
जटिल सर्जरी से दूर की जन्मजात विकृति, मां बनने का मिला सुख
जयपुर। कई बार ऐसी जन्मजात विकृति होती है, जिनका पता भी नहीं चलता और इससे एक औरत मां बनने के सुख से वंचित रह सकती है। कुछ ऐसा ही मामला सामने आया भरतपुर में रहने वाली 28 वर्षीय महिला का, जो राजधानी स्थित रुक्मणी बिरला हॉस्पिटल में परामर्श लेने आई। महिला में जन्मजात परेशानी (congenital problem) थी, लेकिन लंबे समय तक इसका पता नहीं चल सका।
महिला शादी के बाद से गर्भवती नहीं हो पा रही थी। माहवारी के समय लगातार तेज पेट दर्द की परेशानी थी। महिला के पति ने बताया कि गायनोकोलॉजिस्ट डॉ. विभा चतुर्वेदी को दिखाया तो डाग्नोस्टिक हिस्ट्रो लेप्रोस्कोपी से पता चला कि पत्नी को जन्मजात विकार के कारण पेट में दो यूट्रस और दो वजाइना की आंतरिक संरचना बनी थी, जिसके कारण वह गर्भवती नहीं हो पा रही थी। डॉक्टर ने जांचों के बाद रिकंस्ट्रक्शन सर्जरी का विकल्प चुना। इसमें लेप्रोस्कोपी (laparoscopy) और हिस्ट्रोस्कोपी (hysteroscopy) की मदद से एक यूट्रस और एक वजाइना बना दिया।
सर्जरी के 4 माह बाद हुई गर्भवती
डॉ. विभा चतुर्वेदी ने बताया कि महिला में जन्मजात परेशानी थी, लेकिन लंबे समय तक इसका पता नहीं चल सका। परेशानी तब सामने आई, जब मरीज के पीरियड्स शुरू हुए। उन्हें तेज पेट दर्द की समस्या होती थी, लेकिन इसे सामान्य माना गया। इसके बाद मरीज की शादी हो गई तो वह गर्भवती नहीं हो पाई। चतुर्वेदी ने बताया कि सर्जरी के चार माह बाद मरीज को गर्भवती होने का सुख मिल पाया और 36 सप्ताह की गर्भावधि के बाद मां बन पाई। उन्होंने एक संतान को जन्म दिया।
Published on:
17 Apr 2022 12:11 am
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