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बड़े आबादी इलाकों में यकायक बढ़ी चमगादड़ की घुसपैठ, लोग हैरान

विशेषज्ञ बोले, प्रवास में मानवीय दखल से बदल लेते स्थान, लोगों में भय  

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जयपुर

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Vikas Jain

Aug 08, 2021

birds in ajmer

birds in ajmer

जयपुर. कोविड—19 की तीसरी लहर की आशंका के बीच राजधानी के कुछ इलाकों में यकायक चमगादड़ों की बढ़ी संख्या से इन इलाकों के आस पास रहने वाले लोग हैरान हैं।

ऐसे इलाकों में अजमेर रोड और उसके आस पास के कुछ क्षेत्र, सी स्कीम, सिविल लाइंस, वैशाली नगर और उसके नजदीकी क्षेत्र शामिल हैं। घने रिहायशी इलाकों में इनकी घुसपैठ से लोगों में भय भी व्याप्त हो गया है।

प्रवास में बाधा से ढूंढ रहे दूसरे स्थान

पक्षी विशेषज्ञ इसे चमगादड़ के प्रवास में बाधा और उसके कारण प्रवास में परिवर्तन ही मान रहे है। दरअसल, इनका प्रवास बड़े पेड़ और पुराने खंडहर नुमा मकान व हवेलियां होती हैं। जयपुर के पुराने शहर की पुरानी हवेलियों को इनके प्रवास का बड़ा स्थान माना गया है। लेकिन अब इनकी संख्या में कमी सहित कई बार बड़े पेड की कटाई से भी ये स्थान परिवर्तन को मजबूर हो रहे हैं। नया ठिकाना मिलने तक ये एक से दूसरे स्थान पर मंडराते रहते हैं।

रात ही नहीं, दिन में भी नजर आ रहे

इन इलाकों में रह रहे लोगों ने बताया कि पहले ये रात में नजर आते थे, लेकिन अब घरों के अंदर तक और यहां तक की लिप्ट तक भी पहुंचते देखे गए। जिससे दहशत जैसी स्थिति भी हो गई। चमगादड़ों के झुंड इन्हें नजर आ रहे हैं। कुछ जगह यह लोगों के घरों मेें बने गार्डन के पेड़ों पर भी लटके दिख रहे है। इससे पेड़ -पौधों को भी नुकसान हो रहे है। इतना नहीं इससे कोरोना वायरस के फैलने की भ्रांतियों के कारण लोगों में दहशत का माहौल भी देखने को मिल रहा है। लोगों ने बताया कि चमगादड़ पेड़-पौधे की पत्तियों व फलों को नष्ट कर रहे है।
वन्यजीव विशेषज्ञ ने बताया कि अचानक संख्या बढ़ना जैसी कोई बात नहीं है। कई बार यह स्थान परिवर्तन कर लेते है। इस वजह से कई बार अधिक संख्या में दिखाई देने लगते हैं। खास बात है कि ये कई महीने तक एक ही स्थान पर प्रवास कर सकते है।

जयपुर के खातीपुरा ग्रास फार्म नर्सरी में अधिक

विशेषज्ञों का कहना है कि चमगादड़ से डरने की जरूरत नहीं है। वे उंचाई में रहते हैं। हालांकि दिन में उनकी चहचहाहट से परेशानी हो सकती है, लेकिन अमूमन वे कोई नुकसान नहीं करते। इनकी सर्वाधिक संख्या उदयपुर, बांसवाड़ा, डूंगरपुर, प्रतापगढ़ इलाके में है। जहां गांव गांव, नदी, नाले में यह मिल जाते है। जयपुर में खातीपुरा ग्रासफार्म नर्सरी में भी इनकी अच्छी संख्या है।

कई बार बदल लेते ठिकाने

चमगादड़ बडे व सुगंधित और मिठास युक्त पेडों पर रहते है। कई बार इनके प्रवास में मानवीय दखल जैसे कि पेडो की कटाई, छंगाई समेत कई कारण से यह ठिकाने बदल लेते है और बडे पेड़ों पर रहते है। यहीं वजह कि इन दिनों यह शहर के विभिन्न इलाकों में ज्यादा दिख रहे है।
सतीश शर्मा, पक्षी विशेषज्ञ

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इनसे कोविड के खतरे के अभी पुख्ता प्रमाण नहीं

चमगादड़ों की आवक से कोविड के खतरे के अभी कोई पुख्ता प्रमाण नहीं है। कोविड वायरस कृत्रिम है या प्राकृतिक..यह भी अभी स्पष्ट नहीं है। लेकिन आमतौर पर ऐसे पक्षियों व जानवरों से सावधान रहना ही चाहिए, लेकिन घबराने जैसी कोई बात नहीं है।
डॉ.रमन शर्मा, सीनियर प्रोफेसर, मेडिसिन, एसएमएस मेडिकल कॉलेज