
सरकारी और निजी स्कूलों के बच्चों द्वारा भगवान को लिखी गई चिट्ठियां। (फोटो: पत्रिका)
Children Wrote Letter To God: डिजिटल दुनिया में बच्चों का बचपन गुम होता जा रहा है। AI से बातचीत कर बच्चे भले ही शैक्षणिक दृष्टि से आगे बढ़ रहे हों, लेकिन भावनात्मक रूप से कहीं न कहीं पीछे छूट रहे हैं। भागती-दौड़ती जिंदगी में अभिभावक, शिक्षक, समाज और सरकार किसी के पास भी बच्चों की बात सुनने और समझने का समय नहीं है। जयपुर के एक निजी स्कूल में हाल ही में एक छात्रा द्वारा आत्महत्या जैसा कदम उठाने की घटना ने पूरी व्यवस्था पर सवाल खड़े कर दिए हैं।
आखिर बच्चों के मन में क्या चल रहा है, वे किन समस्याओं से परेशान हैं और वास्तव में क्या चाहते हैं- यह जानने के लिए राजस्थान पत्रिका ने बच्चों के मन की बात समझने और उनके दिल के गुबार को बाहर लाने का प्रयास किया। पत्रिका ने शहर के कुछ सरकारी और निजी स्कूलों में बच्चों से भगवान के नाम चिट्ठी लिखवाई। इनमें बच्चों ने अपनी भावनाएं खुलकर व्यक्त कीं। इस दौरान बच्चों के मन से ऐसी बातें सामने आईं, जो अभिभावकों, शिक्षकों और व्यवस्था की जिम्मेदारी पर गंभीर सवाल खड़े करती हैं।
1. मेरे प्रिय भगवान जी, स्कूल में मेरी सहेली गंदी बातें करती है। बैड टच करती है। परेशान होकर मैं रोती रहती हूं।
2. पापा की डेथ हो गई… मम्मी को चाचा, दादी और दादा परेशान करते हैं। चाचा शराब पीकर मुझे और भाई को मारते हैं। घर में रोज लड़ाई होती है।
3. पापा-मम्मी लड़ते हैं। मम्मी की तबीयत खराब रहती है। हम इतनी दूर से स्कूल आते हैं कि मम्मी टेंशन करती हैं।
4. स्कूल में एक लड़का तंग करता है। बॉयज गंदी बातें करते हैं। मुझे चांटा मारा, गालियां दीं। आप मेरी मदद करो भगवान जी।
मुझे सर्दी के लिए स्वेटर चाहिए।
परीक्षा में अच्छे नंबर दिला दो।
मुझे साइकिल चाहिए।
मेरे पापा को बोलो, कभी डांटें नहीं।
मेरे साथ गलत हो रहा है, मम्मी-पापा समझ नहीं रहे… क्या करूं भगवान?
मुझे फोन की लत लग गई है, इसे दूर करो भगवान जी।
परीक्षा में 95% नंबर आ जाएं, पापा खुश हो जाएंगे।
पृथ्वी लोक पर भ्रष्टाचार हो रहा है, पेपर लीक हो रहे हैं।
मुझे सिंगल नहीं रहना, मुझे एक बहन चाहिए।
पापा कोचिंग भेज रहे हैं, पर मैं वहां अच्छा नहीं कर पा रहा हूं।
Updated on:
14 Nov 2025 07:34 am
Published on:
14 Nov 2025 07:33 am
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