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अब CORONA की तीसरी और चौथी लहर का संभावित ‘खतरा’! जानें CM Ashok Gehlot ने क्या कही चौंकाने वाली बात?

- कोरोना की दूसरी लहर के बीच तीसरी और चौथी लहर का खतरा! कोविड-19 की समीक्षा बैठक के दौरान जताई गई संभावना, मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने किया ज़िक्र, विशेषज्ञों की राय का दिया हवाला, 'दूसरे' पर नियंत्रण के साथ 'तीसरे-चौथे' की तैयारी रखने के निर्देश, जीवन रक्षा के लिए संसाधन जुटाने में नहीं रखें कोई कमी: मुख्यमंत्री

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Corona Third and Forth Wave amidst Second Wave! CM Gehlot reacts

जयपुर।

केंद्र और राज्य सरकारें जहां कोरोना की दूसरी लहर पर नियंत्रण पाने की जद्दोजहद में जुटी हैं, तो वहीं इसी महामारी की तीसरी और चौथी लहर का खतरा भी मंडरा रहा है। ये बात दरअसल, बुधवार को मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की अध्यक्षता में हुई कोविड-19 नियंत्रण की समीक्षा समीक्षा बैठक के दौरान सामने आई। मुख्यमंत्री ने बकायदा अधिकारियों को कोरोना की दूसरी लहर से निपटने के साथ ही इस महामारी की तीसरी और चौथी लहर के लिए भी तैयार रहने के निर्देश दिए हैं।


मुख्यमंत्री अपने निवास से वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से कोविड-19 की स्थिति की समीक्षा कर रहे थे। बैठक के दौरान मुख्यमंत्री ने विशेषज्ञों की राय रखते हुए कहा कि आने वाले दिनों में कोरोना की तीसरी एवं चौथी लहर की भी आशंका व्यक्त की जा रही है। उन्होंने आने वाले समय में होने वाली संभावित स्थितियों से निपटने के लिए अभी से ही पुख्ता इंतजाम सुनिश्चित करने के निर्देश दिए। साथ ही ये भी कहा कि राज्य सरकार इन व्यवस्थाओं में वित्तीय संसाधनों की कोई कमी नहीं आने देगी।

मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा है कि राज्य सरकार कोरोना संक्रमण की दूसरी घातक लहर से बेहद चिंतित है। उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिए कि प्रदेशवासियों की जीवन रक्षा के लिए जहां से और जिस तरह से संसाधन जुटा सकते हैं, जुटाए जाएं। संकट की इस घड़ी में पूरे हौसले और हिम्मत के साथ हम हमारी पूरी ताकत प्रदेशवासियों का जीवन बचाने में लगा दें। हमारा हर प्रयास इस संकट को दूर करने के लिए होन चाहिए।

'चिंता के साथ चुनौती भरा समय'
मुख्यमंत्री ने कहा कि कोविड की दूसरी लहर में हो रही मौतें संक्रमण की भयावह स्थिति दर्शाती है। पहली बार देखने में आ रहा है कि युवा भी इस खतरनाक वायरस से असमय ही मौत के शिकार हो रहे हैं। साथ ही, भर्ती होने वाले ज्यादातर रोगियों को हाई फ्लो ऑक्सीजन की आवश्यकता पड़ रही है। ऎसे में, यह समय हमारे लिए चिंताजनक होने के साथ-साथ चुनौती भरा भी है।

'आवश्यकता हो तो संसाधन आयात भी करें'
मुख्यमंत्री ने निर्देश दिए कि ऑक्सीजन कॉन्सनटे्रटर, सिलेण्डर, फ्लो मीटर एवं दवाओं सहित अन्य जरूरी संसाधन आयात करने की आवश्यकता है, तो इसके लिए योजना बनाकर उसे त्वरित रूप से अंजाम दें। साथ ही, केन्द्र सरकार, स्थानीय स्रोतों एवं कम्पनियों से भी लगातार सम्पर्क कर प्रदेश की जरूरतों को जल्द से जल्द पूरा करें।

'केंद्रीय मंत्रियों से निरंतर संपर्क में रहे'
गहलोत ने निर्देश दिए कि अस्पतालों में बैड, ऑक्सीजन, रेमडेसिविर, टोसिलिजुमेब सहित अन्य संसाधनों का समुचित एवं बेहतर प्रबंधन हो। उन्होंने कहा कि राजस्थान की आवश्यकताओं के अनुरूप संसाधनों की आपूर्ति के लिए केन्द्र सरकार ने जो आश्वासन दिया है, उसके अनुरूप संसाधन आवंटन करने के लिए केन्द्रीय मंत्रियों एवं अधिकारियों से लगातार समन्वय बनाए रखें और उन्हें राजस्थान की जरूरतों से निरंतर अवगत कराएं। उन्होंने एक बार फिर मांग की है कि केन्द्र सरकार राजस्थान की आवश्यकता के अनुरूप संसाधनों की उपलब्धता तत्काल सुनिश्चित करे।

'अस्पतालों में अनावश्यक ना हो दबाव'
मुख्यमंत्री ने कहा कि अस्पताल में भर्ती किए जाने वाले रोगियों में चिकित्सकीय प्रोटोकॉल का पूरा ध्यान रखा जाए। सामान्य स्थिति वाले मरीजों को होम आइसोलेशन में ही रखने का इंतजाम किया जाए ताकि गंभीर मरीजों को प्राथमिकता के साथ तुरंत उपचार मिल सके और अस्पतालों पर अनावश्यक दबाव पैदा ना हो। उन्होंने इसके लिए नोडल अधिकारियों को अपनी जिम्मेदारी प्रभावी रूप से निभाने के निर्देश दिए। मुख्यमंत्री ने कहा कि ऐसे कठिन समय में नोडल अधिकारियों की महत्वपूर्ण भूमिका है, वे पूरी गंभीरता के साथ अपने दायित्वों का पालन करें।

गहलोत ने राज्य एवं जिला स्तर पर स्थापित नियंत्रण कक्षों के प्रभावी ढंग से संचालन के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि यहां नियुक्त अधिकारी लोगों की समस्याओं का प्रभावी निराकरण सुनिश्चित करें। कंट्रोल रूम की गहन मॉनिटरिंग सुनिश्चित की जाए तथा 181 हैल्प लाइन का व्यापक प्रचार-प्रसार हो।

'राज्य में ही रेमडेसिविर उत्पादन की कोशिश'
चिकित्सा मंत्री डॉ. रघु शर्मा ने कहा कि कोरोना की इस घातक स्थिति से निपटने के लिए सरकार लगातार कठोर एवं सख्त निर्णय ले रही है। उन्होंने कहा कि आगामी जरूरतों को ध्यान में रखकर हम प्रदेश में 50 बैड वाले सीएचसी स्तर के अस्पतालों में भी कोविड रोगियों के इलाज के लिए ऑक्सीजन की सुविधा उपलब्ध कराने का प्रयास कर रहे हैं। राज्य में ही रेमडेसिविर जैसी दवाओं का उत्पादन हो सके, इसके लिए भी प्रयास किया जाना उचित होगा।