
फोटो- पत्रिका नेटवर्क
Coaching Control Bill 2025: राजस्थान विधानसभा के मानसून सत्र में बुधवार को बहस और हंगामे के बीच राजस्थान कोचिंग इंस्टीट्यूट कंट्रोल्ड एंड रेगुलेशन बिल 2025 को पारित कर दिया गया। यह विधेयक कोचिंग संस्थानों के संचालन को नियंत्रित करने और छात्रों के हितों की रक्षा करने के उद्देश्य से लाया गया है।
खासकर कोटा जैसे शहरों में कोचिंग संस्थानों की मनमानी और छात्रों पर बढ़ते दबाव को देखते हुए इस बिल को लागू करने की मांग लंबे समय से थी। इस विधेयक में कई सख्त प्रावधान शामिल किए गए हैं, जिनमें रजिस्ट्रेशन की अनिवार्यता, फीस वापसी, जुर्माना, और संपत्ति जब्ती जैसे कदम शामिल हैं।
इसके अलावा, कोचिंग संस्थानों की निगरानी के लिए एक प्राधिकरण और जिला स्तर पर समितियों का गठन भी किया जाएगा। आइए, इस बिल के सभी प्रावधानों, जुर्माने की राशि और निगरानी तंत्र की विस्तृत जानकारी को समझते हैं।
रजिस्ट्रेशन की अनिवार्यता: नए विधेयक के तहत, उन सभी कोचिंग संस्थानों को अनिवार्य रूप से रजिस्ट्रेशन करवाना होगा, जिनमें 100 या उससे अधिक छात्र पढ़ते हैं। बिना रजिस्ट्रेशन के कोई भी कोचिंग सेंटर संचालित नहीं हो सकेगा। यह प्रावधान छोटे और अनियंत्रित कोचिंग सेंटरों पर नकेल कसने के लिए लाया गया है। रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया जिला समिति के माध्यम से होगी, जो कोचिंग सेंटरों को रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट जारी करेगी। नियमों का उल्लंघन करने पर रजिस्ट्रेशन रद्द करने का भी प्रावधान है।
फीस वसूली पर नियंत्रण: कोचिंग सेंटर अब एकमुश्त फीस नहीं वसूल सकेंगे। विधेयक में स्पष्ट किया गया है कि यदि कोई छात्र बीच में पढ़ाई छोड़ता है तो कोचिंग संस्थान को उसकी ट्यूशन फीस और हॉस्टल फीस (यदि लागू हो) वापस करनी होगी। यह प्रावधान उन छात्रों के लिए राहतकारी है जो आर्थिक या अन्य कारणों से कोर्स पूरा नहीं कर पाते। मनमानी फीस वसूली पर कोचिंग का रजिस्ट्रेशन रद्द करने और संपत्ति कुर्क करने की कार्रवाई भी की जा सकती है।
जुर्माने का प्रावधान: विधेयक में नियमों के उल्लंघन के लिए सख्त दंड का प्रावधान किया गया है। पहली बार नियम तोड़ने पर कोचिंग सेंटर पर 50,000 रुपये का जुर्माना लगाया जाएगा। दूसरी बार उल्लंघन करने पर यह राशि बढ़कर 2 लाख रुपये हो जाएगी। यदि कोचिंग सेंटर बार-बार नियम तोड़ता है, तो तीसरी बार में 5 लाख रुपये तक का जुर्माना लगाया जा सकता है। इसके बाद भी नियमों का पालन न करने पर कोचिंग का रजिस्ट्रेशन रद्द कर दिया जाएगा। यदि जुर्माना राशि का भुगतान नहीं किया जाता, तो कोचिंग सेंटर की संपत्ति जब्त कर जुर्माना वसूला जाएगा।
छात्रों पर दबाव और मानसिक स्वास्थ्य: कोचिंग सेंटरों द्वारा छात्रों पर पढ़ाई का अत्यधिक दबाव डालने की शिकायतें लंबे समय से सामने आ रही थीं। इस बिल में छात्रों के मानसिक स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए तनाव प्रबंधन (स्ट्रेस मैनेजमेंट) सत्रों को अनिवार्य किया गया है। कोचिंग सेंटरों को नियमित रूप से ऐसे सत्र आयोजित करने होंगे, ताकि छात्रों पर मानसिक दबाव कम हो और वे बेहतर तरीके से पढ़ाई कर सकें।
कोचिंग सेंटरों की निगरानी और उनके संचालन को नियंत्रित करने के लिए राजस्थान कोचिंग सेंटर प्राधिकरण का गठन किया जाएगा। इस प्राधिकरण की संरचना इस प्रकार होगी। अध्यक्ष उच्च शिक्षा विभाग के प्रभारी सचिव होंगे, सदस्य स्कूल शिक्षा विभाग, तकनीकी शिक्षा विभाग, मेडिकल एजुकेशन विभाग के सचिव, पुलिस महानिरीक्षक (आईजी), कॉलेज शिक्षा आयुक्त, डीएलबी निदेशक, एक मनोवैज्ञानिक (साइकोलॉजिस्ट), वित्त विभाग से नामित एक सचिव, कोचिंग सेंटरों के दो प्रतिनिधि, और अभिभावक समिति के दो सदस्य होंगे और सदस्य सचिव उच्च शिक्षा विभाग के संयुक्त सचिव होंगे।
बता दें, यह प्राधिकरण कोचिंग सेंटरों के रजिस्ट्रेशन, नियमों के पालन, और शिकायतों के निवारण की जिम्मेदारी संभालेगा। प्राधिकरण को सिविल कोर्ट की शक्तियां प्राप्त होंगी, जिसके तहत वह कोचिंग सेंटरों के खिलाफ कार्रवाई कर सकेगा।
24 घंटे कॉल सेंटर: प्रत्येक जिले में 24 घंटे चलने वाला कॉल सेंटर स्थापित किया जाएगा, जहां छात्र अपनी शिकायतें दर्ज करा सकेंगे।
जिला समिति: कलेक्टर की अध्यक्षता में एक जिला समिति का गठन होगा, जिसमें पुलिस अधीक्षक (एसपी), शहरी निकाय के आयुक्त, मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी (सीएमएचओ), जिला शिक्षा अधिकारी (माध्यमिक), कलेक्टर द्वारा नामित एक सदस्य, और अतिरिक्त जिला मजिस्ट्रेट (एडीएम) प्रशासन शामिल होंगे। इस समिति को भी सिविल कोर्ट की शक्तियां प्राप्त होंगी।
निगरानी और निरीक्षण: जिला समिति कोचिंग सेंटरों का नियमित निरीक्षण करेगी और नियमों का उल्लंघन होने पर रजिस्ट्रेशन रद्द करने या रिन्यूअल से इनकार करने का अधिकार रखेगी।
बताते चलें कि छात्रों और अभिभावकों की सुविधा के लिए एक शिकायत वेब पोर्टल और हेल्पलाइन शुरू की जाएगी। यह पोर्टल और हेल्पलाइन कोचिंग सेंटरों से संबंधित शिकायतों को दर्ज करने और उनके त्वरित निवारण के लिए काम करेंगे। यह कदम विशेष रूप से उन छात्रों के लिए मददगार होगा जो कोचिंग सेंटरों की मनमानी से परेशान हैं।
इधर, बिल को पारित करने के दौरान विधानसभा में काफी हंगामा देखने को मिला। कांग्रेस विधायकों ने बिल पर चर्चा के दौरान सदन से वॉकआउट किया। इस दौरान वन मंत्री संजय शर्मा और नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली के बीच नोकझोंक भी हुई। संसदीय कार्य मंत्री जोगाराम पटेल और सामाजिक न्याय अधिकारिता मंत्री अविनाश गहलोत ने स्थिति को संभालने की कोशिश की। हंगामे के बावजूद बिल को बहुमत से पारित कर लिया गया।
वहीं, उच्च शिक्षा मंत्री प्रेम चंद बैरवा ने बिल को पारित करने के बाद कहा कि यह विधेयक लचीला है और भविष्य में जरूरत पड़ने पर इसमें संशोधन किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि इस बिल का उद्देश्य कोचिंग सेंटरों की मनमानी पर रोक लगाना और छात्रों के हितों की रक्षा करना है।
राजस्थान, खासकर कोटा, देश में कोचिंग हब के रूप में जाना जाता है। हर साल लाखों छात्र मेडिकल, इंजीनियरिंग, और अन्य प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी के लिए यहां आते हैं। लेकिन कोचिंग सेंटरों की अनियंत्रित फीस, छात्रों पर दबाव, और मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याओं, छात्रों की बढ़ती आत्महत्याओं की वजह से सरकार ये बिल लेकर आई है।
Published on:
03 Sept 2025 06:01 pm
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