने का उनके आईक्यू लेवल पर लंबे समय तक रहता है।
सॉफ्ट ड्रिंक्स या डायट सोडा
सॉफ्ट ड्रिंक्स में पाया जाने वाला हाई फ्रुक्टोज कॉर्न सिरप ब्रेन इंफ्लामेशन को बढ़ाकर याद्दाश्त व सीखने की क्षमता को घटाता है। वहीं, डायट सोडा में भी दिमाग और याद्दाश्त कमजोर करने वाले तत्व पाए जाते हैं।
पैकेटबंद फूड
पैकेटबंद फूड में मौजूद ट्रांस फैट भूलने की गंभीर बीमारी का खतरा बढ़ाने के साथ ही ब्रेन वॉल्यूम कम करने और याद्दाश्त को गंभीर रूप से कमजोर बनाता है। इससे बच्चों की मैथ भी कमजोर हो सकती है।
जंक फूड व नूडल्स
जंक फूड और नूडल्स खाने से दिमाग कमजोर हो जाता है। जिससे लंबे समय तक याद्दाश्त मजबूत नहीं रहती है। सीखने की क्षमता कम होती जाती है व नए न्यूरॉन का उत्पादन भी नहीं होता है।
एल्कोहल या शराब
शराब या एल्कोहल के सेवन से शरीर से विटामिन बी वन की कमी हो जाती है। जिसके कारण ब्रेन वॉल्यूम घटने लगती है और न्यूरोट्रांसमीटर डैमेज होने लगो हैं। इन्हीं कारण से याद्दाश्त कमजोर हो जाती है।
कैसे तेज हो बच्चों का दिमाग
- बच्चों के मस्तिष्क विकास में दूध से ज्यादा दही कारगर है। दही से ब्रेन सेल्स फ्लेक्सिबल होती हैं, जिससे दिमाग को सिग्नल लेने और क्विक रिऐक्शन देने की क्षमता भी बढ़ ताजी है।
- अंडा और मछली सेवन से बच्चों का आईक्यू लेवल बढ़ता है। मछली में बड़ी मात्रा में विटामिन डी और ओमेगा 3 पाया जाता है। जबकि अंडे में विटामिन्स, कैल्शियम, प्रोटीन ब्रेन सेल्स को मजबूत करता है।
- काजू, किशमिश, बदाम, पिस्ता, अखरोट आदि ड्राईफ्रूट्स बच्चों का दिमाग बढ़ाते हैं। दूध के साथ ड्राईफ्रूट्स दोगुना ज्यादा असर करते हैं। बादाम भिगोकर खाने से भी मेमोरी बढ़ती है।
गलत खानपान से 60 फीसदी बीमारियां
का कहना है कि त्वचा पर आने वाले चकत्तों से लेकर पेट की मरोड़ तक तकरीबन 50 रोग फास्ट फूड की देन है। वे कहते हैं कि तकरीबन 60 फीसदी बच्चों की बीमारियाँ उनके गलत खानपान की वजह से होती हैं।
- डॉ. पी.के. सिंघल, बाल रोग विशेषज्ञ, इंद्रप्रस्थ अपोलो अस्पताल
न्यूरोट्रांसमीटर हो रहे क्षतिगस्त
पैकेटबंद फूड में ट्रांस फैट ब्रेन वॉल्यूम और याद्दाश्त को गंभीर रूप से कमजोर करता है। बीएनडीएफ का उत्पादन कम होता है। इससे सीखने की क्षमता घटती है और नए न्यूरॉन कम बनते हैं। न्यूरोट्रांसमीटर क्षतिगस्त होने लगते हैं।
- डॉ. सोमशेखर, बाल रोग विशेषज्ञ, एम एस रामय्या अस्पताल, बेंगलूरु
Published on:
20 Nov 2021 11:37 pm
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