
विकास जैन
प्रदेश में तेजी से बढ़ रहे कोविड-19 संक्रमण के बीच कुल मिल रहे नए संक्रमितों में 80 से 90 प्रतिशत में दूसरी लहर के दौरान कहर बरपाने वाला डेल्टा वैरिएंट ही पाया जा रहा है। शीर्ष विशेषज्ञों ने इसे चिंताजनक मानते हुए कहा है कि ओमिक्रॉन भले ही घातक हो, लेकिन डेल्टा के बढ़ते मामलों से आने वाले दिनों की स्थिति के बारे में कुछ नहीं कहा जा सकता, ऐसे में कोविड अनुकूल व्यवहार से ही बचाव संभव है।
प्रदेश में किए गए पहले सीरो सर्वे के मुताबिक करीब 75 प्रतिशत बच्चों में भी एंटीबॉडी विकसित हो चुकी है। जबकि इनका अभी तक वैक्सीनेशन नहीं हुआ है। बच्चों में रोग प्रतिरोधक क्षमता विकसित होने का कारण उनका पहली और दूसरी लहर के दौरान कोविड संक्रमित होकर स्वत: ही रिकवर होना माना जा रहा है। विशेषज्ञों के अनुसार दिसंबर माह के अंत में क्रिसमस और नववर्ष के स्वागत के लिए पर्यटकों की भारी आवाजाही का असर अगले 7 से 10 दिनों में सामने आ सकता है। इसके बाद संक्रमितों की संख्या बढऩे की आशंका है।
जयपुर के चंद मरीज ही भर्ती, बच्चे ए सिंपटोमेटिक
राहत अभी यह बरकरार है कि जयपुर में करीब 550 एक्टिव केस मौजूद हैं, लेकिन भर्ती मरीजों की संख्या 10 से भी कम है। स्वास्थ्य विभाग के अनुसार संक्रमित मिल रहे बच्चे भी ए सिंपटोमेटिक हैं।
मास्क लगाएं इस तरह, जो मुंह पर अच्छी तक फिट हो
विशेषज्ञों के अनुसार तीसरी लहर से बचाव के लिए संपर्क में आने वाले सभी लोगों का मास्क लगाना आवश्यक है। सभी लोग मास्क लगाएंगे तो अधिकाधिक बचाव संभव हो सकेगा। मास्क मुंह पर अच्छी तरह फिट होने वाला लगाया जाएगा तो वह अधिक सुरक्षा प्रदान करेगा। मास्क के साथ 6 फिट दूरी की पालना भी कर ली तो सुरक्षा का दायरा और बढ़ जाएगा।
मरीजों को भर्ती की आवश्यकता नहीं पड़ रही
अच्छी बात यह है कि अभी मरीजों को भर्ती की आवश्यकता नहीं पड़ रही, लेकिन हमें यह भी देखना होगा कि मौजूदा मामलों में भी करीब 80 प्रतिशत से अधिक डेल्टा वैरिएंट के ही हैं। यह वही वैरिएंट है, जिसने दूसरी लहर में कहर बरपाया था। हमें आगे भी सतर्क ही रहना होगा। आमजन के लिए सरकार की सख्ती का इंतजार करे बिना कोविड अनुकूल व्यवहार की पालना करना आवश्यक है। यही सबसे बड़ा बचाव है।
-डॉ.वीरेन्द्र सिंह, सदस्य, मुख्यमंत्री कोविड सलाहकार समिति
स्कूलों में कोविड गाइड लाइन की पालना नहीं
वर्तमान स्थिति देखें तो स्कूलों में 75 फीसदी बच्चे ऑफलाइन पढ़ाई करने आ रहे हैं। महज 25 फीसदी बच्चे ही ऑनलाइन कक्षाएं ले रहे हैं। सरकारी स्कूलों में जहां सौ फीसदी क्षमता के साथ बच्चे आ रहे हैं। ऐसे में यहां संक्रमण फैलने का डर ज्यादा है। सरकारी स्कूलों में जहां बैठने की पर्याप्त व्यवस्था नहीं है। वहीं, मास्क और सोशल डिस्टेसिंग की पालना भी नहीं हो रही है। पिछले महीनों की बात करें तो सरकारी और निजी स्कूलों में कोरोना के केस सामने आ चुके हैं। सरकारी और निजी स्कूलों में कुल एक दर्जन से अधिक बच्चे संक्रमित हो चुके है। कई स्कूलों को बंद करना पड़ा था।
Updated on:
01 Jan 2022 02:25 pm
Published on:
01 Jan 2022 02:02 pm
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