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जयपुर के कलाकार ने 2 साल में बनाई थी PM मोदी को भेंट की गई ये खास तलवार, 7 दृश्यों में दिखाई है महाराणा प्रताप के शौर्य और पराक्रम की कहानी

Best Craftsman Vinod Jangid: उत्कृष्ट कला के लिए विनोद को नेशनल अवॉर्ड, स्टेट अवॉर्ड और शिल्प गुुरु अवॉर्ड से समानित किया जा चुका है। उन्होंने बताया कि वे इस कला में खुद की तीसरी पीढ़ी के कलाकार है।

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Jaipur News: गुलाबी नगर के कलाकार देश ही नहीं बल्कि दुनियाभर में अपनी कला का लोहा मनवा चुके हैं। गुलाबी नगर के शिल्पकार विनोद जांगिड़ की बनाई हुई लकड़ी की तलवार को सोमवार को मुख्यमंत्री भजन लाल शर्मा ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को भेंट किया। पीएम मोदी ने तलवार के अलग-अलग हिस्सों को खोलकर महाराणा प्रताप की वीर गाथा को देखा।

बारीक नक्काशी के जरिये दिखाया हुनर


पत्रिका से खास बातचीत में शिल्पकार विनोद जांगिड़ ने बताया कि चंदन की लकड़ी से बनी इस तलवार की लंबाई 40 इंच है और चौड़ाई 2.5 से 4.5 इंच तक है। इसे मैसूर चंदन कहा जाता है। तलवार को तैयार करने में दो वर्ष का समय लगा। इसके फ्रंट में छह खिड़कियां है और एक खिड़की साइड में है। इस पर महाराणा प्रताप के शौर्य और पराक्रम की कहानी को बारीक नक्काशी के जरिये दिखाया गया है।

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…तो अधिकारियों को दिखाया पूरा क्लेक्शन

उन्होंने बताया कि बीते दिनों सरकार के अधिकारी उनके पास आए और उन्होंने कहा कि ऐसी कलाकृति चाहिए, जो खूबसूरत हो और सबसे अलग हो। तब उनको पूरा क्लेक्शन दिखाया। तब उन्हें ये चंदन की लकड़ी से बनी तलवार पसंद आई। जांगिड़ मूल रूप से चूरू के हैं। वर्तमान में रामनगर सोढ़ाला में रहते हैं।

मिले कई अवॉर्ड


उत्कृष्ट कला के लिए विनोद को नेशनल अवॉर्ड, स्टेट अवॉर्ड और शिल्प गुुरु अवॉर्ड से समानित किया जा चुका है। उन्होंने बताया कि वे इस कला में खुद की तीसरी पीढ़ी के कलाकार है। कई चीजें देशभर के साथ विदेशों में भी मंगवाई जाती है।

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सात दृश्यों में शौर्य और पराक्रम की कहानी


पहली खिडक़ी: तलवार की नोंक पर बनी इस खिडक़ी की चौड़ाई 2.5 इंच है। इसमें महाराणा प्रताप की प्रतिमा बनाई गई है।

दूसरी खिडक़ी: परिस्थिति को देखकर जब महाराणा प्रताप युद्ध छोडक़र जाते हैं, तो रास्ते में एक नाला आता है। इस खिडक़ी में उस नाले को पार करते हुए महाराणा प्रताप के घोड़े चेतक को दिखाया है।

तीसरी खिडक़ी: जंगल में महाराणा प्रताप की मदद के लिए आए भामाशाह को दिखाया है।

चौथी खिडक़ी: इसमें सुअर के शिकार को लेकर महाराणा प्रताप और शक्ति सिंह के बीच लड़ाई का दृश्य को साकार किया है।

पांचवी खिडक़ी: जंगल में जब महाराणा प्रताप घास की रोटी बनाते है। उस रोटी को जंगली बिल्ली छिनकर ले जाने वाले दृश्य को दिखाया है।

छठी खिडक़ी: इसमें चित्तौडग़ढ में बने विजय स्तंभ को दिखाया है।

सातवी खिडक़ी: साइड में बनी इस खिडक़ी में हल्दी घाटी के युद्ध के दृश्य को दिखाया है। जहां हाथी पर बैठे मानसिंह पर महाराणा प्रताप भाले से वार करते हैं। इसकी चौड़ाई करीब 6 इंच है।