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जिन कर्मचारियों के घर में शौचालय नहीं, उनका रुकेगा वेतन

जयपुर जिले के विराटनगर उपखंड अधिकारी का फरमान

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पंकज चतुर्वेदी / जयपुर . जिले के विराटनगर ब्लॉक में कार्यरत सभी सरकारी कर्मचारी- अधिकारियों को सितम्बर माह का वेतन अब तभी मिलेगा, जब वे अपने उच्चाधिकारी को यह प्रमाणपत्र दे देंगे कि उनके घर में शौचालय है। यह स्वच्छता प्रमाण पत्र ग्राम पंचायत या नगर पालिका से बनवाना होगा। स्वच्छ भारत अभियान के लक्ष्य पूरे करने में जुटे उपखंड अधिकारी ने यह फरमान जारी किया है। हालांकि कर्मचारियों ने आदेश को अव्यवाहारिक बताते हुए विरोध जताया है।

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लक्ष्य कब तक पाना है, खुद को ही पता नहीं

केन्द्र की योजना के तहत प्रदेश को खुले में शौच मुक्त (ओडीएफ) करने का दबाव इतना है कि सरकारी आदेशों और बयानों में इसकी समय सीमा भ्रमित करने वाली दिख रही है। उपखंड अधिकारी ने आदेश में कहा है कि प्रदेश को 2 अक्टूबर 2017 तक ओडीएफ करना है। जबकि सोमवार को ग्रामीण विकास मंत्री राजेन्द्र राठौड़ ने प्रदेश के मुख्य कार्यकारी अधिकारियों की बैठक में कहा था कि यह समय सीमा मार्च 2018 तक है। सरकार के आधिकारिक दस्तावेजों को देखें तो केन्द्र ने पूरे देश के लिए 2 अक्टूबर 2019 की सीमा तय की है लेकिन राज्य सरकार ने 18 जुलाई 2014 को विधानसभा में प्रदेश को वर्ष 2017—18 तक ही ओडीएफ करने की घोषणा कर दी थी।

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लक्ष्य से इतना पीछे है प्रदेश
- प्रदेशभर के सभी 295 ब्लॉक में से अब तक 111 ही ओडीएफ घोषित और सिर्फ ३७ ही सत्यापित हो पाए हैं।
- जयपुर जिले में 15 ब्लॉक में तो सिर्फ 2 ही ओडीएफ घोषित हैं।
- जिले में कुल 2089 में से अभी 956 गांव ओडीएफ घोषित करने शेष हैं।

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सरकारी कर्मचारी के घर में तो टॉयलेट होना ही चाहिए। सरकार भी सपोर्ट कर रही है।
- मुकेशकुमार मूंड, एसडीएम, विराटनगर

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कौन नहीं चाहता कि प्रदेश खुले में शौच से मुुक्त हो लेकिन शौचालय के नाम पर वेतन रोकना गलत है। सेवा नियमों में ऐसा कोई प्रावधान नहीं है। इसका विरोध किया जाएगा।
- नारायण सिंह, प्रवक्ता, अखिल राजस्थान राज्य कर्मचारी संयुक्त महासंघ