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पत्रिका की सीएम से विशेष बातचीतः हम रिपीट की तैयारी में… भाजपा सत्ता पाने की जल्दबाजी मेंः गहलोत

राज्य की कांग्रेस सरकार अपनी तीसरी वर्षगांठ मना रही है। सरकार ने तीन वर्षों में कोरोना, लॉकडाउन के साथ सियासी घमासान जैसी चुनौतियों का सामना किया है।

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cm ashok gehlot interview on three years of government

cm ashok gehlot

समीर शर्मा/जयपुर। राज्य की कांग्रेस सरकार अपनी तीसरी वर्षगांठ मना रही है। सरकार ने तीन वर्षों में कोरोना, लॉकडाउन के साथ सियासी घमासान जैसी चुनौतियों का सामना किया है। वहीं, सरकार पर किसानों की सम्पूर्ण कर्ज माफी, संविदाकर्मियों को नियमित करने, युवाओं को नौकरी, कानून व्यवस्था सहित विभिन्न मुद्दों को लेकर विपक्ष लगातार हमलावर है। इन तमाम मुद्दों को लेकर पत्रिका की मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से विशेष बातचीत...

पत्रिका: क्या भाजपा का अगली बार सरकार बनाने का सपना पूरा होगा। वे जन आक्रोश रैली भी निकाल रहे हैं?
जवाब: जनता अभी उनके पिछले पांच साल का कुशासन भूली नहीं है। लेकिन हमारी सरकार के प्रति जनता में कोई आक्रोश नहीं है। हर चुनाव के नतीजे हमारे पक्ष में आ रहे हैं। विधानसभा उपचुनावों में इन्हें 8 में से 1 सीट मिली तथा स्थानीय निकाय चुनावों में मिली हार से ये बौखलाए हुए हैं। ये भाजपा की सत्ता पाने की जल्दबाजी है जिसका आक्रोश उनकी पार्टी के अंदर दिख रहा है।

पत्रिका: आप मानते हैं कि मंत्रिमंडल पुनर्गठन के बाद गुटबाजी खत्म हो चुकी है? रैली से पहले पायलट भी आपसे मिलने आए थे?
जवाब: विपक्ष किस मुंह से हम पर गुटबाजी का आरोप लगाता है। भाजपा में ऐसे पत्र सामने आए हैं जहां वो एक दूसरे को भस्मासुर कह रहे हैं। 10 से अधिक मुख्यमंत्री के दावेदार विपक्ष में घूम रहे हैं और आपस में लड़ रहे हैं। भाजपा के पास राजस्थान में कार्यकर्ताओं से ज्यादा नेता हो गए हैं इसलिए वो अपनी फूट छिपाने के लिए ऐसे बयान देते रहते हैं। हमारी पार्टी एकजुट है और कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी एवं राहुल गांधी के नेतृत्व में एकजुट रहेगी। राजनीति में मिलना एक स्वभाविक प्रक्रिया है। सचिन पायलट से मुलाकात को सकारात्मक रूप में लेना चाहिए।

पत्रिका: आपने चुनाव घोषणा पत्र में एक लाख 78 हजार भर्तियां निकालने का भी वादा किया था, आधों को भी नौकरी नहीं मिली? समय पर भी भर्तियां नहीं होती।
जवाब: यह बात सही नहीं है। हमने अभी तक करीब 1 लाख नियुक्तियां दे दी हैं। 80 हजार नियुक्तियां प्रक्रियाधीन हैं। पिछली सरकार की नीति एवं नीयत की कमी के कारण 28000 पदों की भर्तियां न्यायालयों में लंबित थीं। हमने इसका निस्तारण कर इनमें से 26000 पदों पर नियुक्तियां दी हैं। कमेटी गठित कर भर्तियों के नियमों में बदलाव किया, जिससे भर्तियां अब कोर्ट में नहीं अटकेंगी। रीट परीक्षा करवाई जिसमें 26 लाख अभ्यर्थी शामिल हुए और इसका एक महीने में परिणाम जारी कर दिया। समय पर भर्ती निकले, परीक्षा हो, रिजल्ट आए और नियुक्ति मिले इसके लिए हमारी सरकार ने कार्य किया है। कोविड के कारण परीक्षा करवाने में देरी हुई परन्तु अब रीट, पटवारी, पुलिस सब इंस्पेक्टर, आरएएस समेत कई बड़ी भर्ती परीक्षाएं आयोजित की गईं हैं एवं पुलिस कांस्टेबल, वीडीओ, आरएएस मुख्य परीक्षा आने वाले दिनों में प्रस्तावित हैं।

पत्रिका: कोरोना, लॉकडाउन और सियासी घमासान की चुनौतियों के बीच अपनी सरकार के तीन वर्ष के प्रदर्शन को किस रूप में देखते हैं?
जवाब: सरकार के लिए तीन वर्ष चुनौतीपूर्ण रहे हैं, क्योंकि दो साल कोरोना का प्रभाव रहा है। इससे राजस्व भी घटा एवं मानव संसाधन का भी नुकसान हुआ। फिर भी, प्रदेश के विकास और कोरोना प्रबंधन में हमारा कामकाज शानदार रहा है, इसलिए जनता ने 8 में से 6 विधानसभा उपचुनाव, नगरीय निकाय एवं पंचायती राज चुनावों में हमें बड़ी जीत दिलाई है। सरकार ने किसानों की करीब 15000 करोड़ की कर्जमाफी की। किसानों को बिजली बिल पर 1000 रुपए की अतिरिक्त सब्सिडी से करीब 3 लाख किसानों के बिल शून्य हो गए। चिरंजीवी स्वास्थ्य बीमा योजना के साथ ही नि:शुल्क कोविड टेस्ट की सुविधा दी। सरकारी अंग्रेजी मीडियम स्कूल और 123 नए कॉलेज खोले हैं। 88 लाख लोगों को सामाजिक सुरक्षा पेंशन और हर ब्लॉक पर रीको औद्योगिक क्षेत्र खोले जा रहे हैं।

पत्रिका: दावा है कि मैनीफेस्टों के 70 फीसदी काम पूरे हो गए हैं, शेष 30 फीसदी अगले दो वर्ष में पूरे कर दिए जाएंगे?
जवाब: अगर आप 100 फीसदी कार्यों को पांच साल के हिसाब से देखें तो तीन साल में 60 फीसदी वादे ही पूरे होने चाहिए थे, लेकिन हमने 70 फीसदी वादे पूरे कर दिए हैं। जनघोषणा पत्र के वादों के साथ बजट घोषणाओं को भी समय पर पूरा किया जा रहा है। हम हर वर्ष जनघोषणा पत्र की क्रियान्विति रिपोर्ट जनता के सामने पेश कर रहे हैं और इसे लेकर ही हम चुनावों में भी जाएंगे।

पत्रिका: वर्ष 2023 के विधानसभा चुनाव में जाने से पहले सभी विभागों के संविदा कर्मियों को नियमित करने का बड़ा वादा किया था।
जवाब: संविदाकर्मियों को लेकर किए गए वादे पर हम काम कर रहे हैं और उनकी सभी समस्याओं को सुलझाया जा रहा है। समय-समय पर उच्चतम न्यायालय के निर्णयों को देखते हुए फैसले किए जा रहे हैं। इस वर्ष के बजट में हमने संविदाकर्मियों का कैडर बनाने की घोषणा की थी। हाल ही 15 दिसंबर को हुई कैबिनेट बैठक में हमने संविदाकर्मियों के लिए सेवा नियम बनाने का अनुमोदन किया है।

पत्रिका: भाजपा आरोप लगा रही है कि राज्य में पेट्रोल-डीजल सभी पड़ोसी राज्यों से महंगा है, जबकि केंद्र सभी राज्यों को समान दर पर दे रही है।
जवाब: पेट्रोल-डीजल के मामले में मीडिया हमेशा अधूरा सच दिखाता है। जनसंख्या और भौगोलिक परिस्थितियों के हिसाब से राजस्थान के समान आकार का पड़ोसी मध्य प्रदेश है। मध्य प्रदेश और राजस्थान में पेट्रोल की कीमत समान है। यूपी, गुजरात से तुलना करेंगे तो वहां नवंबर 2021 में ही कीमत क्यों कम की? क्योंकि दोनों राज्यों में अगले साल विधानसभा चुनाव हैं। हमने तो बिना चुनाव के ही 29 जनवरी को 2 फीसदी वैट कम कर दिया था। जबकि केन्द्र सरकार षडयंत्रपूर्ण तरीके से पेट्रोल-डीजल पर राज्यों के हिस्से वाली बेसिक एक्साइज ड्यटी को कम कर रही है, जिससे राज्यों को कोई फायदा न मिले और केन्द्र सरकार का खजाना भरता रहे।

पत्रिका: रिफायनरी प्रोजेक्ट का काम मार्च 22 में पूरा होना था, लेकिन अभी बमुश्किल 50 फीसदी ही हुआ है...
जवाब: पिछली सरकार ने पांच साल तक जिस तरह रिफाइनरी का काम अटकाए रखा, उसका दुष्प्रभाव स्पष्ट दिख रहा है। पांच साल में निर्माण की लागत बढ़ गई है। रिफाइनरी का जो काम हमने 2013 में शुरू कर दिया था, उसे अकारण ही 2018 तक अटका कर रखा गया। ऐसी जानकारी मिल रही है कि महंगाई बढऩे के साथ इस काम की लागत भी बहुत बढ़ गई है और समय भी अधिक लगेगा। अब कोविड के कारण भी काम में देरी हुई है, परन्तु हमारा पूरा प्रयास है कि इस काम को जल्द से जल्द पूरा कर जनता को समर्पित किया जाए।