
पत्रिका फाइल फोटो
Rajasthan News: भरतपुर के ऐतिहासिक मोती महल में बीते रविवार देर रात एक विवादास्पद घटना ने पूरे क्षेत्र में हड़कंप मचा दिया। डीग जिले के सिनसिनी गांव के रहने वाले मनुदेव सिनसिनी और उनके दो साथियों ने SUV कार से मोती महल के सदर गेट को तोड़कर अंदर प्रवेश किया और रियासतकालीन झंडा लगाने की कोशिश की। इस घटना प्रशासन में भी हड़कंप मच गया था।
आखिर इस विवाद की जड़ क्या है? कौन हैं मनुदेव सिनसिनी, और इस घटना के पीछे की कहानी क्या है? आइए, इस पूरे मामले को विस्तार से समझते हैं।
रविवार देर रात भरतपुर के पूर्व राजपरिवार के मोती महल के सदर गेट पर एक SUV कार ने जोरदार टक्कर मारी, जिससे गेट टूट गया। कार में सवार तीन लोग मनुदेव सिनसिनी और उनके दो साथी गेट तोड़कर महल परिसर में करीब 50 मीटर अंदर घुस गए। उनके हाथ में रियासतकालीन झंडा था, जिसे वे महल परिसर में लगाने की कोशिश कर रहे थे।
इस दौरान उन्होंने सोशल मीडिया पर लाइव वीडियो भी बनाया, जिसमें उनकी हरकतें साफ दिखाई दे रही थीं। हालांकि, जैसे ही महल के गार्ड्स मौके पर पहुंचे, तीनों आरोपी गाड़ी छोड़कर फरार हो गए। इस घटना की सूचना मिलते ही पुलिस प्रशासन में खलबली मच गई। रातों-रात भारी पुलिस बल मोती महल के आसपास तैनात किया गया।
एसडीएम राजीव शर्मा और एडिशनल एसपी सतीश कुमार यादव मौके पर पहुंचे। फॉरेंसिक साइंस लेबोरेटरी (FSL) की टीम ने मौके से सबूत जुटाए और पुलिस ने उस SUV कार को अपने कब्जे में ले लिया, जिससे गेट तोड़ा गया था।
एडिशनल एसपी सतीश कुमार यादव ने बताया कि जांच में पता चला है कि तीन लोग इस घटना में शामिल थे। इनमें से मनुदेव सिनसिनी की पहचान वीडियो के आधार पर की गई है, जबकि बाकी दो लोगों की तलाश जारी है। यादव ने कहा कि यह मामला राजपरिवार और झंडे को लेकर पुराने विवाद से जुड़ा है, लेकिन कुछ असामाजिक तत्वों ने इसे जानबूझकर तूल देने की कोशिश की।
शुरुआत में फायरिंग की सूचना मिली थी, लेकिन जांच में यह गलत निकली। गेट टूटने की आवाज को गार्ड्स ने गलती से फायरिंग समझ लिया। पुलिस ने बताया कि तीनों आरोपी मौके से भाग निकले। पूर्व राजपरिवार के सदस्य अनिरुद्ध सिंह ने मनुदेव सिनसिनी और दो अज्ञात लोगों के खिलाफ मथुरा गेट थाने में FIR दर्ज कराई है।
बता दें, यह विवाद कोई नया नहीं है। मोती महल कभी भरतपुर रियासत का महत्वपूर्ण हिस्सा था। यह जाट समुदाय के लिए ऐतिहासिक और सांस्कृतिक गौरव का प्रतीक है। 21 सितंबर को जाट समुदाय ने मोती महल में रियासतकालीन झंडा लगाने का ऐलान किया था। इस झंडे को समुदाय अपनी पहचान और गौरव से जोड़ता है।
हालांकि, पूर्व राजपरिवार के सदस्य विश्वेंद्र सिंह की अपील और प्रशासन के हस्तक्षेप के बाद जाट समुदाय ने अपना फैसला वापस ले लिया था। प्रशासन ने मोती महल पर तिरंगा झंडा लगवाया, जिसके बाद दिनभर शांति रही। लेकिन रविवार रात को मनुदेव सिनसिनी और उनके साथियों की इस हरकत ने मामले को फिर से गरमा दिया।
घटना के बाद सिनसिनी गांव में एक पंचायत का आयोजन हुआ, जिसमें मनुदेव सिनसिनी, दौलत फौजदार और दिनेश सिनसिनी सहित बड़ी संख्या में लोग शामिल हुए। इस पंचायत में पूर्व राजपरिवार के सदस्य विश्वेंद्र सिंह को फोन पर जोड़ा गया। दौलत फौजदार ने विश्वेंद्र सिंह से पूछा कि मनुदेव की इस हरकत पर उनका क्या रुख है।
विश्वेंद्र सिंह ने कहा कि मोती महल पर राष्ट्रीय ध्वज लगने के बाद हम रियासतकालीन झंडा नहीं लगा सकते थे, क्योंकि उस पर हनुमान भगवान का चित्र है। इसे तिरंगे के नीचे लगाना उचित नहीं था। लेकिन मैं यह कहता हूं कि न तो मनुदेव को कुछ होगा और न ही किसी और को। मैंने एसपी से बात कर ली है। विश्वेंद्र सिंह ने यह भी कहा कि मोती महल उनके पुरखों का है और वहां रियासतकालीन झंडा जरूर लगेगा।
उन्होंने ऐलान किया कि वह बसंत पंचमी पर मोती महल जाएंगे। पंचायत में मौजूद लोगों ने विश्वेंद्र सिंह से यह भी पूछा कि क्या मोती महल में जाट समुदाय का गौरव फिर से स्थापित होगा। इस पर विश्वेंद्र ने आश्वासन दिया कि ऐसा जरूर होगा।
मनुदेव सिनसिनी एक इंजीनियर और सामाजिक कार्यकर्ता हैं। मनुदेव भरतपुर जिले के सिनसिनी गांव के रहने वाले हैं। वे राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी (RLP) से जुड़े हैं और जाट समुदाय में खासे लोकप्रिय हैं। मनुदेव ने भारतीय खाद्य निगम (FCI) में सलाहकार के रूप में काम किया है और RLP के भरतपुर जिलाध्यक्ष भी रह चुके हैं। 2023 में उन्हें डीग-कुम्हेर विधानसभा क्षेत्र से RLP का टिकट मिला था। वे पूर्व उप-प्रधान भी रहे हैं।
इस घटना के बाद मनुदेव को जाट समुदाय के एक वर्ग ने 'भरतपुर गौरव' की उपाधि दी है। उनके समर्थकों का कहना है कि उन्होंने रियासतकालीन झंडे को लगाने की कोशिश करके समुदाय के स्वाभिमान की रक्षा की।
इस घटना के बाद सोमवार सुबह पूर्व राजपरिवार के सदस्य अनिरुद्ध सिंह ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा कि इस घटना के पीछे कौन है, यह पुलिस जांच में सामने आएगा। मोती महल के अंदर कई ऐतिहासिक इमारतें हैं और यह घटना मुख्य महल से 500 मीटर दूर हुई। इस दौरान रियासतकालीन चीजें भी क्षतिग्रस्त हो सकती थीं।
अनिरुद्ध ने पुलिस की तारीफ करते हुए कहा कि प्रशासन ने तुरंत कार्रवाई की और सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए। उन्होंने यह भी कहा कि जिन लोगों ने यह हरकत की, उनके नाम पुलिस को दे दिए गए हैं।
Published on:
23 Sept 2025 05:32 pm
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