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कांग्रेस का संगठन अभियान: राजस्थान में बदलेंगे 50 जिलाध्यक्ष, लगाए गए 30 ऑब्जर्वर; जानें क्या पड़ेगा इसका असर?

Rajasthan Poitics: कांग्रेस आलाकमान ने संगठन को मजबूत करने के लिए 'संगठन सृजन अभियान' के तहत राजस्थान के 50 जिलों में नए जिलाध्यक्षों की नियुक्ति के लिए 30 पर्यवेक्षकों को नियुक्त किया है।

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Rajasthan PCC Chief

फोटो- पत्रिका नेटवर्क

Rajasthan Poitics: राजस्थान प्रदेश कांग्रेस में जल्द ही बड़े संगठनात्मक बदलाव देखने को मिल सकते हैं। कांग्रेस आलाकमान ने संगठन को मजबूत करने के लिए 'संगठन सृजन अभियान' के तहत राजस्थान के 50 जिलों में नए जिलाध्यक्षों की नियुक्ति के लिए 30 पर्यवेक्षकों को नियुक्त किया है।

इससे वर्तमान जिलाध्यक्षों में बेचैनी बढ़ गई है, क्योंकि कई पुराने नेताओं को हटाए जाने की संभावना जताई जा रही है। इस अभियान के तहत पार्टी जमीनी स्तर पर कार्यकर्ताओं की राय लेकर संगठन को नया रूप देना चाहती है।

संगठन सृजन अभियान की शुरुआत

दरअसल, कांग्रेस ने साल 2025 को संगठन निर्माण का वर्ष घोषित किया है। इसकी शुरुआत दिसंबर 2024 में कर्नाटक में आयोजित कांग्रेस अधिवेशन में लिए गए निर्णय के तहत हुई थी। इस अभियान का पहला चरण गुजरात, मध्यप्रदेश और हरियाणा में शुरू किया गया था और अब राजस्थान में इसे लागू किया जा रहा है।

पार्टी पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी इस अभियान को लेकर बेहद गंभीर हैं। उनका मानना है कि संगठन को मजबूत करने के लिए जमीनी स्तर के कार्यकर्ताओं को अधिक अवसर और जिम्मेदारी दी जानी चाहिए।

जिलाध्यक्षों की नियुक्ति प्रक्रिया

इस अभियान के तहत राजस्थान में नियुक्त किए गए 30 पर्यवेक्षक बूथ, मंडल और ब्लॉक स्तर तक जाकर स्थानीय नेताओं और कार्यकर्ताओं से संवाद करेंगे। ये पर्यवेक्षक जिला अध्यक्षों के लिए उपयुक्त नेताओं के नामों का पैनल तैयार करेंगे, जिसे दिल्ली में केंद्रीय आलाकमान के पास अंतिम मंजूरी के लिए भेजा जाएगा। इस प्रक्रिया में प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा, प्रदेश प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा और नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली की भी अहम भूमिका होगी।

राजस्थान में प्रशासनिक दृष्टि से 41 जिले हैं, लेकिन कांग्रेस ने संगठनात्मक स्तर पर 50 जिलों में अपने जिला अध्यक्ष नियुक्त करने का फैसला किया है। इनमें से 10 नए जिलों में पहली बार जिलाध्यक्ष नियुक्त किए जाएंगे, जबकि शेष 40 जिलों में भी नए सिरे से नियुक्तियां होंगी। पर्यवेक्षकों का काम स्थानीय स्तर पर नेताओं और कार्यकर्ताओं से रायशुमारी कर तीन-तीन नामों का पैनल तैयार करना है। इस पैनल पर प्रदेश नेतृत्व के साथ चर्चा के बाद अंतिम फैसला राहुल गांधी और कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे लेंगे।

पार्टी सूत्रों के मुताबिक, आलाकमान ने साफ निर्देश दिए हैं कि जिलाध्यक्षों की नियुक्ति किसी बड़े नेता की सिफारिश के आधार पर नहीं, बल्कि जमीनी स्तर के कार्यकर्ताओं के फीडबैक के आधार पर होगी। इस प्रक्रिया को पारदर्शी और समावेशी बनाने के लिए बाहरी राज्यों के वरिष्ठ नेताओं को पर्यवेक्षक बनाया गया है, ताकि स्थानीय गुटबाजी का प्रभाव कम से कम हो।

वर्तमान जिलाध्यक्षों में बेचैनी

इस अभियान के ऐलान के बाद से वर्तमान जिलाध्यक्षों में बेचैनी बढ़ गई है। खासतौर पर उन नेताओं में, जिनका प्रदर्शन आलाकमान की नजर में संतोषजनक नहीं रहा है। माना जा रहा है कि कई पुराने जिलाध्यक्षों को हटाया जा सकता है, जबकि नए और समर्पित चेहरों को मौका दिया जाएगा। पिछले दो महीनों में प्रदेश इकाई ने संगठन को मजबूत करने के लिए कई प्रयास किए थे, लेकिन 10 जिलों में जिलाध्यक्षों की नियुक्ति नहीं हो पाई थी। अब आलाकमान ने इस प्रक्रिया को तेज करने के लिए बाहरी नेताओं को जिम्मेदारी सौंपी है।

अन्य राज्यों में भी बदलाव की तैयारी

संगठन सृजन अभियान के तहत राजस्थान के अलावा अन्य राज्यों में भी बड़े बदलाव की तैयारी है। अगले महीने चार राज्यों के प्रदेश अध्यक्षों को बदला जा सकता है। इसके अलावा, पूर्व विधानसभा स्पीकर डॉ. सीपी जोशी को तेलंगाना का पर्यवेक्षक बनाया गया है, जबकि विधायक रीटा चौधरी, रेहाना रियाज और सीताराम लांबा को छत्तीसगढ़ में पर्यवेक्षक की जिम्मेदारी दी गई है।

संगठन को नया रूप देने की रणनीति

राहुल गांधी की मंशा के अनुरूप राजस्थान में संगठन को नए सिरे से खड़ा करने की रणनीति बनाई गई है। इस अभियान का उद्देश्य न केवल संगठन को मजबूत करना है, बल्कि जमीनी स्तर के कार्यकर्ताओं को नेतृत्व में अवसर देना भी है। माना जा रहा है कि इस प्रक्रिया के बाद अगले कुछ वर्षों तक राजस्थान में संगठन में बड़े बदलाव की संभावना कम होगी।